आपरेशन ददुआ

Dr. Yogesh mishr
Published on: 23 July 2007 10:01 PM IST
दिनाँक: 23.०7.2००7
ददुआ गैंग के खात्मा अभियान का 22 से बहुत करीबी रिश्ता है। 22 अप्रैल से शुरू होकर 22 जुलाई की सुबह तक अभियान चला। अभियान में 22 जवान शामिल थे।

2० जुलाई : दोपहर 2 बजे-एसटीएफ मानिकपुर पहुँची। शाम 6 बजे कई मुखबिरों से जानकारी जुटाई गई।

21 जुलाई : दोपहर 3 बजे मारकुंडी थाने के गांवों में एसटीएफ पहुँची। शाम 5 बजे-गिरोह के बारे में पुख्ता जानकारी मिली। रात 3 बजे मुखबिर ने एसटीएफ को झलमल ऐलहा गाँव के टिकुरी जंगल में ददुआ की मौजूदगी की खबर दी। इस पर टीम ने जंगल में डकैतों की मौजूदगी का गुपचुप तरीके से जायजा लिया। 6 बजे एसटीएफ की टीम ने कुसमुही के जंगल में डेरा डाला। रात 8 बजे पहाड़ से उतर रहे बदमाशों पर फायरिंग झोंकी। रात 9 बजे चार बदमाश ढेर। बाकी फरार। रात 11 बजे पुलिस को ददुआ के झलमल जंगल में छिपे होने की पुख्ता सूचना मिली।

22 जुलाई : रात 1 बजे एसटीएफ का झलमल जंगल की ओर कूच। सुबह 4 बजे जंगल में ठिकाने की तलाश। सुबह 6 बजे परसिया नदी किनारे स्नान और पूजा करने की ददुआ गिरोह की सूचना हासिल। ठीक ढाई घंटे बाद एसटीएफ ने नदी के किनारे पहुँच घेरा। सुबह 8 बजे एसटीएफ ने मुखबिर की मदद से पहली बार दूरबीन के जरिए ददुआ को देखा, डकैत नहा-धो रहे थे। अचूक वार की तैयारी में घेराबंदी शुरू कर दी गयी। बंदूक की जगह एसटीएफ ने ग्रेनेड को इस्तेमाल करना बेहतर समझा। यह तरकीब ही कामयाब हुई। सुबह 8.45 बजे बदमाशों पर ग्रेनेड से हमला शुरू। 9 बजे ताबड़तोड़ गोलियों में कई ढेर। 9.1० बजे मौका से 5०० मीटर दूर ददुआ का शव मिला। 6 अन्य डकैत मारे गये। फायरिंग के बाद बचे डकैत जंगल में भाग निकले। 11.3० बजे आपरेशन पूरा, ददुआ का काम तमाम।

-योगेश मिश्र
Dr. Yogesh mishr

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