सिकंदरा सीट को लेकर बीजेपी और विरोधी कर रहे मंथन, बनी इज्जत का सवाल

Rishi
Published on: 2 Aug 2017 10:18 PM IST
सिकंदरा सीट को लेकर बीजेपी और विरोधी कर रहे मंथन, बनी इज्जत का सवाल
X

कानपुर : सिकंदरा विधानसभा सीट के अंतर्गत आता है पखौंर गांव। जिसने देश को 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दिए हैं। ये सीट बीजेपी एमएलए मथुरा प्रसाद पाल के निधन के बाद रिक्त घोषित हो चुकी है, और यहाँ जल्द ही उप चुनाव होना है। सत्ताधारी दल के पास होने के चलते ये सीट काफी खास है। जिसके चलते लखनऊ से लेकर दिल्ली तक राजनेता माथापच्ची कर रहें हैं। बीजेपी उपचुनाव में जीत के लिए किसी बड़े नाम को मैदान में उतारने का मन बना रही है। वहीं विपक्षी महागठबधंन इस सीट को कब्जे में लेकर 2019 आम चुनाव के लिए देश में अपने लिए कुछ जगह बनाने के प्रयास में है।

ये भी देखें:नोएडा प्लॉट घोटाला : यूपी की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव की सजा बरकरार

इस सीट पर सभी दलों की निगाहें गडी हुई हैं, सिकंदरा इस समय सभी पार्टियों के लिए हॉट सीट बनी हुई है। सभी चाहते हैं, कि उनका विधायक यहाँ से जीत विधान सभा में कदम रखे। बीजेपी हाई कमान ये सीट जीत अपनी लोकप्रिय सरकार के दावे को जहाँ और पुख्ता करना चाहती है। वहीँ विपक्ष जीत के बाद संदेश देना चाहता है, कि राष्ट्रपति के क्षेत्र की जनता ही भाजपा से नाखुश है। परिणाम क्या होगा, यह तो मतों की गिनती के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इस सीट ने नेताओं के माथे पर पसीना तो ला ही दिया है।

बताया जा रहा है, कि हाल ही में तीन दिन के लखनऊ दौरे पर आये भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस सीट को लेकर अलग से पदाधिकारियों के साथ बैठक की है। तो वहीं कांग्रेस के पूर्व सांसद राजाराम पाल जिलाध्यक्ष नीतम सचान भी दिल्ली में डेरा डाले हुये हैं। इसी तरह रनर प्रत्याशी रही सपा की सीमा सचान भी लखनऊ में बड़े नेताओं को विश्वास दिलाने में जुटी हैं, कि इस बार सीट पार्टी के खाते में आएगी।

सिकंदरा सीट के उप चुनाव को लेकर हालांकि अभी किसी पार्टी ने प्रत्याशियों के पत्ते नहीं खोलें। लेकिन चर्चाओं का दौर बराबर जारी है। बताया जा रहा है, भाजपा परंपरागत सहानुभूति के चलते मैदान में नहीं उतरने वाली है, यानी मथुरा प्रसाद के परिजनों को टिकट नहीं देना चाहती। परिजनों की जगह बीजेपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह पर दांव लगा सकती है।

इस सीट का मिजाज जातीय समीकरण को हवा देने वाला रहा है। लेकिन पिछले चुनाव में जातीय समीकरण ध्वस्त हो गए थे और यहाँ मथुरा प्रसाद ने कमल खिला जब को हैरत में डाल दिया। पिछले चुनावी नतीजों पर नजर डालें, तो यहां पर ज्यादातर कुर्मी बिरादरी का ही विधायक बना और पिछले चुनाव में भी रनर कुर्मी ही रहा। इसी को देखते हुए यह कयास लगाया जा रहा है, कि भाजपा कुर्मी बिरादरी से तालुक रखने वाले परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को चुनाव मैदान में उतार सकती है।

सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम कहते हैं कि 2017 विधानसभा चुनाव के बाद यह पहला चुनाव होने जा रहा है। महागठबंधन की ओर से किस पार्टी का प्रत्याशी होगा यह तो बैठक के बाद तय होगा। लेकिन यह तय है, कि इस चुनाव से भाजपा को पता चल जाएगा कि झूठ बोलकर जनता को अधिक दिनों तक बरगलाया नहीं जा सकता।

वहीँ भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रत्याशी का फैसला हाईकमान करेगा। लेकिन हम लोग पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि पिछली बार से अधिक वोटों से जीतेगें। महामहिम के साथ इस सीट को जोड़ना उचित नहीं है, हां यह काम विपक्ष जरूर कर सकता है।

Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!