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अमेरिका का 'मैनहैटन प्रोजेक्ट': है बेहद खुफिया, ट्रंप खुद कर रहे निगरानी
मैनहैटन प्रोजेक्ट, अमेरिका का ख़ुफ़िया प्रोजेक्ट है जो कोरोना वायरस के खिलाफ शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत अमेरिकी अमीर लोग कुछ साइंटिस्टों के साथ मिल कर कोरोना की दवा या वैक्सीन तैयार करने के लिए रिसर्च कर रहे हैं।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कहर ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों को भी कमजोर बना दिया है। चीन से पनपे कोरोना का बेहद बुरा असर अमेरिका में देखने को मिल रहा है। ऐसे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस को रोकने और अमेरिकन संक्रमितों को ठीक करने के लिए लगातार बड़े कदम उठा रहे है। इसी कड़ी में अमेरिका में इन एक ख़ुफ़िया प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसकी निगरानी खुद ट्रंप कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का नाम है "मैनहैटन प्रोजेक्ट"।
क्या है 'मैनहैटन प्रोजेक्ट'
मैनहैटन प्रोजेक्ट, अमेरिका का ख़ुफ़िया प्रोजेक्ट है जो कोरोना वायरस के खिलाफ शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत अमेरिकी अमीर लोग कुछ साइंटिस्टों के साथ मिल कर कोरोना की दवा या वैक्सीन तैयार करने के लिए रिसर्च कर रहे हैं।

प्रोजेक्ट को सरकार से अनुमति मिली है। लगभग एक दर्जन अरबपति इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं, जिन्होंने कुछ बड़े साइंटिस्ट और डॉक्टरों को कोरोना की दवा या वैक्सीन खोज निकालने के लिए शोध की जिम्मेदारी दी है। अमेरिकी अरबपति इस प्रोजेक्ट को फाइनेंस कर रहे हैं। इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी, जो आगे की रणनीति बनाएगी।
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प्रोजेक्ट का नाम मैनहैटन क्यों?
बता दें कि इस प्रोजेक्ट का नाम मैनहैटन रखने के पीछे की वजह ये हैं कि इसी नाम से पहली बार अमेरिका ने न्यूक्लियर बम तैयार किया था, जो इतिहास में हिरोशिमा को तबाह करने के लिए जाना जाता है।

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प्रोजेक्ट के लीडर है डाक्टर डॉ थॉमस काहिल
कोरोना की दवा को लेकर हो रहे इस शोध का नेतृत्व अमेरिका के डाक्टर डॉ थॉमस काहिल (33) कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, शोध को लेकर अब तक लगभग 17 पन्नों की रिपोर्ट भी तैयार की जा चुकी है।

मैनहैटन प्रोजेक्ट की खासियत
इस प्रोजेक्ट की ख़ास बात ये हैं कि अमेरिकी अरबपति और साइंटिस्ट की टीम, जो इस प्रोजेक्ट से जुडी है, शोध से मुनाफा नहीं कमाएगी, बल्की इसके सकारात्मक परिणाम कोरोना को खत्म करने के लिए सरकार की मदद के लिए होंगे। अमेरिकी प्रशासन ने इसे Operation Warp Seed का नाम दिया है।
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