चुनाव की बातें: कोडरमा में चंदे के पैसे से लड़ रहे प्रत्याशी

Jharkhand News: विनोद सिंह का कहना है – शायद मैं एक प्रोफेसर होता। मेरे पिता कभी नहीं चाहते थे कि मैं चुनावी राजनीति में शामिल होऊं, लेकिन मैं और मेरी तीन बहनें राजनीतिक रूप से जागरूक थे।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 20 May 2024 2:05 PM GMT
CPI (M-L) Liberation candidate Vinod Singh, 46, is contesting elections in Koderma with donations
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सीपीआई (एम-एल) लिबरेशन के उम्मीदवार 46 वर्षीय विनोद सिंह कोडरमा में चंदे के पैसे से लड़ रहे चुनाव: Photo- Social Media

Jharkhand News: झारखण्ड के कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहाँ सीपीआई (एम-एल) लिबरेशन के उम्मीदवार 46 वर्षीय विनोद सिंह का मुकाबला भाजपा की दिग्गज नेता अन्नपूर्णा देवी से है।

कोडरमा के बगोदर विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायक विनोद सिंह झारखंड विधानसभा में गरीबों और वंचित वर्गों के मुद्दों को उठाने के लिए जाने जाते हैं। 2019 में बगोदर चुनाव में जीत से पहले यहां उनकी पिछली जीत 2009 और 2005 में हुई थी लेकिन 2014 में वह हार गए थे। झारखण्ड विधानसभा में एक बार सर्वश्रेष्ठ विधायक का खिताब पा चुके विनोद सिंह सांसदी के लिए क्राउडफंडेड यानी चंदे से पैसा जुटा कर चुनाव अभियान चला रहे हैं। मुंबई का एक दोस्त उनकी फोटो को संभालता है, दूसरा दोस्त उनके सोशल मीडिया की देखभाल करता है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से सामाजिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट विनोद सिंह ने अपने पिता और तेजतर्रार सीपीआई (एमएल) लिबरेशन नेता महेंद्र सिंह की 2005 में हत्या के बाद चुनावी राजनीति में प्रवेश किया। विनोद सिंह का कहना है – शायद मैं एक प्रोफेसर होता। मेरे पिता कभी नहीं चाहते थे कि मैं चुनावी राजनीति में शामिल होऊं, लेकिन मैं और मेरी तीन बहनें राजनीतिक रूप से जागरूक थे। मेरे पिता की मृत्यु ने मुझे हैरान नहीं किया, क्योंकि उन्होंने गरीबों के लिए लड़ने के कारण सत्ता केंद्रों को परेशान कर दिया था। महेंद्र सिंह ने दो बार बगोदर का प्रतिनिधित्व किया था और कथित तौर पर नक्सलियों द्वारा मारे गए थे।

इस लोकसभा चुनाव में विनोद सिंह के सामने हैं कोडरमा की मौजूदा सांसद और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री, भाजपा की दिग्गज नेता अन्नपूर्णा देवी। वर्तमान राज्य भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने 2004 और 2009 के बीच तीन बार यह सीट जीती थी - एक बार निर्दलीय के रूप में और एक बार अपने बनाए संगठन के टिकट पर। जबकि अगले दो चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की।

इस निर्वाचन क्षेत्र की लगभग 45 फीसदी ओबीसी समुदायों से है। ओबीसी में अकेले यादवों की संख्या 18 फीसदी है। इस बार, विपक्षी इंडिया अलायन्स के एक साथ आने से विनोद सिंह राजद के वोट बैंक पर कब्ज़ा करने की उम्मीद कर रहे हैं।

जेल भी जा चुके हैं विनोद

जेल में बंद पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के साथ गठबंधन सरकार में होने के बावजूद विनोद सिंह ने भूख से संबंधित मौतों, कथित पुलिस दमन, प्रवासी मजदूरों की मौत के मुआवजे और बेरोजगारी पर सवालों के साथ विधानसभा में कई बार सोरेन को घेरा है। 2013 में, गलत पहचान के मामले में विनोद सिंह को तीन दिनों के लिए जेल में डाल दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने विधानसभा में जेल के कैदियों की स्थिति का मुद्दा उठाया। 2022 में विनोद सिंह को झारखंड विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक चुना गया था।

Shashi kant gautam

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