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झारखंड: कांग्रेस विधायक दल की बैठक, मंत्रियों के कार्यों की हुई समीक्षा
29 दिसंबर को झारखंड सरकार का एक साल पूरा होने जा रहा है। इससे पहले रांची में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई। इस दौरान पार्टी कोटे के चार मंत्रियों के कार्यों की समीक्षा की गई।
29 दिसंबर को झारखंड सरकार का एक साल पूरा होने जा रहा है। इससे पहले रांची में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई। इस दौरान पार्टी कोटे के चार मंत्रियों के कार्यों की समीक्षा की गई। कांग्रेस कोटे से रामेश्वर उरांव को वित्त विभाग का ज़िम्मा है। आलमगीर आलम को ग्रामीण विकास विभाग की ज़िम्मेदारी दी गई है। जबकि, बादल पत्रलेख को कृषि और बन्ना गुप्ता को स्वास्थ्य विभाग का कामकाज देखना है। बुधवार को हुई बैठक में विभागीय मंत्रियों के कामकाज को संतोषजनक बताया गया। कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि, नए साल में नई उत्साह के साथ सरकार काम करेगी।
कांग्रेस विधायकों की नाराज़गी
कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम पार्टी कोटे के मंत्रियों के कामकाज से संतुष्ट हैं। हालांकि, कांग्रेस के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है। जामताड़ा से कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी लगातार पार्टी के कामकाज को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं। इतना ही नहीं अपनी बात को रखने जामताड़ा विधायक दिल्ली दरबार तक पहुंच चुके हैं। इरफान अंसारी की शिकायत है कि, क्षेत्र में विकास के कार्य नहीं हो रहे हैं। विभागीय अधिकारी विधायकों की बात नहीं सुन रहे हैं।
विकास के कार्य नहीं होने से जनता के बीच उनकी छवि खराब हो रही है। बड़कागांव की विधायक अंबा प्रसाद भी सरकारी कामकाज पर सवाल खड़ी कर चुकी हैं। पिछले दिनों ही उन्होने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में अपने कार्यकर्ताओं के साथ धरना दिया। बाद में मुख्यमंत्री को मामले में दखल देना पड़ा।
कांग्रेस का संगठन कमज़ोर
झारखंड में भले ही कांग्रेस की सहयोग से सरकार बनी हो लेकिन प्रदेश में पार्टी का संगठन बेहद कमज़ोर है। पार्टी में नेता ज्यादा और कार्यकर्ता कम हैं। स्थिति ये है कि, पार्टी से नए लोगों को जोड़ने के लिए कोई भी कार्यक्रम नहीं चलाया गया है। संगठन विस्तार पर ज़ोर नहीं देने की वजह से दिनों दिन पार्टी कमज़ोर होती जा रही है। संगठनात्मक चुनाव पर भी पार्टी का ध्यान नहीं है। विभिन्न प्रकोष्ठ का गठन भले ही कर दिया गया हो लेकिन सक्रियता का अभाव दिखता है।
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कांग्रेस में गुटबाज़ी
झारखंड कांग्रेस में गुटबाज़ी चरम पर है। पार्टी भले ही एक हो लेकिन दल के अंदर कई गुट हैं। सभी गुट एक दूसरे के ख़िलाफ़ काम करते हैं। विधानसभा चुनाव से पहले जो पार्टी नेता दूसरे दलों में चले गए उन्हे वापस लाने को लेकर एकराय नहीं है। बावजूद इसके पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार दिल्ली से आशीर्वाद लेकर दोबारा पार्टी में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस के अंदर उनका अपना गुट है जो इन दिनों एक्टिव है। इसी तरह चुनाव के समय भाजपा में शामिल हुए पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत भी पार्टी में आना चाहते हैं।
कांग्रेस के अंदर उनका अलग खेमा है। कांग्रेस सांसद रहे प्रदीप बलमुचू भी पार्टी में आने के रास्ते तलाश रहे हैं। कांग्रेस के अंदर उनकी अच्छी पैठ रही है। लिहाज़ा, उनके आने से एक और गुट ज़िंदा हो जाएगा। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि, झारखंड में भले ही कांग्रेस सत्ता में हो लेकिन पार्टी रसातल में जाती दिख रही है।
रिपोर्टर- शाहनवाज़
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