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Congress Party: जानिए कांग्रेस पार्टी का पूरा इतिहास, इसके अधिवेशनों की सूची और चर्चित विवाद
Congress Party: कांग्रेस पार्टी ने भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वर्षों तक देश की सत्ता पर प्रभावी रूप से शासन किया।
Congress News (Image From Social Media)
Congress Party: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress - INC) भारत की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक राजनीतिक पार्टी है, जिसकी स्थापना 28 दिसंबर 1885 को मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में ब्रिटिश अधिकारी एओ ह्यूम, दादाभाई नौरोजी और दिनशा वाचा के नेतृत्व में हुई थी। कांग्रेस पार्टी ने भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वर्षों तक देश की सत्ता पर प्रभावी रूप से शासन किया।
कांग्रेस का इतिहास एक नजर में
• 1885 से 1947 — स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व
• 1947 के बाद — सत्ता की राजनीति और नीतिगत भूमिका
• 1969 — कांग्रेस पार्टी में पहली बड़ी टूट (सिंडिकेट बनाम इंदिरा गांधी)
• 1975-77 — आपातकाल लागू, लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सवाल
• 1984 — इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी का नेतृत्व
• 1991 — पीवी नरसिम्हा राव का उदारीकरण और आर्थिक सुधार
• 1998 — सोनिया गांधी का सक्रिय राजनीति में प्रवेश
• 2004-2014 — यूपीए सरकार का नेतृत्व
• 2014 के बाद — निरंतर चुनावी पराजय और संगठनात्मक संकट
कांग्रेस के अधिवेशनों में हुए प्रमुख विवाद
1. सूरत स्प्लिट (1907) — गरम दल बनाम नरम दल
सूरत अधिवेशन कांग्रेस के इतिहास में पहला बड़ा विवाद था जिसमें बाल गंगाधर तिलक और गोपाल कृष्ण गोखले के बीच वैचारिक मतभेद उभरकर सामने आए। परिणामस्वरूप पार्टी दो हिस्सों में बंट गई।
2. त्रिपुरी विवाद (1939) — नेताजी बनाम गांधीवादी धड़ा
त्रिपुरी अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद महात्मा गांधी समर्थक नेताओं से उनका टकराव हुआ। अंततः नेताजी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
3. 1969 का विभाजन — इंदिरा गांधी बनाम सिंडिकेट
संगठनात्मक विवाद के चलते कांग्रेस (ओ) और कांग्रेस (आई) का जन्म हुआ। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस (आई) मजबूत होकर उभरी।
4. इमरजेंसी काल (1975-77) — लोकतंत्र पर आक्षेप
इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल घोषित करने के फैसले पर देशभर में विवाद और विरोध हुआ। इससे कांग्रेस की लोकतांत्रिक छवि को गहरा आघात पहुंचा।
5. हालिया विवाद — नेतृत्व संकट
सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तिकड़ी के नेतृत्व में पार्टी को लगातार चुनावी पराजय का सामना करना पड़ा है। जी-23 समूह के नेताओं ने पार्टी में लोकतंत्र और संगठनात्मक सुधार की मांग उठाई।
कांग्रेस के अब तक के अधिवेशन
2025 में अहमदाबाद में होने वाला 86वां अधिवेशन इस ऐतिहासिक क्रम में एक और अध्याय जोड़ेगा। इससे पहले 85वां अधिवेशन 2023 में रायपुर और 84वां अधिवेशन 2018 में दिल्ली में हुआ था।
यहाँ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1 से 83 अधिवेशनों की पूरी सूची उनके स्थान और तारीखों के साथ प्रस्तुत है —
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1 से 83 अधिवेशन
अधिवेशन क्रमांक स्थान तारीखें
1 बॉम्बे 28-30 दिसंबर, 1885
2 कलकत्ता 27-30 दिसंबर, 1886
3 मद्रास 27-30 दिसंबर, 1887
4 इलाहाबाद 26-29 दिसंबर, 1888
5 बॉम्बे 26-28 दिसंबर, 1889
6 कलकत्ता 26-30 दिसंबर, 1890
7 नागपुर 28-30 दिसंबर, 1891
8 इलाहाबाद 28-30 दिसंबर, 1892
9 लाहौर 27-30 दिसंबर, 1893
10 मद्रास 26-29 दिसंबर, 1894
11 पुणे 27-30 दिसंबर, 1895
12 कलकत्ता 28-31 दिसंबर, 1896
13 अमरावती 27-29 दिसंबर, 1897
14 मद्रास 29-31 दिसंबर, 1898
15 लखनऊ 27-29 दिसंबर, 1899
16 लाहौर 27-29 दिसंबर, 1900
17 कलकत्ता 26-28 दिसंबर, 1901
18 अहमदाबाद 28-30 दिसंबर, 1902
19 मद्रास 28-30 दिसंबर, 1903
20 बॉम्बे 26-28 दिसंबर, 1904
21 बनारस 27-30 दिसंबर, 1905
22 कलकत्ता 26-29 दिसंबर, 1906
23 (स्थगित) सूरत 26-27 दिसंबर, 1907
23 मद्रास 28-30 दिसंबर, 1908
24 लाहौर 27-29 दिसंबर, 1909
25 इलाहाबाद 26-29 दिसंबर, 1910
26 कलकत्ता 26-28 दिसंबर, 1911
27 बांकीपुर (पटना) 26-28 दिसंबर, 1912
28 कराची 26-28 दिसंबर, 1913
29 मद्रास 14-15 अप्रैल, 1914
30 बॉम्बे 27-29 दिसंबर, 1915
31 लखनऊ 26-30 दिसंबर, 1916
32 कलकत्ता 26-29 दिसंबर, 1917
33 दिल्ली 26-30 दिसंबर, 1918
(विशेष) बॉम्बे 29 अगस्त - 1 सितंबर, 1918
34 अमृतसर 26-30 दिसंबर, 1919
35 नागपुर 26-30 दिसंबर, 1920
36 अहमदाबाद 27-28 दिसंबर, 1921
37 गया 26-31 दिसंबर, 1922
(विशेष) दिल्ली 4-8 सितंबर, 1923
38 काकीनाडा दिसंबर, 1923
39 बेलगाम 26-27 दिसंबर, 1924
40 कानपुर 15-17 अप्रैल, 1925
41 गुवाहाटी 26-28 दिसंबर, 1926
42 मद्रास 26-28 दिसंबर, 1927
43 कलकत्ता 29 दिसंबर, 1928 - 1 जनवरी, 1929
44 लाहौर 16-18 अप्रैल, 1929
45 कराची 21-31 मार्च, 1931
46 दिल्ली 24-28 अप्रैल, 1932
47 कलकत्ता 12-14 सितंबर, 1933
48 बॉम्बे 24-28 अक्टूबर, 1934
49 लखनऊ 18-20 जून, 1936
50 फैजपुर 12-14 जुलाई, 1937
51 हरिपुरा 19-21 फरवरी, 1938
52 त्रिपुरी 10-12 मार्च, 1939
53 रामगढ़ 19-20 मार्च, 1940
54 मेरठ 23-24 नवंबर, 1946
55 जयपुर 18-19 दिसंबर, 1948
56 नासिक 21-22 सितंबर, 1950
57 नई दिल्ली 10-12 मार्च, 1951
58 हैदराबाद 8-10 मई, 1953
59 कल्याणी 10-12 जुलाई, 1954
60 मद्रास 7-9 सितंबर, 1955
61 अमृतसर 11-13 अगस्त, 1956
62 इंदौर 14-15 मई, 1957
63 गुवाहाटी 15-17 जुलाई, 1958
64 नागपुर 10-12 जून, 1959
65 बैंगलोर 16-17 जनवरी, 1960
66 भावनगर 6-7 जनवरी, 1961
67 पटना 13-15 अगस्त, 1962
68 भुवनेश्वर 17-19 सितंबर, 1964
69 दुर्गापुर 14-16 अप्रैल, 1965
70 जयपुर 16-18 जुलाई, 1966
71 हैदराबाद 10-11 जनवरी, 1968
72 फरीदाबाद 26-28 अप्रैल, 1969
73 बॉम्बे 28-29 दिसंबर, 1969
74 कलकत्ता 28-29 दिसंबर, 1972
75 चंडीगढ़ 31 दिसंबर, 1975 - 1 जनवरी, 1976
76 नई दिल्ली 1-2 जनवरी, 1978
77 कलकत्ता 29-30 दिसंबर, 1983
78 बॉम्बे 28 दिसंबर, 1985
79 तिरुपति 14-16 अप्रैल, 1992
80 सूरजकुंड 27-28 मार्च, 1993
81 नई दिल्ली 10-11 जून, 1994
(विशेष) नई दिल्ली 25 मई, 1995
82 हैदराबाद 21 अगस्त, 2004
(चिंतन शिविर) शिमला 9-11 जुलाई, 2003
83 नई दिल्ली 17-19 जनवरी, 2010
कांग्रेस के अधिवेशनों में प्रमुख विवाद और घटनाएँ
1907 - सूरत विभाजन
• गरम दल (तिलक, बिपिन चंद्र पाल, लाला लाजपत राय) और नरम दल (गोखले आदि) में जबरदस्त मतभेद।
1939 - त्रिपुरी अधिवेशन
• सुभाष चंद्र बोस को पार्टी अध्यक्ष चुने जाने पर महात्मा गांधी गुट ने विरोध किया। अंततः बोस ने इस्तीफा दिया।
1969 - संगठन बनाम इंदिरा गांधी
• राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर विवाद। पार्टी विभाजित — कांग्रेस (ओ) और कांग्रेस (आई)।
1978 - कांग्रेस विभाजन
• इंदिरा गांधी ने अलग गुट बनाकर कांग्रेस (आई) बनाई।
हाल के विवाद
• 2019 के बाद राहुल गांधी का अध्यक्ष पद से इस्तीफा।
• जी-23 नेताओं का विरोध पत्र सोनिया गांधी को।
• चुनावी हार पर नेतृत्व पर सवाल।
• पार्टी में संगठनात्मक ढांचे की कमजोरियां।
निष्कर्ष
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का इतिहास भारतीय राजनीति का आईना है। जहां एक ओर इस पार्टी ने स्वतंत्रता संग्राम की अगुवाई की, वहीं सत्ता संघर्ष, विचारधारात्मक मतभेद और नेतृत्व विवादों ने इसकी ताकत को कमजोर किया।