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Article 370 Restoration : विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव अंधेरों की आहट

Article 370 Restoration : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर की धरती पर अनेक सकारात्मक स्थितियां उद्घाटित हुई है, विशेषतः लोकतंत्र को जीवंतता मिली है, वहां की अवाम ने चुनावों में बढ़-चढ़कर भाग लिया, शांति एवं विकास से इस प्रांत में एक नई इबारत लिखी जाने लगी है।

Lalit Garg
Written By Lalit Garg
Published on: 7 Nov 2024 3:28 PM IST
Article 370 Restoration : विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव अंधेरों की आहट
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Article 370 Restoration : नेशनल कॉन्फ्रेंस एवं उमर अब्दुला सरकार ने सदन में अपने बहुमत का लाभ उठाते हुए बुधवार को बिना अनुच्छेद 370 की पुर्नबहाली शब्द का इस्तेमाल कर, विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव तीखी झड़पों, हाथापाई, लात-घूंसे एवं शोरशराबे के बीच ध्वनिमत से पारित करा, साबित कर दिया है, वह पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ इस होड़ में पीछे रहने के मूड में नहीं है। ऐसा लगता है कि जम्मू कश्मीर में अलगाववाद और तुष्टिकरण की राजनीति फिर से परवान चढ़ने लगी है, आम कश्मीरी अवाम को गुमराह कर उसे बर्बादी की तरफ धकेलने की कुचेष्टाएं प्रारंभ हो गयी है। इस पारित प्रस्ताव में केंद्र सरकार से कहा गया है कि वह विशेष दर्जा वापस देने के लिए राज्य के प्रतिनिधियों से बातचीत करे।

बुधवार को नवगठित राज्य विधानसभा में जब यह प्रस्ताव उप-मुख्यमंत्री सुरिंदर सिंह चौधरी ने पेश किया, तभी यह स्पष्ट हो गया था कि चौधरी का चयन ही इसलिए किया गया है कि भारतीय जनता पार्टी इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश न कर सके। लेकिन भाजपा ने एक विधान एक निशान और राष्ट्रवाद के प्रति अपनी संकल्पबद्धता को दोहराते हुए इस प्रस्ताव का विरोध कर बताया कि वह प्रत्यक्ष तो क्या परोक्ष तौर पर भी किसी को घड़ी की सुइयां पीछे मोड़ने की अनुमति नहीं देगी। जब तक केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की नरेन्द्र मोदी सरकार है, कोई भी अनुच्छेद 370 और 35ए को वापस नहीं ला सकता। अनुच्छेद 370 एक मरा हुआ सांप है, जिसे वह एक गले से दूसरे गले में डाल, जहर, आतंक एवं हिंसा फैलाने के षडयंत्र को सफल नहीं होने देगी। कश्मीर के नेताओं को समझना ही होगा कि पूरे भारत में अनुच्छेद 370 को लेकर जैसा जनमानस है, उसे देखते हुए अनुच्छेद 370 की वापसी असंभव है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर की धरती पर अनेक सकारात्मक स्थितियां उद्घाटित हुई है, विशेषतः लोकतंत्र को जीवंतता मिली है, वहां की अवाम ने चुनावों में बढ़-चढ़कर भाग लिया, शांति एवं विकास से इस प्रांत में एक नई इबारत लिखी जाने लगी है। जम्मू-कश्मीर हमारे देश का वो गहना है जिसे जब तक सम्पूर्ण भारत के साथ जोड़ा नहीं जाता, वहां शांति, आतंकमुक्ति एवं विकास की गंगा प्रवहमान नहीं होती, अधूरापन-सा नजर आता रहा है। इसलिए इसे शेष भारत के साथ हर दृष्टि से जोड़ा जाना महत्वपूर्ण है और यह कार्य मोदी एवं उनकी सरकार ने करके एक नये सूरज को उदित किया है, अब उस सूरज को अस्त नहीं होने दिया जायेगा। बड़ी जद्दोजहद से वहां एक नया दौर शुरू हुआ है, अब इस सुनहरे एवं उजले दौर को स्वार्थी एवं सत्ता की अलगाववादी एवं विघटनकारी राजनीति की भेंट नहीं चढ़ने देना चाहिए।


भारत की महानता उसकी विविधता में है। साम्प्रदायिकता एवं दलगत राजनीति का खेल, उसकी विविधता में एकता की पीठ में छुरा भोंकता रहा है, घाटी उसकी प्रतीक बनकर लहूलुहान रही है। जब हम नये भारत-सशक्त भारत बनने की ओर अग्रसर हैं, विश्व के बहुत बड़े आर्थिक बाजार बनने जा रहे हैं, विश्व की एक शक्ति बनने की भूमिका तैयार करने जा रहे हैं, तब हमारे मस्तक के ताज जम्मू-कश्मीर को जाति, धर्म व स्वार्थी राजनीति से बाहर रखना सबसे बड़ी जरूरत है। इसी दिशा में घाटी को अग्रसर करने में मोदी सरकार के प्रयत्न सराहनीय एवं स्वागतयोग्य रहे हैं। घाटी की कमजोर राजनीति एवं साम्प्रदायिक आग्रहों का फायदा पडोसी उठा रहे हैं, जिनके खुद के पांव जमीन पर नहीं वे आंख दिखाते रहे हैं। अब ऐसा न होना, केन्द्र की कठोरता एवं सशक्तीकरण का द्योतक हैं। कश्मीर के तथाकथित राजनीतिक कर्णधारों! अलगाववाद और तुष्टिकरण की राजनीति छोड़ो। अगर तेवर ही दिखाने हैं तो देश के दुश्मनों को दिखाओ, पड़ोसी देश के मंसूबों को निस्तेज करो। अतीत की राजनीतिक भूलों को सुधारना और भविष्य के निर्माण में सावधानी से आगे कदमों को बढ़ाना, जम्मू-कश्मीर की चुनी हुई सरकार का संकल्प होना चाहिए।

विशेष राज्य का दर्जा पाने के मसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस जहां खड़ी है, पीडीपी उससे दो कदम आगे रहना चाहती है। ऐसे करके नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी सरीखे दल यहां अलगाववाद और एक वर्ग विशेष की तुष्टिकरण की राजनीति को जारी रखना चाहते हैं, वह यहां फिर से अलगाववाद को पैदा करना चाहते हैं, आम कश्मीरी अवाम को गुमराह कर उसे बर्बादी की तरफ धकेलना चाहते हैं, तभी अनुच्छेद 370 की बहाली का प्रस्ताव लाए हैं। जबकि अनुच्छेद 370 के हटने से घाटी में एक उजाला अवतरित हुआ है, अब फिर से घाटी को अंधेरों से नहीं घिरने देना चाहिए। भले ही नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर का चुनाव ही इसी घोषणा के साथ लड़ा और जीता है कि वह भारतीय संविधान में राज्य को उसका विशेष दर्जा वापस दिलाएगी। इसीलिये नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सत्ता में आते ही पहला काम यही किया और विधानसभा ने राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव पारित कर दिया।

नेशनल कान्फ्रेंस को लगता है कि विशेष दर्जे के मुद्दे से कुछ लोगों के तार भावनात्मक रूप से जुड़े हैं, इसलिए ज्यादा अतिवादी रूख अपनाकर इसका कुछ राजनीतिक फायदा उठाया जा सकता है। दोनों ही प्रमुख दल इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने की होड़ लगाते हुए दिख रहे हैं। तभी मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी थी कि यह पीडीपी का केवल प्रचार स्टंट है और उसके विधायक सिर्फ कैमरे के आगे आने के लिए यह सब कर रहे हैं। मगर उमर अब्दुल्ला जो बात पीडीपी के लिए कह रहे हैं, वही शायद उनके लिए भी कही जा सकती है, वरना वह भी यह जानते हैं कि 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के जिस अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया था, उसकी वापसी अब इतनी आसान नहीं है। वैसे भी, इतना तो उन्हें पता ही होगा कि सिर्फ विधानसभा में प्रस्ताव पारित हो जाने भर से अनुच्छेद 370 वापस आने वाला नहीं है। फिर इस समय केंद्र में भाजपा सरकार है, जो किसी भी तरह से इस पर विचार करने के मूड में नहीं है। उसकी नजर में यह एक कागज का टूकड़ा है, जो बिना विचार के रद्दी की टोकड़ी में ही जाने वाला है।


अनुच्छेद 370 को लेकर कश्मीर की जनता और राजनेताओं, दोनों को समझना ही होगा कि 70 साल तक विशेष दर्जा होने के बावजूद इससे राज्य का कोई बहुत भला नहीं हुआ। देश की मूल धारा से कटकर यह प्रांत अंधेरों से घिरा रहा है। हिंसा एवं आतंकवाद की त्रासदी को झेलते हुए विकास एवं शांति की बाट जोहता रहा है। अब विशेष दर्जा हटाने का राज्य को बहुत लाभ मिला है, वहां विकास एवं जनकल्याण के काम तेजी से हो रहे हैं, न केवल विकास योजनाएं आकार ले रही है, बल्कि वहां शांति एवं सौहार्द का वातावरण बना है, आतंकवादी घटनाओं पर भी नियंत्रण किया जा सका है। मोदी की सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विकास को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया है। देश के साथ दुनिया को यह संदेश दिया गया कि कश्मीर में किसी का हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं, कश्मीर भारत का ताज है और हमेशा रहेगा।

घाटी के राजनीतिक दलों को वहां के अवाम के हित में सोचना चाहिए। क्योंकि अनुच्छेद 370 के खत्म होने से राज्य का कोई नुकसान हुआ, ऐसा नहीं दिखता। इसलिए जम्मू-कश्मीर को अब ऐसी राजनीति की जरूरत है, जो विशेष दर्जे से इतर तरक्की का नया खाका खींचे। अनुच्छेद 370 का खत्म होना इसलिये ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि वहां के लोगों ने साम्प्रदायिकता, राष्ट्रीय-विखण्डन, आतंकवाद तथा घोटालों के जंगल में एक लम्बा सफर तय करने के बाद अमन-शांति, सौहार्द एवं विकास को साकार होते हुए देखा है। उनकी मानसिकता घायल थी तथा जिस विश्वास के धरातल पर उसकी सोच ठहरी हुई थी, वह भी हिली है। जम्मू-कश्मीर में शांति और सौहार्द के साथ लोकतंत्र और विकास की नई इबारत लिखी गयी है। जम्मू-कश्मीर को अशांत और संवेदनशील क्षेत्र बनाए रखने की कोशिश में लगे तत्वों एवं राजनीतिक दलों से सावधान रहने की जरूरत है, भले ही वे नेशनल कॉन्फ्रेंस हो या पीडीपी या अन्य पाकिस्तान परस्ती राजनीतिक दल।



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Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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