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मतदान सबसे बड़ा राष्ट्रधर्म है- नाईक
प्रदेश आबादी की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से केवल तीन देश अमेरिका, चीन और इण्डोनेशिया ही उत्तर प्रदेश से बड़े हैं।
लखनऊः प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा जनतांत्रिक देश है जो संविधान के अनुरूप चलता है। संविधान ने 18 वर्ष व उससे अधिक के भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार दिया है। निकट भविष्य में लोकसभा के चुनाव के लिए मतदान होगा। चुनाव को मतदाता की भागीदारी के बिना पूरा नहीं किया जा सकता। ऐसे समय में मतदान सर्वश्रेष्ठ दान है। स्वयं भी मतदान करें और दूसरों को भी मतदान के लिए प्रेरित करें। मतदान सबसे बड़ा राष्ट्रधर्म है।
आज माधव सभागार, निरालानगर में भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा आयोजित 24वें भाऊराव देवरस स्मृति सेवा सम्मान समारोह में श्री विश्वनाथ प्रधान (कन्धमाल, उड़ीसा) को शराब मुक्ति के लिए तथा श्री पुरूषोत्तम पाण्डुरंग कामत (बारदेश, गोवा) को मातृभाषा प्रोत्साहन के लिए अंगवस्त्र, अभिनन्दन पत्र, श्रीफल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री कृष्ण गोपाल, श्री ब्रह्मदेव शर्मा सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।
राज्यपाल ने भाऊराव देवरस सेवा न्यास को निरन्तर 24 वर्ष से भाऊराव स्मृति सेवा सम्मान आयोजित करने के लिए बधाई देते हुए कहा कि संस्था सामाजिक कार्य के माध्यम से दूसरों को प्रेरित करने वाली संस्था है। स्वर्गीय भाऊराव देवरस ने जो सेवा का छोटा पौधा रोपा था, वह आज कभी न समाप्त होने वाला अक्षय वट जैसा स्थापित हो गया है। राज्यपाल ने कहा कि श्री पुरूषोत्तम पाण्डुरंग कामत ने गोवा में मराठी और कोंकणी भाषा में शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया तथा ‘भारतीय भाषा सुरक्षा मंच’ की स्थापना की एवं श्री विश्वनाथ प्रधान ने उड़ीसा के दूरस्थ क्षेत्र के सौ गांवों में नशा मुक्ति का सराहनीय कार्य किया है।
नाईक ने कहा कि सम्मान समारोह से जहां महानुभावों के विशिष्ट कार्यों को मान्यता मिलती है वहीं उनके कार्यों से लोग प्रेरणा भी प्राप्त करते हैं। उड़ीसा और गोवा में काम करने वालों का उत्तर प्रदेश में सम्मान होना वास्तव में महत्व की बात है। उत्तर प्रदेश आबादी की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से केवल तीन देश अमेरिका, चीन और इण्डोनेशिया ही उत्तर प्रदेश से बड़े हैं। शिक्षा के माध्यम पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मातृभाषा में प्रदान की जाने वाली शिक्षा बालकों के लिए ज्यादा उपयोगी होती है।
इस अवसर पर सत्कारमूर्ति विश्वनाथ प्रधान एवं पुरूषोत्तम पाण्डुरंग कामत ने भी अपने विचार रखे। समारोह में अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह व श्रीफल से राज्यपाल का सम्मान भी किया गया तथा न्यास पर आधारित एक वृत्त चित्र का भी प्रदर्शन किया गया।
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