सनातन धर्म में कार्तिक मास को सबसे पवित्र महीना माना गया है। दीपावली और छठ के बाद इस महीने में अक्षय नवमी का पर्व आता है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ होता है।
अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और माना जाता है कि इस दिन किए गए सभी पुण्य कर्म अक्षय यानी कभी नष्ट नहीं होते।
इस साल अक्षय नवमी का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह तिथि 30 अक्टूबर सुबह 10:06 बजे से शुरू होकर 31 अक्टूबर सुबह 10:03 बजे तक रहेगी।
अक्षय नवमी की पूजा के लिए सबसे शुभ समय सुबह 6:06 बजे से 10:03 बजे तक रहेगा। इस समय के बीच पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि यह वृक्ष भगवान विष्णु का प्रतीक है, इसलिए इसकी पूजा से जीवन में समृद्धि आती है।
सुबह स्नान कर आंवले के पेड़ की जड़ में दूध और जल चढ़ाएं। इसके बाद रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप और फल अर्पित करें। श्रद्धा से पूजा करने पर विष्णु कृपा प्राप्त होती है।
आंवले के पेड़ की सात बार परिक्रमा करना इस दिन अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
अक्षय नवमी के दिन आंवले को प्रसाद के रूप में खाने से शरीर को आरोग्य और ऊर्जा मिलती है। इसे भगवान विष्णु का प्रिय फल माना जाता है।
कहते हैं जो भक्त अक्षय नवमी के दिन आंवले की पूजा करता है, उसे पूरे वर्ष श्रीहरि विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। उसके जीवन में धन, सुख और शांति बनी रहती है।
यह दिन हमें प्रकृति और आस्था दोनों का सम्मान करने की प्रेरणा देता है। आंवले का पेड़ सिर्फ एक वृक्ष नहीं, बल्कि समृद्धि, स्वास्थ्य और धर्म का प्रतीक है।