Congress Party: जानिए कांग्रेस पार्टी का पूरा इतिहास, इसके अधिवेशनों की सूची और चर्चित विवाद

Congress Party: कांग्रेस पार्टी ने भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वर्षों तक देश की सत्ता पर प्रभावी रूप से शासन किया।

Ramkrishna Vajpei
Published on: 8 April 2025 2:39 PM IST
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Congress News (Image From Social Media)

Congress Party: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress - INC) भारत की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक राजनीतिक पार्टी है, जिसकी स्थापना 28 दिसंबर 1885 को मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में ब्रिटिश अधिकारी एओ ह्यूम, दादाभाई नौरोजी और दिनशा वाचा के नेतृत्व में हुई थी। कांग्रेस पार्टी ने भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वर्षों तक देश की सत्ता पर प्रभावी रूप से शासन किया।

कांग्रेस का इतिहास एक नजर में

• 1885 से 1947 — स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व

• 1947 के बाद — सत्ता की राजनीति और नीतिगत भूमिका

• 1969 — कांग्रेस पार्टी में पहली बड़ी टूट (सिंडिकेट बनाम इंदिरा गांधी)

• 1975-77 — आपातकाल लागू, लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सवाल

• 1984 — इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी का नेतृत्व

• 1991 — पीवी नरसिम्हा राव का उदारीकरण और आर्थिक सुधार

• 1998 — सोनिया गांधी का सक्रिय राजनीति में प्रवेश

• 2004-2014 — यूपीए सरकार का नेतृत्व

• 2014 के बाद — निरंतर चुनावी पराजय और संगठनात्मक संकट


कांग्रेस के अधिवेशनों में हुए प्रमुख विवाद

1. सूरत स्प्लिट (1907) — गरम दल बनाम नरम दल

सूरत अधिवेशन कांग्रेस के इतिहास में पहला बड़ा विवाद था जिसमें बाल गंगाधर तिलक और गोपाल कृष्ण गोखले के बीच वैचारिक मतभेद उभरकर सामने आए। परिणामस्वरूप पार्टी दो हिस्सों में बंट गई।

2. त्रिपुरी विवाद (1939) — नेताजी बनाम गांधीवादी धड़ा

त्रिपुरी अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद महात्मा गांधी समर्थक नेताओं से उनका टकराव हुआ। अंततः नेताजी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।

3. 1969 का विभाजन — इंदिरा गांधी बनाम सिंडिकेट

संगठनात्मक विवाद के चलते कांग्रेस (ओ) और कांग्रेस (आई) का जन्म हुआ। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस (आई) मजबूत होकर उभरी।

4. इमरजेंसी काल (1975-77) — लोकतंत्र पर आक्षेप

इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल घोषित करने के फैसले पर देशभर में विवाद और विरोध हुआ। इससे कांग्रेस की लोकतांत्रिक छवि को गहरा आघात पहुंचा।

5. हालिया विवाद — नेतृत्व संकट

सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तिकड़ी के नेतृत्व में पार्टी को लगातार चुनावी पराजय का सामना करना पड़ा है। जी-23 समूह के नेताओं ने पार्टी में लोकतंत्र और संगठनात्मक सुधार की मांग उठाई।

कांग्रेस के अब तक के अधिवेशन

2025 में अहमदाबाद में होने वाला 86वां अधिवेशन इस ऐतिहासिक क्रम में एक और अध्याय जोड़ेगा। इससे पहले 85वां अधिवेशन 2023 में रायपुर और 84वां अधिवेशन 2018 में दिल्ली में हुआ था।

यहाँ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1 से 83 अधिवेशनों की पूरी सूची उनके स्थान और तारीखों के साथ प्रस्तुत है —

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1 से 83 अधिवेशन

अधिवेशन क्रमांक स्थान तारीखें

1 बॉम्बे 28-30 दिसंबर, 1885

2 कलकत्ता 27-30 दिसंबर, 1886

3 मद्रास 27-30 दिसंबर, 1887

4 इलाहाबाद 26-29 दिसंबर, 1888

5 बॉम्बे 26-28 दिसंबर, 1889

6 कलकत्ता 26-30 दिसंबर, 1890

7 नागपुर 28-30 दिसंबर, 1891

8 इलाहाबाद 28-30 दिसंबर, 1892

9 लाहौर 27-30 दिसंबर, 1893

10 मद्रास 26-29 दिसंबर, 1894

11 पुणे 27-30 दिसंबर, 1895

12 कलकत्ता 28-31 दिसंबर, 1896

13 अमरावती 27-29 दिसंबर, 1897

14 मद्रास 29-31 दिसंबर, 1898


15 लखनऊ 27-29 दिसंबर, 1899

16 लाहौर 27-29 दिसंबर, 1900

17 कलकत्ता 26-28 दिसंबर, 1901

18 अहमदाबाद 28-30 दिसंबर, 1902

19 मद्रास 28-30 दिसंबर, 1903

20 बॉम्बे 26-28 दिसंबर, 1904

21 बनारस 27-30 दिसंबर, 1905

22 कलकत्ता 26-29 दिसंबर, 1906

23 (स्थगित) सूरत 26-27 दिसंबर, 1907

23 मद्रास 28-30 दिसंबर, 1908

24 लाहौर 27-29 दिसंबर, 1909

25 इलाहाबाद 26-29 दिसंबर, 1910

26 कलकत्ता 26-28 दिसंबर, 1911

27 बांकीपुर (पटना) 26-28 दिसंबर, 1912

28 कराची 26-28 दिसंबर, 1913

29 मद्रास 14-15 अप्रैल, 1914

30 बॉम्बे 27-29 दिसंबर, 1915

31 लखनऊ 26-30 दिसंबर, 1916

32 कलकत्ता 26-29 दिसंबर, 1917

33 दिल्ली 26-30 दिसंबर, 1918

(विशेष) बॉम्बे 29 अगस्त - 1 सितंबर, 1918

34 अमृतसर 26-30 दिसंबर, 1919

35 नागपुर 26-30 दिसंबर, 1920

36 अहमदाबाद 27-28 दिसंबर, 1921

37 गया 26-31 दिसंबर, 1922

(विशेष) दिल्ली 4-8 सितंबर, 1923

38 काकीनाडा दिसंबर, 1923

39 बेलगाम 26-27 दिसंबर, 1924

40 कानपुर 15-17 अप्रैल, 1925

41 गुवाहाटी 26-28 दिसंबर, 1926

42 मद्रास 26-28 दिसंबर, 1927

43 कलकत्ता 29 दिसंबर, 1928 - 1 जनवरी, 1929

44 लाहौर 16-18 अप्रैल, 1929

45 कराची 21-31 मार्च, 1931

46 दिल्ली 24-28 अप्रैल, 1932

47 कलकत्ता 12-14 सितंबर, 1933

48 बॉम्बे 24-28 अक्टूबर, 1934


49 लखनऊ 18-20 जून, 1936

50 फैजपुर 12-14 जुलाई, 1937

51 हरिपुरा 19-21 फरवरी, 1938

52 त्रिपुरी 10-12 मार्च, 1939

53 रामगढ़ 19-20 मार्च, 1940

54 मेरठ 23-24 नवंबर, 1946

55 जयपुर 18-19 दिसंबर, 1948

56 नासिक 21-22 सितंबर, 1950

57 नई दिल्ली 10-12 मार्च, 1951

58 हैदराबाद 8-10 मई, 1953

59 कल्याणी 10-12 जुलाई, 1954

60 मद्रास 7-9 सितंबर, 1955


61 अमृतसर 11-13 अगस्त, 1956

62 इंदौर 14-15 मई, 1957

63 गुवाहाटी 15-17 जुलाई, 1958

64 नागपुर 10-12 जून, 1959

65 बैंगलोर 16-17 जनवरी, 1960

66 भावनगर 6-7 जनवरी, 1961

67 पटना 13-15 अगस्त, 1962

68 भुवनेश्वर 17-19 सितंबर, 1964

69 दुर्गापुर 14-16 अप्रैल, 1965

70 जयपुर 16-18 जुलाई, 1966

71 हैदराबाद 10-11 जनवरी, 1968

72 फरीदाबाद 26-28 अप्रैल, 1969

73 बॉम्बे 28-29 दिसंबर, 1969

74 कलकत्ता 28-29 दिसंबर, 1972

75 चंडीगढ़ 31 दिसंबर, 1975 - 1 जनवरी, 1976

76 नई दिल्ली 1-2 जनवरी, 1978


77 कलकत्ता 29-30 दिसंबर, 1983

78 बॉम्बे 28 दिसंबर, 1985

79 तिरुपति 14-16 अप्रैल, 1992

80 सूरजकुंड 27-28 मार्च, 1993

81 नई दिल्ली 10-11 जून, 1994

(विशेष) नई दिल्ली 25 मई, 1995

82 हैदराबाद 21 अगस्त, 2004

(चिंतन शिविर) शिमला 9-11 जुलाई, 2003

83 नई दिल्ली 17-19 जनवरी, 2010

कांग्रेस के अधिवेशनों में प्रमुख विवाद और घटनाएँ

1907 - सूरत विभाजन

• गरम दल (तिलक, बिपिन चंद्र पाल, लाला लाजपत राय) और नरम दल (गोखले आदि) में जबरदस्त मतभेद।

1939 - त्रिपुरी अधिवेशन

• सुभाष चंद्र बोस को पार्टी अध्यक्ष चुने जाने पर महात्मा गांधी गुट ने विरोध किया। अंततः बोस ने इस्तीफा दिया।

1969 - संगठन बनाम इंदिरा गांधी

• राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर विवाद। पार्टी विभाजित — कांग्रेस (ओ) और कांग्रेस (आई)।


1978 - कांग्रेस विभाजन

• इंदिरा गांधी ने अलग गुट बनाकर कांग्रेस (आई) बनाई।

हाल के विवाद

• 2019 के बाद राहुल गांधी का अध्यक्ष पद से इस्तीफा।

• जी-23 नेताओं का विरोध पत्र सोनिया गांधी को।

• चुनावी हार पर नेतृत्व पर सवाल।

• पार्टी में संगठनात्मक ढांचे की कमजोरियां।

निष्कर्ष

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का इतिहास भारतीय राजनीति का आईना है। जहां एक ओर इस पार्टी ने स्वतंत्रता संग्राम की अगुवाई की, वहीं सत्ता संघर्ष, विचारधारात्मक मतभेद और नेतृत्व विवादों ने इसकी ताकत को कमजोर किया।

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