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पंजाब से पलायन कर गए छह लाख मजदूर
लॉकडाउन और कर्फ्यू के कारण मजदूरों के पलायन से पंजाब की इंडस्ट्री और कृषि क्षेत्र संकट में आ गया है। करीब दो महीने से लागू लॉकडाउन के कारण उद्योग और व्यापार ठप हैं और मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है। हालांकि प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों के सदस्य इस प्रयास में लगे हैं कि मजदूरों और कामगारों के सामने भोजन का संकट न हो। फिर भी 6 लाख मजदूर पलायन कर चुके हैं।
दुर्गेश पार्थ सारथी
लुधियाना लॉकडाउन और कर्फ्यू के कारण मजदूरों के पलायन से पंजाब की इंडस्ट्री और कृषि क्षेत्र संकट में आ गया है। करीब दो महीने से लागू लॉकडाउन के कारण उद्योग और व्यापार ठप हैं और मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है। हालांकि प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों के सदस्य इस प्रयास में लगे हैं कि मजदूरों और कामगारों के सामने भोजन का संकट न हो। फिर भी 6 लाख मजदूर पलायन कर चुके हैं।
7 लाख से अधिक मजदूर हैं लुधियाना में
एक अनुमान के मुताबिक पंजाब की औद्योगिक नगरी लुधियाना में करीब सात लाख से अधिक मजदूर और कामगार रहते हैं। जबकि इतने ही मजदूर प्रदेश के अमृतसर, बठिंडा और पटियाला सहित विभिन्न जिलों में रहते हैं। इनमें कुछ तो यहां पर स्थाई निवासी हो गए हैं जबकि ज्यादतर मजूदर प्रवासी हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के मजदूरों की संख्या सबसे अधिक है। पंजाब से अब तक 6 लाख से अधिक मजदूर पलायन कर चुके हैं।
स्पेशल ट्रेनों से गए
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से पंजाब के अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला और बठिंडा सहित विभिन्न शहरों से पांच लाख से अधिक मजदूर पलायन कर चुके हैं। कृषि और उद्योग क्षेत्र में कार्यरत इन मजदूरों का पलायन जारी है।
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उद्योगपति चिंतित
भारी संख्या में मजदूरों के पलायन से पंजाब के उद्योगपति चिंतित हैं। उनका कहना है कि सरकार मजदूरों का पलायन रोके। अगर मजदूर चले गए तो कारखानों की मशीनें थम जाएंगी जिसका असर देश की इकोनॉमी पर पड़ेगा। उनका तर्क है कि कुशल मजदूर तैयार करने में समय लगेगा और तब तक कारोबार जगत प्रभावित होगा। वैसे इस बीच हीरो साइकिल लिमिटेड ने अपना उत्पादन शुरू कर दिया है। इसके साथ ही कुछ और उद्योग चल पड़े हैं। ऐसे में उद्योगपतियों की कुछ उम्मीदें जगी हैं।
किसान भी चिंतित
कुछ ही दिनों में पंजाब में धान की रोपाई शुरू होने वाली है। भारी संख्या में मजदूरों के पलायन से किसानों के सामने भी मजदूरों का संकट खड़ा हो गया है। किसान हरणचरण सिंह का कहना है कि धान रोपाई का सीजन सर पर है। इस सीजन में काफी संख्या में उप्र: बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ से मजदूर धान की रोपाई करने आते थे। अब किसानों के सामने सबसे बड़ा संकट खड़ा हो गया। कम मजदूर उपलब्ध होने से धान रोपाई की मजदूरी भी बढ़ जाएगी। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों को पहल के आधार पर मजदूरों का पलायन रोकना चाहिए और उनके लिए कुछ करना चाहिए।
रुकें भी तो कैसे
पंजाब से पलायन करने वाले मजदूरों का कहना है कि उन्हें पंजाब छोड़ने का मलाल तो है क्योंकि जिस शहर में उन्हें रोजगार दिया उसी शहर को छोड़ते हुए उन्हें खराब तो लग रहा है लेकिन मजदूरों की जो समस्याएं हैं। उनकी तरफ ना तो प्रशासन ध्यान दे रहा है और ना ही उद्योगपति या कारोबारी|
असहाय महसूस कर रहे बेरोजगार श्रमिकों का कहना है कि उनके घर में खाने का राशन तक नहीं है। जो पैसे बचे थे अब तक की जद्दोजहद में खर्च हो चुके हैं। ना जाने लॉकडाउन और कर्फ्यू की हालत कब तक बनी रहेगी। बेतिया निवासी राम दरस पाल का कहना है कि जब हम राशन लेने जाते हैं तो हमें वहां से भगा दिया जाता है। पुलिस डंडे बरसाती है। रेलवे स्टेशन जाते हैं वहां से वापस कर दिया जाता है। ऐसे हालात में समझ में नहीं आ रहा कि पंजाब में कैसे रहें। उनका कहना है कि राशन को लेकर के कई बार प्रदर्शन भी किया गया है। कुछ लोगों को राशन मिलता है तो कुछ लोगों को नहीं। इस पर भी ज्यादातर राजनीति हावी है। राम दरस कहते हैं कि एक मजदूर के घर में राशन नहीं था वह बार-बार थाने पर राशन के लिए जा रहा था लेकिन उसे वहां से हर बार भगा दिया गया। परेशान हो कर उसने फांसी लगा ली|
सीतामढ़ी के राजकिशोर यादव कहते हैं कि अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा है। इस प्रदेश में अपना कौन है। यहां तो जब तक काम करते हैं तब तक लोग पूछते हैं इसके बाद तो हमारे कारखाने के मालिक भी नहीं पूछते कि तुम लोग किस हाल में हो। ऐसे में हमें अपने मूल गांव जाना ही गवारा लगता है|
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मजदूरों के सामने एक नई समस्या
पंजाब के आर्थिक नगरी कहे जाने वाले लुधियाना में मजदूरों के सामने एक नई समस्या आ खड़ी हुई है वह यह कि कई मजदूर अपने मूल गांव जाने की आस में अपने किराए का मकान छोड़कर रेलवे स्टेशन चले आए लेकिन यहां से उन्हें वापस भेज दिया गया। ऐसे लोग न घर के रहे ना स्टेशन के। इन हालात में कई मजदूर ऐसे हैं जो सड़क किनारे डेरा जमाए बैठे हैं| यह समस्या अकेले उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों की नहीं है बल्कि इसमें मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, असम, बंगाल जाने वाले मजदूरों की भी है| मजदूरों का आरोप है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन में रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद प्रशासन उन्हें घर नहीं भेज रहा है। उन्हें उनके किराए के कमरों और वाहनों से पंजाब रोडवेज की बसों में बुलाकर रेलवे टिकट ले लेता है और उन्हें यह कहकर वापस फिर उसी जगह पर भिजवा देता है कि ट्रेनें फुल हो चुकी हैं।
वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि रेल गाड़ियां खाली न जाएँ इसलिए हम लोग क्षमता से अधिक श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन जानबूझकर करते हैं। जो श्रमिक अपने गांव नहीं जा पाए हैं उन्हें दोबारा भिजवाने का प्रबंध किया जाएगा। लेकिन यह बात मजदूरों के गले नहीं उतर रही है। उनका कहना है कि यह सारा काम पंजाब के कारोबारियों के दबाव में जिला प्रशासन कर रहा है। उन्हें जानबूझकर परेशान किया जा रहा है और उन्हें उनके मूल गांव वापस नहीं जाने दिया जा रहा।
वेतन में हो रही कटौती
जो श्रमिक उधर मिलों में काम भी कर रहे हैं उनके वेतन में मिल मालिक कटौती कर रहे हैं। यह आरोप उन श्रमिकों ने लगाया है जो इस समय विभिन्न टेक्सटाइल और धागा फैक्ट्री में काम कर रहे हैं। संगरूर जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। यहां मजदूरों ने वेतन काटे जाने पर जमकर बवाल किया।
अरिहंत धागा मिल में काम करने वाले श्रमिकों का कहना है कि मिल प्रबंधन मजदूरों की तनख्वाह में कटौती कर रहा है। मजदूरों का यह भी आरोप है कि मिल प्रशासन उनसे भेदभाव कर रहा है। उग्र मजदूरों ने मिल पर पथराव किया और जमकर नारेबाजी की। मौके पर पहुंची पुलिस को लाठीचार्ज कर मजदूरों को तितर बितर करना पड़ा। इसमें कुछ मजदूर घायल भी हुए हैं। मजदूरों का आरोप है कि प्रबंधकों ने उनके वेतन में कटौती कर दी जबकि आसपास के गांव से आने वाले मजदूरों को उन्होंने पूरी तनख्वाह दी है। ऊपर से वे कॉलोनी में रहने वाले मजदूरों को बाहर से राशन भी नहीं लेने देते और ना ही खुद राशन देते हैं। कॉलोनी के अंदर जो दुकानें हैं वहीं से उन्हें मजबूरन राशन खरीदना पड़ रहा है।
जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले में भी ऐसा ही वाकया हुआ था। यहां भी एक टैक्सटाइल मिल में काम करने वाले मजदूरों ने प्रबंधन पर आधे से भी कम वेतन देने का आरोप लगाया। अरिहंत धागा मिल प्रबंधकों का कहना है कि उन्होंने मिल कालोनी में रहने वाले करीब 14 मुलाजिमों को काम पर बुलाया था और उनकी उपस्थिति के अनुसार उन्हें वेतन दिया गया। लेकिन कुछ शरारती तत्व यहां का माहौल बिगाड़ रहे हैं।
बहरहाल, इस समय मजदूर पलायन करने को मजबूर हैं। जिनको श्रमिक स्पेशल ट्रेन में जगह मिल रही है वो ट्रेन से नहीं तो पैदल ही अपने सफर पर निकल पड़े हैं।
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