एक और बदलाव: छठी कक्षा से पास-फेल करने की नीति शुरू करेगी मोदी सरकार

कानून मंत्रालय ने छठी क्लास में पास-फेल सिस्‍टम को फिर से लाने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय (HRD) के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी गई है। एचआरडी मंत्रालय को भेजे गए नोट में कानून मंत्रालय ने शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून में सुझाए गए संशोधनों का समर्थन किया है।

priyankajoshi
Published on: 24 Dec 2016 8:01 PM IST
एक और बदलाव: छठी कक्षा से पास-फेल करने की नीति शुरू करेगी मोदी सरकार
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नई दिल्ली : मोदी सरकार छठी कक्षा से पास-फेल करने की नीति शुरू करेगी। कानून मंत्रालय ने मानव संसाधन मंत्रालय (HRD) के इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है।

एचआरडी मंत्रालय को भेजे गए नोट में कानून मंत्रालय ने शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून में सुझाए गए संशोधनों का समर्थन किया है।

इस नोट में यह सुझाव भी दिया गया है कि एचआरडी मंत्रालय को आरटीई कानून में सुधार के लिए ड्राफ्ट बिल तैयार करना चाहिए। आरटीई कानून की धारा 16 के तहत फेल नहीं करने का नियम है। स्‍कूलों को आठवीं तक छात्र को किसी कक्षा से निकालने या रोकने से मना करता है।

4 साल पहले बनाई गई नीति

साल 2012 में चार वर्ष पहले एचआरडी मंत्रालय की ओर से कहा गया था, 'नो डिटेंशन नीति बनाई गई है क्‍योंकि अक्‍सर परीक्षाएं कम अंक लाने वाले छात्रों को बाहर कर देने या पीछे कर देने के काम आती है। एक बार फेल घोषित बच्‍चे या तो कक्षा दोहराते रहते हैं या फिर स्‍कूल ही छोड़ देते हैं। एक छात्र को एक कक्षा दोबारा पढ़ाना हताश और निराश करना है।'

पास-फेल सिस्‍टम को दोबारा शुरू करने की कई राज्‍यों की मांग के बाद 2015 में सरकार ने एक पैनल का गठन किया था। पैनल ने नो डिटेंशन पॉलिसी के नकारात्‍मक प्रभाव को माना था।

बच्‍चे हो रहे अनुशासनहीन

इसके साथ ही नौंवी क्लास में बड़ी संख्‍या में छात्रों के फेल होने की राज्‍य सरकार की चिंताओं का भी अध्‍ययन किया था। इसके बाद मंत्रालय ने आरटीई कानून में संशोधन कर पास-फेल सिस्‍टम को फिर से शुरू करने का फैसला लिया। इस पर कानून मंत्रालय को आरटीई एक्‍ट की धारा 16 में संशोधन को लेकर सवालों के बारे में लिखा।

इस खत में एचआरडी मंत्रालय ने बताया कि धारा 16 के तहत दी गई छूट का विपरीत असर पड़ रहा है क्‍योंकि बच्‍चे फेल ना होने के डर से अनुशासनहीन हो रहे हैं। इसके साथ ही शिक्षा की गुणवत्‍ता पर भी असर पड़ रहा है।

क्या कहा गया प्रस्‍तावित संशोधन में?

एचआरडी मंत्रालय की ओर से प्रस्‍तावित संशोधन में कहा गया है, 'पांचवीं कक्षा तक किसी भी बच्‍चे को ना तो फेल किया जाए और ना ही पीछे रखा जाए।' इस पर कानून मंत्रालय ने कहा कि इस पर कोई आपत्ति नहीं है। उसने सेक्‍शन 38 में उपधारा डालने को भी मंजूरी दी है।

लेकिन कानून मंत्रालय ने एचआरडी मंत्रालय के एक प्रस्‍ताव पर आपत्ति जताई। इसके तहत कहा गया था कि ब्‍लॉक लेवल पर एक सरकारी अधिकारी को पीछे छूटने वाले बच्‍चे को रिकॉर्ड रखने को नियुक्‍त किया जाए। यह अधिकारी स्‍कूल और अध्‍यापकों से जुड़ी जानकारी भी रखे। कानून मंत्रालय ने माना कि आरटीई कानून इस काम के लिए ब्‍लॉक लेवल अधिकारी मुहैया नहीं कराता।

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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