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इमेज मेक ओवर की क़वायद: 121 साल बाद नदवा मदरसे में मॉडर्न क्लासेज़
लखनऊ: देश के बड़े इस्लामी शिक्षण संसथानो में से एक दारुल उलूम नदवतुल उलेमा ने मॉडर्न शिक्षा यानि इंग्लिश क्लासेज़ शुरू करने का फैसला किया है। नदवा कालेज ने क़रीब 121 साल बाद मदरसे की इमेज बदलने की कोशिश शुरू की है। नदवा कालेज के इंग्लिस डिपार्टमेन्ट में उन्ही स्टूडेंट्स को दाख़िला मिलेगा। जो पहले से मदरसे में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अंग्रेज़ी डिपार्टमेन्ट के हेड अनीस नदवी की माने तो शरीया और हदीस ज़्यादातर उर्दू में है।जिसे दानिश्वर नहीं समझ पाते थे। ऐसे इंग्लिश क्लासेज़ शुरू होने से स्टूडेंट्स को फ़ायदा मिलेगा।
1897 में हुई थी नदवा की स्थापना
देश के चुनिन्दा मदरसों में से दारुल उलूम नदवतुल उलेमा लखनऊ जिसे नदवा कालेज के नाम से भी जाना जाता है। अब इंग्लिश डिपार्टमेन्ट की शुरुवात करने जा रहा है। दारुल उलूम नदवतुल उलेमा लखनऊ की स्थापना 1897 में की गई थी। तब से लेकर आज तक नदवा में उर्दू और अरबी छात्रों को पढ़ाई जाती थी। जिस का मक़सद धार्मिक विशेषज्ञ तैयार करना और दीनी शिक्षा का प्रचार प्रसार करना था। लेकिन अब नदवा मॉडर्न मदरसे के तौर पर जाना जाएगा। नदवा में इंग्लिश डिपार्टमेन्ट को हेड करने की ज़िम्मेदारी अनीस नदवी को दी गई है। अनीस नदवी कहते हैं, अधिकतर धार्मिक किताबें उर्दू में ही उपलब्ध हैं। ऐसे में बुद्धिजीवि वर्ग शरीया और हदीस की किताबें नहीं पढ़ पाता था। अनीस कहते हैं, कि अँग्रेज़ी क्लासेज़ के लिए इंग्लिश में हदीस और शरीया की किताबे भी मौजूद होंगी। जिस के ज़रिये ऐसे लोगों को समाज में भी फायदा होगा। और स्टूडेन्ट को कम्यूनिकेशन में भी फायदा मिलेगा।
एक वर्ष का मदरसे में इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स करने के बाद लम्बी दाढ़ी सर पर टोपी लगाए नदवा कालेज के स्टूडेंट आने वाले वक़्त में हाय हेल्लो करते नज़र आएंगे। लुक भले ही इन छात्रों का मौलवियों जैसा दिखे लेकिन छात्र मॉडर्न होंगे। और फर्राटेदार इंग्लिश बोलते नज़र आएंगे। इस से पहले दारुल उलूम देवबन्द सहारनपुर में अँग्रेज़ी शिक्षा भी दी जा रही है।
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