शनि देव को न्याय के देवता कहा जाता है। उनके क्रोध से बड़े-बड़े राजा-महाराजा भी डरते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्वयं शनिदेव भी कुछ शक्तियों से डरते हैं?
मान्यता है कि शनिदेव हनुमान जी से सबसे ज्यादा डरते हैं, जो व्यक्ति हनुमान जी की नियमित पूजा करता है, उस पर शनि की साढ़ेसाती या ढैया का असर कम हो जाता है।
शनि महाराज भगवान श्रीकृष्ण को अपना इष्ट मानते हैं। कोकिला वन में वर्षों तपस्या करने के बाद श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए थे। तभी से शनि अपने भक्तों पर श्रीकृष्ण की कृपा होने पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डालते।
कहा जाता है कि शनिदेव पीपल के पेड़ से भी डरते हैं। शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि दोष दूर हो जाता है।
एक कथा के अनुसार, शनिदेव अपनी पत्नी के शाप से भी डरते हैं। जब उन्होंने ध्यान में लीन होकर पत्नी की उपेक्षा की, तो पत्नी ने उन्हें शाप दिया। तभी से वे अपनी पत्नी का सम्मान करने लगे।
शनिदेव भगवान शिव को अपना गुरु मानते हैं। एक बार शिवजी ने उन्हें सबक सिखाने के लिए दंड दिया था। तब से शनिदेव उनके प्रति गहरी श्रद्धा और भय रखते हैं।
शनिदेव सूर्यदेव के पुत्र हैं। दोनों के बीच मतभेद रहे, लेकिन शनिदेव हमेशा पिता के प्रति सम्मान और डर का भाव रखते हैं।
शनिदेव कभी किसी को बिना कारण कष्ट नहीं देते। वे केवल उन्हीं को दंड देते हैं जिनके कर्म बुरे होते हैं।
शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ, पीपल की पूजा और गरीबों को दान करने से शनि दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
शनिदेव स्वयं भी कुछ शक्तियों का सम्मान करते हैं यही उन्हें न्यायप्रिय देवता बनाता है। उनकी पूजा में भक्ति और सत्य के साथ किया गया हर कर्म, उनके आशीर्वाद का पात्र बनाता है।