TRENDING TAGS :
लॉकडाउन में देवी बनी महिलाएं: कठिन हालातों में संभाला पूरा परिवार, तब चला संसार
लॉकडाउन के दौरान एक तरफ जहां पूरी दुनिया का काम ठप हो गया था, वहीं घर में परिवार संभाल रही महिलाओं का काम पहले से चार गुना बढ़ गया था। महिलाएं पूरा दिन घर के सभी सदस्यों के अच्छे खान-पान के लिए तो लगी रखती हीं, साथ ही घर में बैठे-बैठ मानसिक अवसाद से सभी को बचाने के लिए मनोरंजन का भी विशेष ध्यान रखती।
रिपोर्ट- विदुषी मिश्रा(Vidushi Mishra)
लखनऊ। साल 2020 में कोरोना महामारी का वो दौर जब देश क्या दुनियाभर में लॉकडाउन था। महामारी के दौरान का ये समय बहुत ही भयानक था। लोग जहां थे वहीं के वहीं फंसे रह गए थे। 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जब देशभर में 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान किया था। जिसकी वजह से कई परिवारों की तो ऐसी दुर्दशा हो गई थी, कि एक समय का खाना तक नसीब हो पाना बहुत किस्मत की बात होती थी। लॉकडाउन में कमाई करने के भी सारे रास्ते बंद हो गए थे। कोरोना काल में आर्थिक संकटों से उबरना मानों एक चेतावनी सी बन गई थी, कि किसी तरह इन 21 दिनों को पार करते हुए बच-बचा के आगे निकलना है।
ये भी पढ़ें... मिशन शक्ति अभियान: महिलाएं खूब कर रहीं शिकायतें, मनचलों पर तुरंत कार्रवाई
महिलाओं ने ऐसे रखा ध्यान
महामारी के शुरूआती दौर में जब मास्क से कोरोना के बचने का उपाय बताया गया। इसके लिए गाइडलाइन जारी हुई थी कि 3 परत वाले मास्क से कोरोना के वायरस से बचा जा सकता है। उस समय महिलाओं ने अपने हुनर को अपनी ताकत बनाकर घरों में मास्क बनाने का काम शुरू किया। जिसे कम दामों पर लोगों को बेचा, साथ ही जरूरतमंदों को फ्री में भी उपलब्ध कराया।
आर्थिक स्थिति के खराब होने पर महिलाओं द्वारा उठाए गए इस कदम से उनकी आर्थिक स्थिति में भी कुछ सुधार हुआ। साथ ही अन्य देशों की तरह भारत में मास्क की कमी नहीं पड़ी।
जहां एक तरफ पूरी दुनिया का काम ठप हो गया था, वहीं घर में परिवार संभाल रही महिलाओं का काम पहले से चार गुना बढ़ गया था। महिलाएं पूरा दिन घर के सभी सदस्यों के अच्छे खान-पान के लिए तो लगी रखती हीं, साथ ही घर में बैठे-बैठ मानसिक अवसाद से सभी को बचाने के लिए मनोरंजन का भी विशेष ध्यान रखती। जिससे लॉकडाउन का ये दौर आसानी से निकल जाएं, और पता भी न चले।
फोटो-सोशल मीडिया
महिलाओं की कद्र
महिलाओं को ताना मारने वाले पति जो ये कहते थे कि दिनभर तुम क्या करती रहती हो, सोती रहती है कोई काम नहीं करती। तो इस लॉकडाउन में उन पुरूषों को महिलाओं की कद्र पता चली गई। पूरे घर-परिवार को बांध कर रखने एक महिला ही है, जो अपने परिवार के लिए अपना दर्द-दुख और तकलीफ तक भूला देती है।
ये भी पढ़ें...महिलाएं बने आत्मनिर्भर: मिशन शक्ति की हुई शुरुआत, किया गया जागरूक
ऐसे में पानीपत में रहने वाली होममेकर संगीता सचदेवा कहती हैं, इस दौरान घर में सबको पता लगा कि कौन कितना काम करता है। पहले पुरुषों को लगता था कि हम ऑफिस चले गए तो पीछे से क्या किया? अब वे खुद ही देख रहे हैं कि कितना काम होता है घर पर। महिलाएं अपनी जिंदगी का पूरा समय बच्चों और पति के लिए खर्च कर देती हैं।
हजारों महिलाओं की प्रेग्नेंसी की वजह मौत
फोटो-सोशल मीडिया
दुनियाभर के 114 देशों में हुई रिसर्च
वहीं अब लॉकडाउन का दूसरा पहलू देखें तो लॉकडाउन का एक बड़ा असर पूरी दुनिया की महिलाओं पर इससे भी पड़ा कि महामारी के दौरान 19 लाख महिलाओं को गर्भनिरोधक दवाएं नहीं मिलीं। कोरोना के दौरान ऐसी महिलाओं के लिए सुरक्षित अबॉर्शन कराना भी मुश्किल था।
इस बारे में अबॉर्शन और काॅन्ट्रासेप्टिव सर्विस उपलब्ध कराने वाली मैरी स्टॉप्स दुनियाभर के 114 देशों में हुई रिसर्च पर बात करते हुए कहती हैं, कि इस साल के शुरुआती कुछ महीनों में अनवांटेड प्रेग्नेंसी के 9 लाख मामले सामने आए। इनमें से 15 लाख मामले असुरक्षित गर्भपात के थे। इन सबके बीच सबसे ज्यादा दुख की बात तो ये है कि 3,100 महिलाओं की प्रेग्नेंसी की वजह से मौत हो गई थी।
घर-परिवार को संसार बनाने वाली महिलाओं ने महामारी के इस दौर से अपने परिवार को सुरक्षित रखा। स्थितियों चाहे जैसी रहीं हो, लेकिन महिलाओं ने सकारात्मक स्वरूप धारण कर परिवार ही नहीं देश की रक्षा में अपना योगदान दिया है।
ये भी पढ़ें...क्या गर्भवती महिलाएं भी रख सकती हैं नवरात्रि में नौ दिन का उपवास, जानें
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!