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Ashok Chakra History: सत्य, अहिंसा, और धर्म का प्रतिक 'अशोक चक्र' का इतिहास
Ashok Chakra Ka Mahatva: भारतीय संविधान अशोक चक्र को ध्वज में शामिल किया गया था, जो सत्य, धर्म और न्याय जैसे मूल्य प्रदान करता है। अशोक चक्र में 24 तीलियां होती हैं और हर एक तीली का एक मतलब है। आइए जानें इसका इतिहास।
Ashok Chakra History In Hindi: अशोक चक्र (Ashok Chakra) भारत के राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगे) के केंद्र में स्थित एक नीला चक्र है, जो देश के गौरव और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। अशोक चक्र का इतिहास (Ashok Chakra Ka Itihas) मौर्य साम्राज्य और विशेष रूप से सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के शासनकाल से गहराई से जुड़ा हुआ है। लेकिन आज, अशोक चक्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह राष्ट्रीय ध्वज के सफेद पट्टी के केंद्र में स्थित नीले रंग का चिन्ह है।
अशोक चक्र में 24 तीलियां (Ashok Chakra Mein Kitni Tiliya Hoti Hai) होती हैं और हर एक तीली का एक मतलब है। भारतीय संविधान (Indian Constitution) द्वारा इसे ध्वज में शामिल किया गया, जो सत्य, धर्म और न्याय जैसे मूल्य प्रदान करता है। अशोक चक्र भारत की समृद्ध संस्कृति और गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है, जो हमें प्रगति और समानता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। आज इस लेख के माध्यम से हम इस चिन्ह को गहराई से जानने का प्रयास करेंगे।
सम्राट अशोक से जुड़ा है इतिहास (Samrat Ashok Aur Ashok Chakra Ka Itihas)
अशोक चक्र का इतिहास मौर्य साम्राज्य (Maurya Empire) के प्रसिद्ध सम्राट अशोक से जुड़ा हुआ है। अशोक चक्र मूल रूप से ‘धर्मचक्र’ (Dharmachakra) का प्रतीक है, जो बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण प्रतीकों में से एक है। विनाशकारी कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रसार करने के लिए, इसे अपने शासन का मुख्य आधार बनाया। अशोक चक्र की उत्पत्ति और महत्व को समझने के लिए इसके ऐतिहासिक पहलुओं पर विचार करना आवश्यक है।
कलिंग युद्ध और परिवर्तन:- सम्राट अशोक ने अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में कई युद्ध लड़े। कलिंग युद्ध (ईसा पूर्व 261) में हुए भारी नरसंहार ने उनके हृदय को झकझोर दिया। इसके बाद, उन्होंने बौद्ध धर्म का पालन करते हुए शांति, अहिंसा और धर्म का प्रचार-प्रसार किया।
धर्म चक्र का उपयोग:- बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद धर्म, शांति, और मानवता के प्रसार करने के उद्देश्य से, सम्राट अशोक ने कई शिलालेखों और स्तंभों का निर्माण करवाया। इन शिलालेखों और स्तंभों के माध्यम से सम्राट अशोक ने धर्म के मूलभूत सिद्धांतों को प्रचारित किया। इन स्तंभों और शिलालेखों पर एक चक्र (पहिया) बना हुआ है जिसे ‘धर्म चक्र’ यानी ‘अशोक चक्र’ कहा जाता है। सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में इस चक्र का उपयोग नैतिकता, न्याय और सत्य के प्रतीक के रूप में किया। उन्होंने इसे अपने शिलालेखों और स्तंभों पर अंकित करवाया। सारनाथ में स्थित सिंह-चतुर्मुख स्तंभ के शीर्ष पर यह चक्र प्रमुख रूप से दिखाई देता है।
आधुनिक भारत में अशोक चक्र:- आज अशोक चक्र भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे 22 जुलाई, 1947 को राष्ट्रीय ध्वज में शामिल किया गया। राष्ट्रीय ध्वज के सफेद पट्टी के मध्य में स्थित नीले रंग का यह चक्र सत्य, धर्म और न्याय के मूल्यों का प्रतीक है।
‘धर्म चक्र’ का नाम ‘अशोक चक्र’ कब और क्यों बदला गया (Kyun Badla Gya Dharmachakra Ka Naam)
‘धर्म चक्र’ का नाम ‘अशोक चक्र’ के रूप में आधिकारिक तौर पर बदलने का कोई ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं है। वास्तव में, यह नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि समय के साथ हुए उपयोग और संदर्भ का परिणाम है। इसका मूल नाम 'धर्म चक्र' ही है, जो भगवान बुद्ध द्वारा धर्म के प्रवर्तन का प्रतीक है। सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म का स्वीकार करने के बाद, उनके धर्म और न्याय आधारित शासन का प्रतीक बनने के कारण 'अशोक चक्र' नाम प्रचलन में आया। और अशोक स्तंभों पर स्थित चक्र को समय के साथ ‘अशोक चक्र’ कहा जाने लगा।
अशोक चक्र की डिजाइन (Ashok Chakra Design)
अशोक चक्र का डिज़ाइन एक गोल पहिये की तरह है जो जीवन की निरंतरता और समय के चक्र का प्रतीक है। इस गोल पहिये की तरह चक्र के अंदर कुल 24 तिलिया मौजूद है।प्रत्येक तीली का एक मतलब है जो मानव जीवन के 24 गुणों और सिद्धांतों से जुड़े है। इस चक्र का रंग गहरा नीला है जो आकाश, महासागर और सार्वभौमिक सत्य को दर्शाता है। अशोक चक्र का डिज़ाइन सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ (लायन कैपिटल) के धर्मचक्र से लिया गया है। राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र सफेद पट्टी के मध्य में स्थित है। जो भारत के सत्य, अहिंसा और धर्म के मूल्यों को दर्शाता है।
अशोक चक्र की 24 तीलियों का वास्तविक मतलब (Ashok Chakra Ki 24 Tiliyon Ka Matlab)
• पहली तीली का मतलब है ‘संयम’, जो मानव को संयमित जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है।
• दूसरी तीली का मतलब है ‘आरोग्य’, जो निरोगी जीवन का महत्त्व दर्शाती है।
• तीसरी तीली का मतलब है ‘शांति’, जो देश में शांति व्यवस्था बनाये रखने की सलाह देती है।
• चौथी तीली का मतलब है ‘त्याग’, जो देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना का महत्त्व दर्शाती है।
• पांचवीं तीली का मतलब है ‘शील’जो व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता का महत्त्व सिखाती है।
• छठवीं तीली का मतलब है ‘सेवा’जो देश एवं समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित करती है।
• सातवीं तीली का मतलब है ‘क्षमा’जो मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना को दर्शाती है।
• आठवीं तीली का मतलब है ‘प्रेम’ जो देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना को दर्शाती है।
• नौवीं तीली का मतलब है ‘मैत्री’ जो मानव जीवन में मैत्री का महत्त्व सिखाती है।
• दसवीं तीली का मतलब है ‘बंधुत्व’जो देश प्रेम एवं बंधुत्व का महत्त्व सिखाती है।
• ग्यारहवीं तीली का मतलब है ‘संगठन’ जो राष्ट्र की एकता और अखंडता को दर्शाती है।
• बारहवीं तीली का मतलब है ‘कल्याण’ जो देश व समाज के लिये कल्याणकारी कार्यों में भाग लेने के लिए प्रेरित करती है।
• तेरहवीं तीली का मतलब है ‘समृद्धि’जो देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।
• चौदहवीं तीली का मतलब है ‘उद्योग’ जो देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करने के लिए प्रेरित करती है।
• पंद्रहवीं तीली का मतलब है ‘सुरक्षा’ जो देश की सुरक्षा में योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।
• सोलहवीं तीली का मतलब है ‘नियम’ जो निजी जिंदगी में नियम का महत्व सिखाती है।
• सत्रहवीं तीली का मतलब है 'समता' जो समता मूलक समाज की स्थापना करने के लिए प्रेरणा देती है।
• अठारहवी तीली का मतलब है 'अर्थ' जो धन का सदुपयोग करने का अर्थ सिखाती है।
• उन्नीसवीं तीली का मतलब है 'नीति' देश की नीति के प्रति निष्ठा रखने का महत्त्व सिखाती है।
• बीसवीं तीली का मतलब है 'न्याय' सभी के लिए न्याय की भावना रखने के लिए प्रेरित करती है।
• इक्कीसवीं तीली का मतलब है 'सहकार्य' जो आपस में मिलजुल कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
• बाईसवीं तीली का मतलब है 'कर्तव्य' जो कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करने के लिए प्रेरित करती है।
• तेईसवी तीली का मतलब है 'अधिकार' जो अधिकारों का सदुपयोग करना सिखाती है।
• चौबीसवीं तीली मतलब है 'बुद्धिमत्ता' जो देश की समृधि के लिए स्वयं का बौद्धिक विकास करने के लिए प्रेरित करती है।
अशोक चक्र का महत्व (Ashok Chakra Ka Mahatva)
• धर्म चक्र का प्रतीक:- अशोक चक्र भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए ‘धर्म चक्र प्रवर्तन’ का प्रतीक है। यह धर्म, सत्य, न्याय और प्रगति का प्रतीक है।
• गति और प्रगति का प्रतीक:- अशोक चक्र यह दर्शाता है कि जीवन में हमेशा गति और परिवर्तन आवश्यक है। रुकावट को जीवन का हिस्सा नहीं होना चाहिए।
• राष्ट्रीयता का प्रतीक:- अशोक चक्र भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में एकता, कानून और समानता का प्रतीक है। यह हमें न्यायपूर्ण समाज के निर्माण की प्रेरणा देता है।
अशोक चक्र से जुड़े कुछ तथ्य (Ashok Chakra Facts In Hindi)
• धर्मचक्र का प्रतीक 'अशोक चक्र' को 'कर्तव्य का पहिया' भी कहा जाता है।
• अशोक चक्र बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म, और जैन धर्म की आकृतियां अंकित की गई है।
• अशोक चक्र से पहले, ध्वज में चरखा रखा गया था।
• अशोक चक्र को राष्ट्रीय ध्वज में शामिल करने के बाद,चरखा हटा दिया गया।
• अशोक चक्र अशोक स्तंभ के शेर शीर्ष पर भी प्रमुखता से अंकित है।