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World Savings Day 2025: लोगों में बचत की आदत जगाने वाला दिन, जानिए क्यों और कैसे शुरू हुई यह परंपरा
विश्व बचत दिवस लोगों में बचत की आदत जागृत करने और आर्थिक अनुशासन को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। यह दिन बताता है कि छोटी-छोटी बचतें भविष्य को सुरक्षित बनाती हैं।
World Savings Day 2025: तेजी से भागती जिन्दगी में हर इंसान का सपना होता है कि उसका भविष्य सुकून भरा और सुरक्षित हो। इस सपने को पूरा करने की पहली सीढ़ी है बचत। जीवन की अनिश्चितताओं और आर्थिक उतार-चढ़ाव के बीच 'विश्व बचत दिवस' यानी World Savings Day लोगों को यह याद दिलाने का अवसर देता है कि छोटी-छोटी बचतें ही बड़े सपनों को साकार करती हैं। हर साल 31 अक्टूबर को पूरी दुनिया में मनाया जाने वाला यह दिन लोगों को वित्तीय अनुशासन, आत्मनिर्भरता और समझदारी से धन प्रबंधन के लिए प्रेरित करता है। आइए इस खास दिन के बारे में जानते हैं विस्तार से -
कब और क्यों मनाया जाता है विश्व बचत दिवस
विश्व बचत दिवस की शुरुआत 31 अक्टूबर 1924 को इटली के मिलान में World Society of Savings Banks की एक अंतरराष्ट्रीय बैठक में की गई थी। इस विचार के जनक थे प्रोफेसर फिलिपो रविजा, जिन्होंने इसे 'अंतरराष्ट्रीय बचत दिवस' के रूप में प्रस्तावित किया। उनका उद्देश्य था लोगों में यह जागरूकता फैलाना कि भविष्य की जरूरतों और अनिश्चितताओं के लिए आज से ही बचत शुरू करनी चाहिए। बचत केवल आर्थिक स्थिरता ही नहीं देती, बल्कि यह मानसिक सुकून का भी आधार बनती है। प्रोफेसर फिलिपो रविजा का मानना था कि बचत की आदत परिवारों को बेहतर जीवन जीने और आपात स्थितियों का सामना करने में सक्षम बनाती है।
भारत में 30 अक्टूबर को क्यों मनाया जाता है यह दिन
हालांकि वैश्विक स्तर पर यह दिन 31 अक्टूबर को मनाया जाता है, लेकिन भारत में इसे 30 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसका कारण ऐतिहासिक है। असल में 31 अक्टूबर 1984 को देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गई थी। इस वजह से भारत में इस दिन को शोक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा और World Savings Day को एक दिन पहले, 30 अक्टूबर को मनाने की परंपरा शुरू हुई।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बढ़ी बचत की अहमियत
हालांकि विश्व बचत दिवस की शुरुआत 1924 में हो गई थी, लेकिन इसकी असली लोकप्रियता द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बढ़ी। युद्ध के कारण लाखों लोगों की आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई थी। रोज़गार, व्यापार और संसाधनों की कमी ने लोगों को यह सिखाया कि भविष्य के संकटों से निपटने के लिए बचत जरूरी है।
इसके बाद लगभग हर बड़े देश ने अपने नागरिकों के बीच बचत को बढ़ावा देने के लिए इस दिन को एक अभियान की तरह अपनाया। स्कूलों, बैंकों और सरकारी संस्थानों ने मिलकर आम लोगों को वित्तीय अनुशासन की ओर प्रेरित किया।
वक्त के साथ बदल रही बचत की परिभाषा
वक्त के साथ बचत की परिभाषा भी बदल गई है। पहले लोग सिर्फ बैंक खातों में पैसे जमा करते थे या गुल्लक में सिक्के रखते थे, लेकिन आज के दौर में बचत सिर्फ 'सेविंग्स अकाउंट' तक सीमित नहीं रही।
अब लोग म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट, गोल्ड बांड, शेयर मार्केट और एसआईपी (Systematic Investment Plan) जैसे आधुनिक विकल्पों को अपनाने लगे हैं।
इन निवेश साधनों ने बचत को एक नया आयाम दिया है। अब यह सिर्फ पैसे बचाने का नहीं, बल्कि पैसे को पैसे कमाने में लगाने का माध्यम बन चुका है।
एसआईपी - आधुनिक युग की सबसे लोकप्रिय बचत पद्धति
पिछले कुछ वर्षों में भारत में एसआईपी यानी Systematic Investment Plan ने बचत की परिभाषा बदल दी है। यह ऐसा तरीका है जिसमें हर महीने एक तय राशि म्यूचुअल फंड में निवेश की जाती है। इससे व्यक्ति बिना बड़ा जोखिम लिए धीरे-धीरे एक मजबूत पूंजी तैयार कर सकता है। एएमएफआई (Association of Mutual Funds in India) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार,
सितंबर 2025 में एसआईपी इनफ्लो 4% बढ़कर रिकॉर्ड ₹29,361 करोड़ हो गया है, जबकि अगस्त में यह ₹28,265 करोड़ था।
इसके अलावा, म्यूचुअल फंड्स का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) भी अगस्त के ₹75.2 लाख करोड़ से बढ़कर सितंबर में ₹75.6 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। ये आंकड़े बताते हैं कि अब भारतीयों में बचत के प्रति जागरूकता और निवेश की समझ लगातार बढ़ रही है।
क्यों जरूरी है बचत की आदत
बचत सिर्फ अमीर बनने का साधन नहीं, बल्कि संकट के समय सहारा बनने की आदत है। चाहे मेडिकल इमरजेंसी हो, नौकरी का संकट या बच्चों की पढ़ाई का खर्च अगर व्यक्ति नियमित रूप से बचत करता है, तो वह इन परिस्थितियों का डटकर सामना कर सकता है।
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि अपनी आय का कम से कम 20% हिस्सा बचत के लिए अलग रखना चाहिए। इसके अलावा, हर व्यक्ति को अपनी क्षमता और जरूरतों के हिसाब से निवेश योजना बनानी चाहिए।
डिस्क्लेमर-
इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के उद्देश्य से है। निवेश करने से पहले वित्तीय सलाहकार की सलाह अवश्य लें।
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