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भर दो झोली... पर झूमे श्रोता, लेबुआ और रूमी फाउंडेशन ने सजाई संगीतमई शाम
राजधानी के पाश इलाके माल एवेन्यू स्थित लेबुआ में ''भर दो झोली...''कव्वाली पर श्रोता झूम उठे। कव्वालियों में दम दम मस्त कलंदर, ताजदार-ए-हरम आदि पर श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। सूफी संगीत अपने प्रिय तक पहुंचने का सशक्त माध्यम है। बुधवार को श्रोता भी इसके साक्षी बने और सूफी संगीत को सराहा।
लखनऊ : राजधानी के पाश इलाके माल एवेन्यू स्थित लेबुआ में ''भर दो झोली...''कव्वाली पर श्रोता झूम उठे। कव्वालियों में दम दम मस्त कलंदर, ताजदार-ए-हरम आदि पर श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। सूफी संगीत अपने प्रिय तक पहुंचने का सशक्त माध्यम है। बुधवार को श्रोता भी इसके साक्षी बने और सूफी संगीत को सराहा।
लेबुआ लखनऊ और रूमी फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से यह सूफी संगीतमयी शाम सजाई थी। सूफी संगीत में अपने प्रिय को पाने की तड़प को भावनात्मक रूप से जाहिर किया गया। जिसने श्रोताओं को उत्साह से लबरेज कर दिया। दरअसल, संगीत की इस विधा में परम प्रिय तक पहुँचने के लिए संगीत और कविता को शक्तिशाली माध्यम माना जाता है। रामपुर से आए सामी नियाज़ी एंड पार्टी ने मौजूद लोगों की खूब वाहवाही लूटी। दरअसल, लेबुआ में 20 वीं शताब्दी में वास्तुकला की कला डेको शैली को संजोया गया है। इसी पृष्ठभूमि में संगीतमयी शाम चल रही थी। राजधानी में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के मकसद से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। आगामी दिनों में लेबुआ लखनऊ कला और संस्कृति से जुड़े अन्य कार्यक्रमों की भी मेजबानी करेगा। ताकि राजधानी में कला और संस्कृति को बढावा मिल सके।
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