Brand Modi: सब पर भारी ब्रांड मोदी, बहुत खास जानकारी इस वीडियो में...

Brand PM Narendra Modi: भाजपा अपने परफ़ॉर्मेंस में एक नया रिकार्ड दर्ज करेगी। यह ब्रांड मोदी का ही प्रभाव है जिससे महंगाई और स्थानीय नेतृत्व जैसे मुद्दों के प्रति लोगों के कथित असंतोष को महत्वहीन बना दिया।

Yogesh Mishra
Published on: 11 Feb 2023 6:19 PM IST
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Brand Modi: गुजराती चेतना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) के प्रभाव का ही नतीजा है कि हालिया विधानसभा चुनाव में गुजरात के लोगों ने एक नया अध्याय लिख दिया। भारतीय जनता पार्टी को अब तक का सबसे बड़ा आँकड़ा दिया। यह साबित कर दिया कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता जितनी पूरे देश में बढ़ी है ,उससे कम गुजरात में नहीं बढ़ी है। गुजरात के लिए नहीं देश के लिए भी नरेंद्र मोदी ब्रांड हैं। नरेंद्र मोदी की इज़्ज़त का सवाल जहां जहां आयेगा, वहाँ वहाँ ऐसे ही कीर्तिमान स्थापित होंगे। और वहाँ वहाँ भारतीय जनता पार्टी अपने परफ़ॉर्मेंस में एक नया रिकार्ड दर्ज करेगी। यह ब्रांड मोदी का ही प्रभाव है जिससे महंगाई और स्थानीय नेतृत्व जैसे मुद्दों के प्रति लोगों के कथित असंतोष को महत्वहीन बना दिया।

गुजरात के अपने तूफानी अभियान में प्रधानमन्त्री मोदी ने 35 रैलियां कीं। और चार रोड शो भी किये। मोदी ने अपने गृह राज्य के विभिन्न क्षेत्रों की यात्राओं के दौरान मतदाताओं से "भूपेंद्र के रिकॉर्ड को तोड़ने" का आग्रह किया। क्योंकि इस बार की जीत के बाद नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में वाम पथ के रिकार्ड को भी तोड़ कर के रख दिया। गुजरात के नतीजे बताते हैं कि गुजरात के लोगों ने नरेंद्र मोदी की बात सुनी। और उन पर अमल कर के दिखाया।

ऐतिहासिक उपलब्धि

चुनाव आयोग के आंकड़ों ने मतगणना के पहले भाग में ही भाजपा के वोट शेयर को 50 फीसदी से अधिक रखा। जो पार्टी के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसे आम आदमी पार्टी के उभरने के कारण विपक्ष के वोटों में विभाजन से मदद मिली। भाजपा की जीत पार्टी की व्यापक शासन संरचना, वैचारिक जोर और सबसे बढ़कर, मोदी में जनता के विश्वास की वजह से है। पीएम मोदी वास्तव में एक ऐसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं । जिनके सामने एंटी-इनकंबेंसी यानी सत्ता विरोधी रुझान भी फीका पड़ जाता है।

वास्तव में, उनकी लोकप्रियता समय के साथ बढ़ी है। वह जन-जन के नेता थे। अब जन-मन के नेता हैं ।यानी जनता और उनके दिलों के नेता हैं। लोगों को भाजपा, उसके विधायकों और उसकी सरकारों से दिक्कत हो सकती है। लेकिन नरेंद्र मोदी पर उनका भरोसा हर चीज पर हावी हो जाता है।

अपने चुनावी अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के चारों क्षेत्रों का व्यापक तौर पर दौरा किया। आदिवासी क्षेत्रों और सौराष्ट्र के कुछ हिस्सों पर विशेष जोर दिया गया। जहां पाटीदार आंदोलन सहित विभिन्न मुद्दों के चलते 2017 में भाजपा को गिरावट का सामना करना पड़ा था। इस बार की जीत में गुजरात में भाजपा को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा एकमात्र ऐसी पार्टी बना दिया जिसने लगातार सात विधानसभा चुनाव जीते। 1977 से 2011 तक वाम पंथ ने पश्चिम बंगाल में लगातार 34 साल तक शासन किया।

शुरुआत हुई 87 से

1987 से मोदी के साथ भाजपा के स्वर्णिम युग की एक नगरपालिका चुनाव से शुरूआत हुई। जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था। यह समय था 1987 का था। और उस समय भारतीय जनता पार्टी के स्तंभ लीडर हुआ करते थे-अटल बिहारी वाजपेयी । एक दिन उन्हें गुजरात के एक युवा संगठन सचिव से एक असामान्य सा अनुरोध मिला। यह युवक हाल में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भारतीय जनता पार्टी में आया था। युवक का अनुरोध था कि भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता अहमदाबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन के चुनाव में आयें। और प्रचार करें। वाजपेयी को यह प्रस्ताव अच्छा नहीं लगा । वह एक नगर निगम चुनाव के लिए बुलाए जाने से नाराज थे। लेकिन युवा राज्य सचिव अड़े रहे। उन्होंने कहा 1984 के बाद ये यह हमारी पहली बड़ी जीत होगी। उन्होंने वाजपेयी से कहा, अगर आप आएंगे तो अच्छा होगा। उस समय गुजरात में कांग्रेस का बोलबाला था।और भारतीय जनता पार्टी के पास गुजरात में केवल 11 विधायक थे।

पहला मेयर

आखिरकार, अटल बिहारी वाजपेयी राजी हो गए। शहर के राजेंद्र नगर में विजय चौक पर एक रैली को संबोधित करने आए। वहां बहुत बड़ी भीड़ ने उनका स्वागत किया। आयोजक नरेंद्र मोदी थे, जो उस समय केवल 37 वर्ष के थे। अहमदाबाद नगरपालिका चुनाव में भारतीय जनता पार्टी जीत गई। पार्टी को शहर में अपना पहला मेयर मिला। 1987 का एएमसी चुनाव गुजरात में भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उस चुनाव में मोदी ने दो काम किए। सबसे पहले, उन्होंने कॉडर और संगठन पर ध्यान केंद्रित किया। व्यक्तिगत रूप से 200 से अधिक लोगों को चुनावी सभाएं आयोजित करने का प्रशिक्षण दिया। पार्टी ने सैकड़ों नुक्कड़ बैठकों का अभ्यास किया। दूसरा, भाजपा की जीत के एक दिन बाद, नरेंद्र मोदी ने सभी उम्मीदवारों से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात की।

गुजरात की सबसे बड़ी पार्टी

दो साल बाद हुए संसदीय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी हो कर के उभरी। और 1995 में उसने उस उपलब्धि को राज्य के चुनावों में भी दोहराया। तब से भाजपा गुजरात का चुनाव आज तक नहीं हारी है।2022 के चुनाव में तो उसने राज्य की अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। भाजपा की ऐतिहासिक गुजरात जीत, ब्रांड मोदी और राज्य में पीएम की 35 रैलियों के बारे में बहुत कुछ बताया जाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मोदी के व्यक्तित्व और गुजराती पहचान के साथ उनकी अमिट पहचान ने एक बार फिर गुजरात को भाजपा के पाले में ला खड़ा किया है।

भाजपा की इस जीत की जड़ें कॉडर-निर्माण की एक गहरी प्रक्रिया और पार्टी के संगठन की ईंट-दर-ईंट की कड़ी मेहनत में निहित हैं। मोदी राज्य में पार्टी संगठन की इस रीढ़ के प्रमुख सूत्रधार रहे हैं। यह प्रक्रिया लंबे समय से मोदी के राजनीतिक स्टारडम और खुद ब्रांड मोदी के निर्माण से पहले की है। विचारधारा से परे, यह कॉडर-बिल्डिंग है । जो भारतीय जनता पार्टी को भरपूर लाभांश दे रही है।

2014 के बाद नई भाजपा के विकास की एक महत्वपूर्ण विशेषता कॉडर प्रबंधन के एक मॉडल के कार्यान्वयन, विस्तार और वितरण पर ध्यान केंद्रित करना रहा है । जो अंतिम-मील कार्यकर्ता पर केंद्रित था। यह पार्टी की जमीनी पहुंच बढ़ाने और वोट हासिल करने पर आधारित है। मोदी जब भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बने तो उन्होंने गुजरात में एक बैठक में ‘एक बूथ, 10 यूथ’ का नारा दिया था। जो बाद में बहुत लोकप्रिय हुआ।

जब मोदी चंडीगढ़ भाजपा के प्रभारी थे, तो उन्होंने यह विचार दिया कि एक ‘बूथ प्रबंधन’ ‘ चुनाव प्रबंधन’ का पर्याय है। जिसे उन्होंने शुरुआत में ‘बूथ जीता, इलेक्शन जीता’ के नारों से जोड़कर के कार्यकर्ताओं के बीच में रखा। जो बाद में भाजपा की मजबूती के लिए सबसे बड़ा आधार बना। और आज जो भारतीय जनता पार्टी खड़ी है उसके पीछे यह भी एक धारणा और यह भी एक पॉलिसी काम कर रही है।

प्रबंधकीय और संगठनात्मक प्रणाली

चूँकि मोदी संगठन से आते हैं। इसलिए उन्होंने संगठन पर सबसे ज्यादे ज़ोर दिया। और संगठन के कार्यकर्ताओं को सबसे ज़्यादा चार्ज भी किया। जब वो चंडीगढ़ के प्रभारी थे तभी उन्होंने बूथ और मंडल अध्यक्ष का कांसेप्ट शुरू किया। और इसके मार्फ़त ही भारतीय जनता पार्टी को मज़बूती हासिल हुई।

इसी तरह, 2014 के बाद भाजपा के राजनीतिक उत्थान की एक मुख्य विशेषता पार्टी द्वारा विस्तारक कहे जाने वाले कार्यकर्ता का उपयोग रही है। ये वो स्वयंसेवक हैं जो 15 दिन, छह महीने और एक साल के बीच उन विशिष्ट बूथों में बिताने के लिए सहमत होते हैं, जो उनके गृह निर्वाचन क्षेत्र से बहुत दूर हैं। वे स्थानीय रूप से स्थापित शक्ति संरचनाओं से दूर बाहरी निरीक्षण के प्रमुख स्रोत बन जाते हैं।

इस विचार की जड़ें 1998 में भाजपा में विजय क्रांति कार्यकर्ताओं के उद्भव से भी जुड़ती है। उस समय नरेंद्र मोदी भाजपा के महासचिव थे । और उनके पास मध्य प्रदेश का प्रभार था। उस समय मोदी ने 320 कार्यकर्ताओं की पहचान की, जिनका काम पूरे महीने भर क्षेत्र में लोगों से संपर्क करना , मिलना जुलना और उनके बीच में रहना तय किया गया था।

महिला वोट

2014 के बाद भाजपा के विस्तार का एक प्रमुख चालक महिला वोट रहा है। ऐसे समय में जब भारतीय महिलाओं ने पुरुषों के समान दर से मतदान करना शुरू कर दिया। 2014 के बाद के चुनावी आंकड़ों ने दिखाया है कि अधिक से अधिक महिलाएं अब कांग्रेस की तुलना में भाजपा को वोट देती हैं। भाजपा के लिए एक मजबूत महिला निर्वाचन क्षेत्र बनना कोई नया फ़ार्मूला नहीं था। इस फ़ार्मूले की शुरुआत भी नरेंद्र मोदी ने गुजरात में मुख्यमंत्री रहने के दौरान की थी। और उन्होंने महिलाओं को भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट देन के लिए लामबंद किया था।

उदाहरण के लिए, 2007 में, मोदी ने चुनाव की घोषणा होने से पहले ही गुजरात के लगभग हर जिले में केवल महिला कार्यकर्ताओं के साथ सार्वजनिक बैठकें कीं। सरकारी रिकॉर्ड से पता चलता है कि गुजरात के मुख्यमंत्री ने 10 मार्च से 20 सितंबर, 2007 के बीच चुनाव की घोषणा से पहले के महीनों में विभिन्न जिलों में 27 महिला सम्मेलनों की व्यक्तिगत रूप से अध्यक्षता की थी। ये महिला अधिकारिता बैठकें विभिन्न सरकारी विभागों के माध्यम से आयोजित की गई थीं। मुख्यमंत्री ने प्रत्येक में भाग लेने का निश्चय किया था।

बहरहाल, चुनाव जीतने के लिए मज़बूत राजनीतिक मशीनरी, मज़बूत कार्यकर्ता , युवा और महिला कार्यकर्ता, बूथ प्रबंधन और मंडल का प्रबंधन निश्चित तौर से बहुत महत्वपूर्ण एलिमेंट होते हैं। नरेंद्र मोदी ने इन एलिमेंट को भारतीय जनता पार्टी से जोडने , बनाये रखने, बनाने और इनके साथ काम करने की शुरुआत गुजरात के मुख्यमंत्री के पहले से ही शुरु कर दी थी। इस ढाँचे को ज़मीन से ऊपर तक बनाना, इसे चलायमान रखना सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है । यही वजह है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी चुनाव हारने की जगह लगातार चुनाव जीतती चली जा रही है। उसने अपना विस्तार किया है। भारतीय जनता पार्टी सचमुच राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बन गई है।

कश्मीर से कन्या कुमारी तक भारतीय जनता पार्टी के पास वोट है, भारतीय जनता पार्टी लोकसभा के चुनाव में बाइस तेईस करोड़ वोट पा कर के अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को क़रीब क़रीब दस ग्यारह करोड़ वोटों से पीछे छोड़ने में कामयाब हो गई है। अब वो केवल हिंदी बेल्ट की पार्टी नहीं रह गई है। नरेंद्र मोदी ने अपने संगठनात्मक कौशल , बूथ अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष , विस्तारक जैसे तमाम प्रयोग करकें इस पार्टी को ला कर के यहाँ खड़ा किया है। जिसने गुजरात में एक नया रिकार्ड लिखा है। और 2024 में भी एक नये रिकॉर्ड की उम्मीद भारतीय जनता पार्टी और उसके लोग करते हैं, तो उसे अनुचित नहीं कहा जा सकता है।

Shashi kant gautam

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