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Maharashtra Politics : महाराष्ट्र में फडणवीस की ताजपोशी के साथ उठा मराठा आरक्षण का मुद्दा, पाटिल ने दिया 5 जनवरी तक का अल्टीमेटम
Maharashtra Politics : महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर खड़ा हो गया है।
Maharashtra Politics : महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर खड़ा हो गया है। मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए महाराष्ट्र की नई सरकार को एक महीने का समय दिया है। उन्होंने कहा कि आगामी 5 जनवरी तक मराठा समुदाय को आरक्षण देने का मुद्दा सुलझाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की नई सरकार को मैं शुभकामनाएं देता हूं मगर इस सरकार को राज्य के लोगों की समस्याओं को सुलझाना होगा। उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि अगर 5 जनवरी तक यह मुद्दा नहीं सुलझाया गया तो हम नई सरकार की नाक में दम कर देंगे।
ताजपोशी के साथ ही उठा आरक्षण का मुद्दा
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को ही मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की कमान संभाली है। मुंबई के आजाद मैदान में हुए शपथ ग्रहण समारोह के दौरान उनके साथ डिप्टी सीएम के रूप में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और एनसीपी नेता अजित पवार ने भी शपथ ली है। मुख्यमंत्री के रूप में शिंदे के कार्यकाल के दौरान भी मराठा आरक्षण का मुद्दा उठा था मगर अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं किया जा सका है।
विधानसभा चुनाव के दौरान मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने अपने उम्मीदवार खड़े करने का भी ऐलान किया था मगर बाद में उन्होंने विधानसभा चुनाव से किनारा कर लिया था। विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ महायुति को भारी बहुमत मिलने के बाद उन्होंने नई सरकार को शुभकामनाएं तो जरूर दी हैं मगर मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर एक बार फिर राज्य का माहौल गरमाने की चेतावनी भी दे दी है।
सरकार की नाक में दम करने का अल्टीमेटम
पाटिल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दोनों डिप्टी सीएम को नई जिम्मेदारी की बधाई देते हुए कहा कि इन नेताओं को मराठा आरक्षण का मुद्दा सुलझाने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। इस मुद्दे पर अब किसी भी प्रकार की नाटकबाजी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने नई सरकार को एक महीने का समय देने का ऐलान किया। पाटिल ने चेतावनी दी कि यदि 5 जनवरी तक इस मुद्दे का समाधान नहीं किया गया तो हम नई सरकार की नाक में दम कर देंगे।
पाटिल ने कहा कि नई सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि राज्य के लोगों ने उन्हें चुना है और नई सरकार में शामिल लोगों को राज्य के लोगों का दिल जीतने के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद हम मराठा समाज का ध्यान रखने के लिए सामूहिक भूख हड़ताल की घोषणा करेंगे। पाटिल ने कहा कि यदि नए मुख्यमंत्री फडणवीस मराठा आरक्षण का मुद्दा सुलझाने में कामयाब रहे तो यह अच्छी बात होगी।
मुद्दे को सुलझाने का फडणवीस का वादा
मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मराठा आरक्षण को लेकर अपनी सरकार का रुख स्पष्ट किया था। उनका कहना था कि हमने पिछली सरकार के दौरान ही मराठा समुदाय को न्याय दिलाने की कोशिश की थी और हम इस बात का वादा करते हैं कि हम मराठा समुदाय को न्याय दिला कर ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा राज्य विधानसभा में पहले ही उठाया जा चुका है।
फडणवीस ने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी गई थी। फिलहाल यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है और हमने कोर्ट में सपोर्टिंग एफिडेविट भी दाखिल किया है। हमने मराठा समुदाय के पक्ष में अपना रुख स्पष्ट कर दिया है और हम इस मामले में गंभीरता से पहल करेंगे।
मराठा समुदाय को नाराज नहीं करना चाहती बीजेपी
फडणवीस ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण देने का दाम चला था मगर सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत की संवैधानिक बाध्यता का हवाला देते हुए इसे रद्द कर दिया था। इस साल फरवरी में शिंदे सरकार ने बिल पारित करवाकर मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला कर लिया था मगर मामला कोर्ट में पहुंच चुका है।
सियासी जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद भाजपा मराठा समुदाय को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती। महाराष्ट्र की आबादी करीब 13 करोड़ बताई जाती है और उनमें से 28 फ़ीसदी मराठा समुदाय के लोग हैं। राज्य की लगभग चार दर्जन विधानसभा सीटों पर मराठा बिरादरी का प्रभुत्व माना जाता रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा की ओर से मराठा समुदाय को साधने की कोशिश की जाएगी। अब यह देखने वाली बात होगी कि फडणवीस को इस काम में कामयाबी मिल पाती है या नहीं।