गांधी जी के कथन को विनोबा भावे ने बनाया प्रासंगिक: रमेश भैया

sudhanshu
Published on: 11 Sept 2018 8:24 PM IST
गांधी जी के कथन को विनोबा भावे ने बनाया प्रासंगिक: रमेश भैया
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लखनऊ: सन्त विनोबा भावे की 124 वीं जयंती मंगलवार को गांधी सभागार में मनाई गई। इस कार्यक्रम में अशोक वाजपेयी सांसद राज्यसभा के साथ गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष लाल बहादुर राय, आशा दीदी विनोद शंकर चौबे और रमेश भैया संस्थापक विनोबा सेवा आश्रम से मौजूद रहे। विनोबा विचार प्रवाह की परिचर्चा में रमेश भैया ने बताया कि आज विनोबा कैसे प्रासंगिक हैं। विनोबा जी गांधी जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी है। जितना भी गांधी जी ने कहा है उसको प्रासंगिक विनोबा जी ने बनाया है।

केवल यूपी ही है सब प्रश्‍नों का उत्‍तर

रमेश भैया ने बताया कि विनोबा ने कहा था कि बाकी सारे प्रदेश तो प्रश्न हैं, केवल उत्तर प्रदेश ही उत्तर है। ये बात विनोबा भावे ने सेवापुरी आश्रम में कही थी। विनोबा जी के भूदान यात्रा को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके इस यात्रा से 45 लाख एकड़ जमीन लोगों ने दान दे दी थी। विनोबा जी ने मृत्यु के वक्त कहा था कि मैं जिस दिनांक को निर्वाण को प्राप्त होऊंगा तो ये तमाम ज़मीनें को भूमिहीनों को दान दे दी जाएगी।

22 भाषाओं के थे जानकार

रमेश भैया ने बताया कि विनोबा भावे को कुल 22 भाषाएं आती थीं। उनके बारे में कहा जाता है कि जबतक वो किसी प्रदेश की भाषा नहीं जान लेते थे तब तक उस प्रदेश में जाते नहीं थे। विनोबा जी ने अपने अनुयायियों को कहा था कि हमेशा नर उत्‍थान के लिए कार्य करिये। रमेश भैया ने अपने उद्बोधन में कहा कि गांधी बिना विनोबा के अधूरे हैं। विनोबा भावे ने महिला उत्थान के लिए भी लगातार कार्य किया। उन्होंने कहा था की महिला संघ का निर्माण होता है तो बहुत अच्छा है, लेकिन इसको अबला संघ नहीं समझना चाहिए।।

विचारधारा ही है संजीवनी

सांसद राज्‍यसभा अशोक वाजपेयी ने अपने उद्बोधन में कहा कि विनोबा एक महिषी थे। आचार्य विनोबा जी को मैंने देखा नही लेकिन उनको पढ़ा और उनकी विचारधारा को समझा है। आज के लिए विनोबा की विचारधारा एक संजीवनी की तरह है। विनोबा का कहना था कि आजादी का सपना तब तक साकार नहीं हो सकता, जब तक समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के चहरे पर मुस्कान नहीं आती। विनोबा ने आज़ादी के बाद अपना सर्वस्व त्याग कर मानवता की भावना को अग्रसर किया। आज बहुत सी विचारधाराएं समाज में अपनी भूमिका निभा रही हैं। लेकिन विनोबा की विचारधारा एक अनमोल है। गांधी सभागार में विनोबा भावे की 124 वीं जयंती में रमेश भैया संस्थापक विनोबा सेवा आश्रम, विनोद शंकर चौबे पूर्व आईएएस, राधेश्याम दिक्सित, जयकरण वर्मा संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा के साथ बतौर मुख्य अतिथि सांसद राज्‍यसभा अशोक वाजपेयी और विशिष्ट अतिथि आशा किरण भी मौजूद रहीं।

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