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आम चुनाव से पहले भाजपा को झटका दे सकते हैं कुछ 'दलबदलू'
आने वाले कुछ दिनों में कुछ विधायकों, सांसदों और मंत्रियों का मोहभंग हो जाए तो कोई हैरत की बात नहीं होगी। दूसरे दलों से भाजपा में आए नेताओं ने अपनी पुरानी पार्टी में वापसी के तार जोड़ने शुरू कर दिये हैं। सपा और बसपा के बीच गठबंधन की अटकलों के बीच भाजपा में इन मौसम विज्ञानियों को जीत की उम्मीद कम नजर आने लगी हैं।
योगेश मिश्र
लखनऊ: राजनीतिक मौसम विज्ञानियों को भाजपा के मौसम में इन दिनों कुछ अच्छे दिन जैसा नहीं दिख रहा है, यही वजह है कि केंद्रीय सहयोगी ही नहीं राज्य सरकार में कबीना के साथी भी इन दिनों इधर उधर देखने लगे हैं। आने वाले कुछ दिनों में कुछ विधायकों, सांसदों और मंत्रियों का मोहभंग हो जाए तो कोई हैरत की बात नहीं होगी। दूसरे दलों से भाजपा में आए नेताओं ने अपनी पुरानी पार्टी में वापसी के तार जोड़ने शुरू कर दिये हैं। सपा और बसपा के बीच गठबंधन की अटकलों के बीच भाजपा में इन मौसम विज्ञानियों को जीत की उम्मीद कम नजर आने लगी हैं।
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इटावा के सांसद अशोक दोहरे और हाल फिलहाल भाजपा से कुट्टी करने वाली साध्वी सावित्रीबाई फूले ने सपा और बसपा में जगह बना ली है। सिर्फ 194 मतों के अंतर से भाजपा विधायक बने अवतार सिंह भडाना को भी अब भाजपा रास नहीं आ रही है। कांग्रेस से तीन बार सांसद रहे भड़ाना को यह उम्मीद थी कि उन्हें राज्य सरकार में मंत्री का ओहदा मिलेगा, परन्तु उन्हें निराश होना पड़ा।
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जल्द ही वह घर वापसी को अंजाम देने वाले हैं। पशुधन मंत्री एसपी बघेल सपा से लोकसभा व राज्य सभा दोनो सदनों के सदस्य रह चुके हैं। सपा से वह बसपा में भी गए हाल फिलहाल भाजपा से विधायक हैं लेकिन सपा व बसपा के पुराने रिश्ते उन्हें बहुत याद आने लगे हैं। कमोवेश मोहभंग की स्थिति में श्रममंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या भी हैं।
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भाजपा के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के आगे स्वामी प्रसाद मौर्या अपनी बिरादरी के दोयम दर्जे के नेता भाजपा में माने जा रहे हैं। हालांकि बसपा में वह अपनी बिरादरी के न वह सिर्फ सबसे बड़े नेता थे बल्कि पार्टी ने उन्हें पिछड़ों का एक चेहरा बनाकर भी पेश किया था। बसपा ने उन्हें सदन में विधानमंडल दल का नेता बनाया था। स्वामी प्रसाद मौर्या को केशव मौर्या से अपनी तुलना इन दिनों नहीं रास आ रही है। स्वामी प्रसाद मौर्या जनता दल की उपज हैं। वह सपा में भी रहे हैं। बसपा से निकलने के बाद उन्होंने लोकतांत्रिक बहुजन मंच नाम का संगठन भी बनाया था।
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