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चक्रव्यूह तोड़ बच निकले केशव, कलियुग के अभिमन्यु नहीं है मौर्य
6माह के भीतर हम अपने भी कार्यो का पत्र जारी करेंगे- केशव मौर्य
आरबी त्रिपाठी
लखनऊ। घेराबंदी पूरी थी। सबके तरकशों में आरोपों में खतरनाक तीर थे। बड़े योद्धा तो मैदान के बाहर से रणनीति बना रहे थे, लेकिन रथों पर छोटे धनुर्धर तैयार थे। ऐसा चक्रव्यूह था कि कोई ऐसा वैसा होता तो धराशायी होना तय था, लेकिन भाजपा के केशव ने अपनी रणनीति से सबको पछाड़ दिया। अब वह मैदान में डटकर अपनी नई रणनीतियों को अंजाम दे रहे हैं और आगे की तैयारी में हैं।
तैयार थी मौर्य को घेरने की योजना
सूत्र बताते हैं कि दो बड़े नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के सामने प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की ऐसी तस्वीर पेश करने की योजना बनाई थी कि उन्हें ठीक से घेर दिया जाए। मौर्य को कहीं से इसकी भनक लग गई थी। लिहाजा उन्होंने अपने पद के अधिकारों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जिस पर वह उदारवादी रवैया अपनाए हुए थे। जिन कार्यकर्ताओं को शाह के सामने जाने दिया गया, उनके बारे में मौर्य मुतमइन थे कि वे शिकायत या विरोध नहीं करेंगे। कुछ ऐसे सिपहसालार लगाए गए थे कि अगर कोई हो-हल्ले की नौबत आती भी है तो वे हालात को संभाल सकें।
मौर्य ने नाकाम कर दी पूरी योजना
शाह के लखनऊ आने से पहले यहां से लेकर दिल्ली तक मौर्य के खिलाफ मीडिया में ऐसी खबरें चलवाई गई थीं कि लगा कि अब उन्हें दिल्ली जाना ही पड़ेगा। ऐसा भ्रमजाल कि सब कुछ उलट-पुलट के हालात का माहौल तैयार था। यहाँ तक कि मौर्य के विभाग में हुए कुछ तबादलों पर भी सवालिया निशान लगाती खबरें उड़वाई गईं। सूत्रों का कहना है कि इसी बीच केशव प्रसाद ने दिल्ली पहुंचकर जिम्मेदारों को सारी जानकारी दे दी और साजिशकर्ताओं के नाम तक गिना डाले।
इसके बाद लखनऊ आकर अपने प्रदेश अध्यक्ष वाला अधिकार का इस्तेमाल किया। साजिश में शामिल लोगों पर भरोसा करने के बजाय उन लोगों को आगे बढ़ाया जिन पर उन्हें भरोसा था। शाह के साथ कदम दर कदम रहे। अपने को पिछड़े समुदाय के ऐसे नेता के रूप में पेश करने की रणनीति बनाई कि नेतृत्व को वह अपरिहार्य लगें।
सूत्र तो यहाँ तक कहते है कि शाह के सामने जो पंचायत हुई, उसमें दो तीन नेताओं के बीच आमने सामने सवाल जवाब हुए। इस तरह उन्हें दिल्ली ठेलने की साजिश तो बेनकाब हो ही गई। मौर्य उन लोगों के मुकाबले विजयी बनकर उभरे जिन्होंने पूरा चक्रव्यूह तैयार किया था। इस तरह यह साफ हो गया कि केशव अब लखनऊ में ही रहेंगे।
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