Dev Uthani Ekadashi 2025: इस साल क्यों नहीं होंगी शादियाँ?
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इस साल देवउठनी एकादशी 1 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। इसी दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के बाद ही विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मंगल कार्य शुरू किए जाते हैं। यह दिन शुभता का प्रतीक माना जाता है।
हालाँकि, देवउठनी एकादशी शुभ मानी जाती है, लेकिन इस साल फिर से बड़ी ग्यारस पर शादियाँ नहीं होंगी। यह निर्णय सूर्य की स्थिति को देखते हुए लिया जाता है।
ज्योतिष के अनुसार, जब तक सूर्य वृश्चिक राशि में नहीं आते, तब तक विवाह के शुभ मुहूर्त नहीं शुरू होते इस साल सूर्य 16 नवंबर को वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे।
1 नवंबर को जब देवउठनी एकादशी आएगी, उस समय सूर्य तुला राशि में रहेंगे। इसलिए इस दिन विवाह संपन्न कराना शुभ नहीं माना गया है।
धार्मिक मान्यता है कि विवाह जैसे महत्वपूर्ण संस्कार सूर्य की सही चाल और ग्रह-नक्षत्र के अनुसार ही किए जाते हैं। इसे परिवार की समृद्धि और सुख-शांति से जोड़ा जाता है
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा होती है। लोग तुलसी विवाह भी करते हैं, जो शुभ फल प्रदान करता है।
इस दिन से हरि सब्जियों, मौसमी फलों और विशेष रूप से आंवला खाने की परंपरा शुरू हो जाती है। माना जाता है कि यह सेहत और पुण्य दोनों देता है।
तुलसी विवाह को भगवान विष्णु और तुलसी के मिलन का प्रतीक माना जाता है। इसे करने से परिवार में खुशहाली और रिश्तों में मिठास बढ़ती है।
यह पर्व हमें बताता है कि जीवन में हर शुभ कार्य सही समय पर ही फल देता है। धैर्य, परंपरा और विश्वास ही हिंदू संस्कृति की पहचान हैं।