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चुनाव से पहले इन नेताओं ने बदल ली थी नाव, मिल गया भाजपा सरकार में मंत्री पद
हाल में ही दूसरे दलों का दामन छुड़ा कर आए नेताओं की संख्या भी खासी है। चुनाव से ठीक पहले भाजपा की नाव में सवार हने वाले अधिकांश दिग्गजों को योगी काबीना में मंत्री पद से नवाजा गया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की नवगठित भाजपा सरकार में एक तरफ पार्टी के पुराने वफादार नेता हैं, तो दूसरी तरफ हाल में ही दूसरे दलों का दामन छुड़ा कर आए नेताओं की संख्या भी खासी है। चुनाव से ठीक पहले भाजपा की नाव में सवार होने वाले अधिकांश दिग्गजों को योगी काबीना में मंत्री पद से नवाजा गया है।
रीता बहुगुणा जोशी
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी की नाव पर सवार होने वालों में एक बड़ा नाम रीता बहुगुणा जोशी का है। शुद्ध कांग्रेसी घराने की बेटी 67 वर्षीया रीता ने कई दशक कांग्रेस में गुजारने के बाद दिसंबर 2016 में बीजेपी का दामन थाम लिया।
इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके उनके भाई विजय बहुगुणा के बीजेपी में जाने के बाद से ही रीता के पाला बदलने की अटकलें लगने लगी थीं।
इलाहाबाद की मेयर और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रह चुकीं रीता 2012 में भी लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र से जीत कर आई थीं।
इस बार उसी सीट पर मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को हरा कर वह भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनी हैं।
दारा सिंह चौहान
दारा सिंह चौहान बहुजन समाज पार्टी से एक बार लोकसभा सदस्य और दो बार राज्यसभा में रह चुके हैं।
दिसंबर 2014 में वह घोसी से बीजेपी के हाथों हार गये थे और बाद में उन्हें बसपा से पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया गया था।
उन्होंने फरवरी 2016 में भाजपा का दामन थाम लिया और मऊ की मधुबन सीट से चुनाव जीता।
दारा सिंह चौहान को कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य
कभी बहुजन समाज पार्टी के थिंक टैंक्स में शामिल स्वामी प्रसाद मौर्या मायावती के दाहिने हाथ माने जाते थे।
16 वीं विधानसभा में वह नेता प्रतिपक्ष थे।
लेकिन मायावती से अचानक बढ़ी दूरियों के बाद अगस्त 2016 में उन्होंने बसपा से नाता तोड़ लिया और भाजपा में शामिल हो गये।
बीएसपी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले कुशीनगर के पंडरौना से विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली है।
एसपी बघेल
बहुजन समाज पार्टी से राज्यसभा के सदस्य एसपी बघेल ने अपने करीब सवा दो साल के कार्यकाल की कुर्बानी दे दी और मार्च 2014 में बीएसपी की सदस्यता हासिल कर ली। वैसे उनका कार्यकाल 4 जुलाई 2016 तक था।
मुलायम सिंह के गृह जिले इटावा से संबंध रखने वाले बघेल सपा से लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं।
वह तीन बार सपा से लकसभा सदस्य रहे हैं। लेकिन इसके बाद वह लगातार तीन चुनाव हार चुके थे।
एमएससी, एलएलबी, पीएचडी बघेल भाजपा में पिछड़ा वर्ग मोर्चा के रष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं।
उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
बृजेश पाठक
बृजेश पाठक ने लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र संघ से राजनीति शुरू की। 1989 में उपाध्यक्ष और 1990 में संघ अध्यक्ष बने।
वह हरदोई के मल्लावां से 2002 का विधानसभा चुनाव लड़े और 130 वोटों से हार गये।
2004 में वह बहुजन समाज पार्टी से 14 वीं लोकसभा में पहुंच गए और दल के उपनेता चुने गए।
2008 में राज्यसभा के सदस्य बने
अगस्त 2016 में वह बीजेपी में शामिल हो गए और 2017 में लखनऊ मध्य से विधानसभा चुनाव जीत कर योगी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बन गये।
लक्ष्मी नारायण चौधरी
लक्ष्मी नारायण चौधरी मथुरा की छाता विधानसभा सीट से चुन कर आए हैं। इससे पहले वह बीएसपी में थे। जुलाई 2015 में वह बीएसपी छोड़ कर बीजेपी की नाव में सवार हो गए और प्रदेश की भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए।
नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’
नंद गोपाल नंदी 2007 में बहुजन समाज पार्टी से चुन कर विधानसभा में पहुंचे थे। नंदी माया सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। 2012 के चुनाव में वह सपा के हाथों हार गए थे।
जनवरी 2017 में वह बीजेपी में शामिल हो गए।
वह पहले भी बीजेपी में रह चुके हैं। उनकी एक बार फिर से घर वापसी हुई है।
इलाहाबाद दक्षिण सीट से विधायक नंदकुमार नंदी को कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई गई है।
धर्म सिंह सैनी
डॉ. धर्म सिंह सैनी लगातार चौथी बार जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। इससे पहले वह 14वीं, 15वीं, और 16वीं विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।
2002 से 2007 तक वह प्रथामिक शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने आयुर्वेद में डिग्री ली है और सहारनपुर की नकुड़ सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पिछले वर्ष सितंबर 2016 में बसपा छोड़ कर भाजपा का दमन थाम लिया और भाजपा सरकार में मंत्री पद हासिल कर लिया।
धर्म सिंह सैनी को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में मंत्रिमंडल के रूप में जगह दी गई है।
अनिल राजभर
अनिल राजभर पीएम मोदी के क्षेत्र वाराणसी की शिवपुर विधानसभा क्षेत्र से चुन कर आए हैं। उन्हें कई वरिष्ठ लोगों को नजरअंदाज करके टिकट दिया गया था। अनिल राजभर बीजेपी से पहले समाजवादी पार्टी में थे।
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