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UPSIDC से बड़ा खुलासा : भूमाफियाओं के प्रभाव में हैं एमडी रणबीर प्रसाद !
लखनऊ : उप्र राज्य औदयोगिक विकास निगम ( यूपीएसआईडीसी) के प्रबंध निदेशक (एमडी) रणबीर प्रसाद ने पहले वर्षों से आवंटित 100 से ज्यादा औदयोगिक प्लाटों को निरस्त करने आदेश दिया। इस पर मीडिया में खूब वाहवाही लूटी गई। कुछ महीने बाद वह अचानक अपने आदेश से ही पल्टी मार गए और आवंटियों को प्लाट वापस लेने का अधिकार सौंप दिया। उन्हें बाकायदा समय दिया गया ताकि वह अपने प्लाट दूसरे को सौंप सके। पहले इसके लिए अक्टूबर तक की मियाद तय की गई थी। अब इस मियाद को भी आगे बढाकर 31 दिसम्बर तक कर दिया गया है।
मजे की बात यह है कि जिन प्लाटों को दोबारा बेचने से निगम को सैकड़ो करोड़ का फायदा होता। अब वही फायदा बिचौलिए उठाएंगे।
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विभागीय मंत्री सतीश महाना ने प्रदेश की औदयोगिक नीति को कैबिनेट से मंजूरी के बाद कहा था कि जिन इंडस्ट्रियल प्लाटों पर वर्षों से उदयोग नहीं लग सका है। उन्हें वापस लिया जाएगा ताकि इंडस्ट्रियल लैंड बैंक में बढोत्तरी हो। पर पर्दे के पीछे कुछ और ही खेल चल रहा था।
निगम के एमडी रणबीर प्रसाद ने 14 जून को निगम की 295वीं बैठक में खाली भूखण्डों के हस्तांतरण के लिए 31 अगस्त तक का मौका दे दिया। इस शर्त के साथ कि भूमि पर एक साल के अंदर औदयोगिक इकाईयां स्थापित हो जाए। पर यह समय भी बीत गया तो निगम की नौ अक्टूबर की बैठक में यह तिथि बढाकर 31 दिसम्बर तक कर दी। हैरानी की बात यह है कि विभागीय मंत्री ने जिस नीति पर मीडिया के सामने खूब वाहवाही लूटी थी। एमडी रणबीर प्रसाद ने उन्हीं के नीतियों की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
जानकारों के मुताबिक यदि निगम इन प्लाटों को निरस्त कर पुन: बेचता तो इससे निगम को सैकड़ों करोड़ के राजस्व का लाभ होता। पर एमडी ने भूमाफियाओं के प्रभाव में आकर अपने दिए गए आदेश को लगातार बदल रहे हैं। इससे निगम को सैकड़ों करोड़ के राजस्व का चूना लग रहा है और योगी सरकार की साख को जो बट्टा लग रहा है वह अलग।
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