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Modi 3.0: नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने - क्या ये काँटों भरा ताज है ??

Modi 3.0: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी चतुराई के साथ मंत्रिपरिषद का गठन किया है और उसमें सभी को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया है।

Mrityunjay Dixit
Written By Mrityunjay Dixit
Published on: 11 Jun 2024 11:03 PM IST
Narendra Modi
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Narendra Modi: Photo- Social Media

Modi 3.0: स्वर्गीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद प्रधनमंत्री मोदी लगातार तीसरी बार गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बनकर कीर्तिमान स्थापित करने में सफल हो गये हैं। नौ जून को उन्होंने 72 सदस्यीय मंत्रिमंडल के साथ, औपचारिक रूप से शपथ ले ली है। अगली सुबह ही उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर कार्यभार संभाल लिया और किसान सम्मान निधि की फाइल पर हस्ताक्षर किए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शपथ ग्रहण का सीधा प्रभाव असर शेयर बाजार पर दिखाई दिया जो नयी ऊंचाइयों तक पहुंच गया। ये प्रमाण है कि भारत के विकास के लिए सहयोग करने वाले निवेशकों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर पूरा विश्वास है।

Photo- Social Media

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नये मंत्रिमंडल में उनके अपने तथा भारतीय जनता पार्टी के विचारों का स्पष्ट समन्वय दिख रहा है। मंत्रिपरिषद में एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना भी परिलक्षित हो रही है। मोदी मंत्रिपरिषद में अनुभवी चेहरों के साथ युवा तथा पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने में सफल रहे राजनेताओं को भी स्थान मिला है। मोदी मंत्रिपरिषद में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी मंत्री बनाकर उनका कद बढ़ाया गया है। जिन राज्यों में भाजपा को अच्छे परिणाम प्राप्त मिले हैं जैसे कि मध्य प्रदेश वहां से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कद बढ़ाया गया है जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी को मंत्री बनाकर एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास किया है। मंत्रिमंडल में उन राज्यों को भी पर्याप्त जगह देकर साधने का प्रयास किया गया है जहां पर वर्ष के आखिरी माह में या फिर 2025 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल गठन से यह नहीं लग रहा है कि भाजपा नेतृत्व पर सहयोगी दलों का किसी प्रकार का दबाव था जबकि सोशल तथा मुख्यधारा मीडिया में इस तरह की अफवाहों का बाजार लगातार गर्म रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी चतुराई के साथ मंत्रिपरिषद का गठन किया है और उसमें सभी को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया है। दक्षिण में तमिलनाडु से एक भी जीत न मिलने के बावजूद तीन मंत्री बनाकर तमिल मतदाता को साधने का भरपूर प्रयास किया गया है। 24 राज्यों से 72 मंत्री बनाये गये हैं जिसमें सबसे अधिक, उत्तर प्रदेश से 11 मंत्री हैं । यद्यपि भाजपा को पूर्ण बहुमत के पार जाने से रोकने में उत्तर प्रदेश ने ही बाधा डाली है तथापि प्रधानमंत्री ने उप्र की जनता को अकेला नहीं छोड़ा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 72 सदस्यीय मंत्रिपरिषद में ओबीसी, एससी, एसटीऔर अल्पसंख्यक समाज के 47 मंत्री बनाये गये हैं। यहां पर यह ध्यान देने कि बात है कि अल्पसंख्यक समाज से कोई मुस्लिम नहीं अपितु ईसाई, सिख और बौद्ध समाज से मंत्री बनाइ गए हैं। इन मंत्रियों की संख्य 45 है। ओबीसी समाज के रिकार्ड 27 मंत्री हैं। मोदी मंत्रिपरिषद में समाज के हर वर्ग तक अपनी पहुंच बनाकर रखने के उद्देश्य से अत्यंत पिछड़ा वर्ग से भी दो मंत्री बनाये गये हैं। 10 एससी व 5 एसटी समुदाय के लोगों को मंत्री बनाकर सबका साथ - सबका विकास के नारे को धरातल पर उतारते हुए सामाजिक न्याय की पूरी गारंटी देने का स्पष्ट व सकारात्मक संदेश दे दिया है ।

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मोदी मंत्रिपरिषद में नारी सशक्तीकरण की भावना को प्रबल करने के लिए सात महिलाओं को भी स्थान मिला है किंतु यह 33 प्रतिशत आरक्षण वाले कानून से बहुत कम है। जातीय समीकरणों को साधने के लिए इस बार मोदी मंत्रिमंडल में आठ ब्राह्मण ,तीन राजपूत सहित भूमिहार, यादव, जाट, कुर्मी, मराठा, वोक्कालिंगा समुदाय से तथा दो मंत्री सिख समुदाय से भी है जिसमें जाट, पंजाबी खत्री हैं । इअके अतिरिक्त निषाद, लोध जाति सहित महादलित व बंगाल के प्रभावशाली मतुआ समाज के साथ अहीर, गुर्जर, खटिक व बनिया से भी एक- एक नेता को मंत्री बनाकर समाज को बांधने प्रयास किया गया है।

यह मोदी सरकार का सबसे बड़ा मंत्रिपरिषद है, 2014 में मोदी मंत्रिमंडल में केवल 45 मंत्री ही थे जबकि 2019 में 58 मंत्री बनाये गये थे तब भारतीय जनता पार्टी को अकेला बहुमत प्राप्त था जबकि इस बार भाजपा अकेले दम पर बहुमत से दूर रह गयी है और उसे सरकार चलाने के लिए कदम- कदम पर सहयोगी दलों की ओर मुंह ताकना पड़ेगा इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्तमान सरकार कांटो भरा ताज है क्योकि भाजपा को अकेले दम पर पूर्ण बहूमत नहीं प्राप्त हुआ है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सभी संबोधनों में अपनी वर्तमान सरकार को गठबंधन की सरकार कहकर संबोधित कर रहे हैं। सहयोगी दलो के नेता अग्निवीर योजना की समीक्षा पर बल दे रहे हैं जबकि बिहार व आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग बहुत पुरानी चली आ रही है।

विपक्ष अब गठबंधन सरकार को डगमगाने के लिए जातीय जनगणना कराने पर बल देगा और बार -बार नीतीश कुमार जैसे सहयोगियों पर दबाव बनाने का प्रयास करेगा। संसद में विपक्ष मजबूत है और लगातार सरकार को घेरने का प्रयास करेगा। जब 2014 व 2019 में भाजपा को अकेले दम पर पूर्ण बहुमत प्राप्त था तब भी कांग्रेस व विपक्ष ने किस प्रकार से संसद को बार बार ठप रखा यह देश की जनता ने अच्छी तरह से देखा है। एक बार फिर अपनी हार स्वीकार करने से कतरा रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 4 जून को चुनाव परिणाम घोषित होने के समय शेयर बाजार में मची उथल -पुथल की जेपीसी की जांच कराने की मांग कर दी है। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी संसदीय दल की बैठक में पहले ही संकेत कर चुकी हैं कि अब संसद पहले की तरह नहीं चलने वाली जिस तरह से यह लोग दस साल से चला रहे थे।

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यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद नये मंत्रियों को सन्देश दिया है कि अब तुरंत काम पर जुट जाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नवनिर्वाचित सांसदों से साफ कहा कि संयमित रहें और ऐसा कोई काम न करें कि जिसका नकारात्मक असर हो। प्रधनमंत्री का कहना है कि देश अभी महत्वपूर्ण पड़ाव पर है।अगले पांच साल के कामकाज तय करेंगे कि भारत कितनी जल्दी विकसित राष्ट्र बनेगा। इसके लिए दिन रात एक करना पड़ेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लिए भगवान शिव की तरह विषपान करते हुए राष्ट्र प्रथम की भावना के अनुरूप तथा वर्तमान समय में राष्ट्र हित में जितने भी कार्य चल रहे हैं वह चलते रहें और देश गलत हाथों में न चले जाये इसलिए गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगर पांच वर्ष तक गठबंधन सरकार चलाते हुए भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प लिया है और जनता को गारंटी दी है तो वह अपनी गारंटी को पूरा करना भी जानते हैं।



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Shashi kant gautam

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