रोज मंदिर जाना जरूरी या नहीं? जानें असली राज

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धर्म केवल मंदिर जाने तक सीमित नहीं है। प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं सच्चा मंदिर आपके मन के भीतर है। अगर मन साफ और निर्मल है तो भगवान वहीं विराजते हैं।
मंदिर रोज न जा पाने से आप अधूरे नहीं होते। सच्चा भक्त वही है जो किसी का दिल न दुखाए और हर किसी से प्रेमपूर्वक व्यवहार करे।
भगवान तक पहुँचने का रास्ता केवल पूजा-पाठ से नहीं बल्कि अच्छे कर्मों और पवित्र विचारों से बनता है।
प्रेमानंद जी महाराज का संदेश है। मंदिर तभी सार्थक है जब मन में ईर्ष्या, नफरत और बुरे विचार न हों।
अगर कोई रोज मंदिर जाए लेकिन बाहर आकर दूसरों का दिल दुखाए, तो उसकी पूजा निरर्थक है।
घर बैठे भी भगवान को पाया जा सकता है, बस मन को साफ और भावनाओं को पवित्र रखना जरूरी है।
माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा करना उतना ही पुण्यकारी है जितना मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करना।
प्रेमानंद जी महाराज ने समझाया भगवान पत्थर की मूर्तियों तक सीमित नहीं हैं, वे हर जीव और हर रिश्ते में बसे हुए हैं।
सच्ची पूजा वही है जिसमें ईमानदारी, करुणा और प्रेम का भाव जुड़ा हो।
धर्म का असली अर्थ मंदिर जाना नहीं, बल्कि हर पल अच्छे विचार और अच्छे कर्म करना है। यही सबसे बड़ी भक्ति है।