गुरु पूर्णिमा - नाथपंथ का गहरा है नाता, सीएम योगी अपने शिष्यों को देंगे आशीर्वाद

sudhanshu
Published on: 26 July 2018 8:40 PM IST
गुरु पूर्णिमा - नाथपंथ का गहरा है नाता, सीएम योगी अपने शिष्यों को देंगे आशीर्वाद
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गोरखपुर: गुरु पूर्णिमा पर्व और नाथपंथ का नाता कितना गहरा है। इसका अंदाजा इस पर्व पर गोरखनाथ मंदिर में होने वाले भव्य अनुष्ठानिक आयोजन से आसानी से लगाया जा सकता है। सीएम पद की तमाम व्यस्तताओं के बावजूद गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ गुरु पूर्णिमा के दिन गोरखनाथ मंदिर में अपने शिष्यों को आशीर्वाद देने के लिए 27 जुलाई को मौजूद रहेंगे।

ये है मंदिर का कार्यक्रम शेडयूल

मंदिर प्रबंधन ने इस बार के गुरु पूर्णिमा पर्व का कार्यक्रम जारी कर दिया है। प्रधान पुजारी कमलनाथ के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर सुबह 5:00 बजे से 6:00 बजे तक आदि गुरु गोरखनाथ की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेंगे। सुबह 6:00 बजे से 6:30 बजे के बीच वह सभी नाथ योगियों के समाधि स्थल और देवी देवताओं के मंदिर में जा कर आशीर्वाद ग्रहण करेंगे। सुबह 6:30 बजे से 7:00 बजे तक सामूहिक आरती होगी। सुबह 10:00 बजे योगी आदित्यनाथ मंदिर के तिलक हाल में आसन ग्रहण करेंगे और जहां उनके शिष्य उन्हें तिलक लगाकर आशीर्वाद ग्रहण करेंगे। यह सिलसिला दोपहर 12:00 बजे तक चलेगा।

इस पर्व का ये है महत्‍व

आखिर क्यों है नाथ योगियों की इस पर्व को लेकर प्रतिबद्धता इस सवाल के जवाब को लेकर जब मंदिर प्रबंधन से गहरे जुड़े डॉक्टर प्रदीप कुमार राव से बातचीत की गई, तो उन्होंने इस परंपरा के पीछे योग की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ राम ने बताया कि नाथ परंपरा के मूल में योग है और योग के मूल में गुरु परंपरा चुकी योग शुद्ध रूप से व्यवहारिक क्रियाओं पर आधारित है। इसलिए बिना गुरु के इसे साधना असंभव है। ऐसे में योग और गुरु परंपरा को एक दूसरे का पूरक कहना गलत नहीं होगा। योग की परंपरा को अगली पीढ़ी में हस्तांतरण के लिए ही नाथ पंथ की स्थापना के समय इसे ही गुरु परंपरा इससे अनिवार्य रूप से जुड़ी रही गुरु शिष्य परंपरा से ही नाथ पंथ की परंपरा अनवरत आगे बढ़ रही है। नाथ पंथ और गुरु परंपरा के संबंध की गंभीरता को स्तर से भी समझा जा सकता है कि नाथ परंपरा में गुरु और ईश्वर में कोई फर्क नहीं किया जाता। नाथ परंपरा में गुरु ही ईश्वर है और ईश्वर ही गुरु है यही वजह है कि गोरखनाथ मंदिर के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व खास महत्व रखता है समय के साथ पर्व को मनाने के स्वरुप भले ही बदलता रहा हो लेकिन आयोजन का महत्व हमेशा से समान ही रहा है।

पहले गुरु पूजा फिर आशीर्वाद का सिलसिला

गुरु पूर्णिमा के दिन गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूजन का सिलसिला तड़के से ही शुरू हो जाता है गोरक्षपीठाधीश्वर सुबह सबसे पहले गुरु गोरक्षनाथ की पूरे विधि विधान से पूजा करते हैं और फिर सभी नाथ योगियों के समाधि स्थल और देवी देवताओं के मंदिर में विशेष पूजन का कार्यक्रम होता है पूजा के अंत के गोरक्षपीठाधीश्वर की मौजूदगी में सामूहिक आरती का आयोजन होता है गुरु की पूजा के बाद पीठाधीश्वर अपने शिष्यों के बीच होते हैं जिससे बारी-बारी से गुरु तक पहुंचते हैं और तिलक लगाकर गुरु का आशीर्वाद ग्रहण करते हैं इस दौरान गुरु दक्षिणा देने की भी परंपरा है।

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