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दर्जा राज्य मंत्री का और हैं अंगूठा टेक
लखनऊ, 24 सितम्बर। मायावती सरकार में एक ऐसे व्यक्ति को राज्य मंत्री का दर्जा देकर लाल बत्ती से नवाजा गया है जो बमुश्किल अपना हस्ताक्षर हिन्दी में कर पाता है। माया सरकार ने इन्हें इनकी करनी का भरपूर इनाम दिया है। ये शख्स हैं विक्रमादित्य वार्ड के पार्षद ओमप्रकाश यादव उर्फ पप्पू। मुख्यमंत्री ने इन्हें राजकीय निर्यात निगम के उपाध्यक्ष का पद सौंपा है। एक वर्ष की अवधि वाले इस पद पर शोभायमान श्री यादव अपना कार्य किस तरह करेंगे यह तो उनकी योग्यता ही बताती है।
गौरतलब है कि वर्ष 2005 में बसपा सरकार का झंडा फाड़ कर जेल जाने तथा मायावती सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट अम्बेडकर पार्क के किनारे बसे गोमतीनगर स्टेडियम में याचिका दाखिल करने वाले ओमप्रकाश यादव ने मायावती सरकार की खूब किरकिरी की थी। मायावती सरकार ने विगत छह माह पूर्व जब गोमती नगर स्टेडियम रातोंरात गिरवाया था तो श्री यादव ने उनके विरुद्घ सडक़ों पर उतर कर बगावत के स्वर बुलंद किये थे। यही नहीं हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर स्टेडियम को रुकवाने में उनका बड़ा योगदान रहा था। इसके लिये श्री यादव ने अपनी अगुवाई में खिलाडिय़ों को एकत्र का चेतना का संचार किया था। तभी से वह मायावती सरकार की नजरों में खटकने लगे थे। वार्ड एक से पार्षद ओम प्रकाश यादव का इसके बाद क्षेत्र में रहना दूभर हो गया था। वह बमुश्किल से अपने क्षेत्र में जा पाते थे। जिला प्रशासन के दबाव इतना था कि उन्हें स्थानीय स्तर पर बस जलाने के आरोप में रात भर थाने पर रखकर पूछताछ के बहाने प्रताडि़त किया गया। इसके बाद धीरे-धीरे श्री यादव की निष्ठïायें बदलनें लगीं और कभी सपा के बेहद करीबी रहे व सपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुन कर आये पार्षद ओम प्रकाश यादव ने हाथी की सवारी करना उचित समझा। मायावती सरकार ने भी उन्हें उनकी निष्ठïा बदलने का पूरा मूल्य दिया। उन्हें मामूली पार्षद से उठाकर निर्यात निगम का उपाध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद सौंप कर लाल बत्ती से नवाजा। अब श्री यादव को सरकार में आने का लाभ तो मिल गया पर वो अपने विभाग व क्षेत्र के बीच भी सामंजस्य बिठा पाने में अपने को असहज पा रहे हैं। एक तरफ तो क्षेत्र की जनता अपने सभासद को ढूंढ़े नहीं पा रही है दूसरी तरफ नेता जी परेशान हैं कि किस तरह अपने विभाग को संभाले। किसी ने ठीक ही कहा है कि भगवान देता है छप्पर फाड़ के।
गौरतलब है कि वर्ष 2005 में बसपा सरकार का झंडा फाड़ कर जेल जाने तथा मायावती सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट अम्बेडकर पार्क के किनारे बसे गोमतीनगर स्टेडियम में याचिका दाखिल करने वाले ओमप्रकाश यादव ने मायावती सरकार की खूब किरकिरी की थी। मायावती सरकार ने विगत छह माह पूर्व जब गोमती नगर स्टेडियम रातोंरात गिरवाया था तो श्री यादव ने उनके विरुद्घ सडक़ों पर उतर कर बगावत के स्वर बुलंद किये थे। यही नहीं हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर स्टेडियम को रुकवाने में उनका बड़ा योगदान रहा था। इसके लिये श्री यादव ने अपनी अगुवाई में खिलाडिय़ों को एकत्र का चेतना का संचार किया था। तभी से वह मायावती सरकार की नजरों में खटकने लगे थे। वार्ड एक से पार्षद ओम प्रकाश यादव का इसके बाद क्षेत्र में रहना दूभर हो गया था। वह बमुश्किल से अपने क्षेत्र में जा पाते थे। जिला प्रशासन के दबाव इतना था कि उन्हें स्थानीय स्तर पर बस जलाने के आरोप में रात भर थाने पर रखकर पूछताछ के बहाने प्रताडि़त किया गया। इसके बाद धीरे-धीरे श्री यादव की निष्ठïायें बदलनें लगीं और कभी सपा के बेहद करीबी रहे व सपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुन कर आये पार्षद ओम प्रकाश यादव ने हाथी की सवारी करना उचित समझा। मायावती सरकार ने भी उन्हें उनकी निष्ठïा बदलने का पूरा मूल्य दिया। उन्हें मामूली पार्षद से उठाकर निर्यात निगम का उपाध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद सौंप कर लाल बत्ती से नवाजा। अब श्री यादव को सरकार में आने का लाभ तो मिल गया पर वो अपने विभाग व क्षेत्र के बीच भी सामंजस्य बिठा पाने में अपने को असहज पा रहे हैं। एक तरफ तो क्षेत्र की जनता अपने सभासद को ढूंढ़े नहीं पा रही है दूसरी तरफ नेता जी परेशान हैं कि किस तरह अपने विभाग को संभाले। किसी ने ठीक ही कहा है कि भगवान देता है छप्पर फाड़ के।
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