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Ancient Hindu Temples: जानिए हिंदुओं के सबसे प्राचीन मंदिर से जुड़े आस्था और इतिहास के बारे में
Ancient Hindu Temples Story: मुंडेश्वरी, अंकोरवाट, सोमनाथ, खजुराहो और बृहदेश्वर जैसे प्राचीन हिंदू मंदिर न सिर्फ आस्था के केंद्र हैं बल्कि भारतीय संस्कृति, इतिहास और वास्तुकला की अनमोल धरोहर भी हैं।
Ancient Hindu Temples Story
Ancient Hindu Temples Story in Hindi: सम्पूर्ण भारत देश में सनातन धर्म के प्रचार के साथ ही यहां स्थापित हुए पौराणिक मंदिरों की विस्तृत श्रृंखला देखने को मिलती है। इन मंदिरों का रिश्ता उतना ही पुराना है जितना इंसान की सभ्यता का इतिहास। हजारों सालों से यह भूमि मंदिरों, तीर्थों और पवित्र स्थलों की धरोहर रही है। कभी ऐसा समय था जब ईरान से लेकर कंबोडिया और इंडोनेशिया तक हिंदू धर्म का प्रभाव फैला हुआ था। परिस्थितियां बदलीं, आक्रमण हुए, मंदिर टूटे और बिखरे, मगर आस्था की जड़ें कभी नहीं मुरझाईं। यही वजह है कि आज भी कई मंदिर खड़े हैं जो न सिर्फ ईश्वर की भक्ति का केंद्र हैं बल्कि भारतीय संस्कृति और वास्तुकला की जीवंत किताब की तरह हमारे सामने मौजूद हैं। आइए, एक-एक करके जानें उन मंदिरों से जुड़े सदियों के इतिहास और आस्था के बारे में विस्तार से -
दुनिया का सबसे विशाल हिन्दू मंदिर अंकोरवाट
12वीं शताब्दी में सूर्यवर्मन द्वितीय ने इसका निर्माण कराया था और यह भगवान विष्णु को समर्पित है। इसकी भव्यता का अंदाज़ इसी से लगाया जा सकता है कि इसका मध्य शिखर 213 फुट ऊंचा है। कभी यह कंबोडिया की राजधानी यशोधपुर का हृदय था। आज यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और पूरी दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करता है।कंबोडिया का अंकोरवाट सिर्फ ईंट-पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि एक पूरी सभ्यता का प्रतीक है।
9वीं सदी का जावा में खड़ा प्रंबनन मंदिर
इंडोनेशिया के मध्य जावा में खड़ा प्रंबनन मंदिर 9वीं सदी का है। यह मंदिर ब्रह्मा, विष्णु और शिव को समर्पित है। इसकी दीवारों पर रामायण की कहानियां जीवंत होती दिखाई देती हैं। जब आप इन्हें देखते हैं तो लगता है जैसे भारतीय संस्कृति ने समंदर पार जाकर भी अपनी पहचान छोड़ी हो। समय बदला, धर्म बदले, लेकिन यह मंदिर आज भी इस बात की गवाही दे रहा है कि आस्था की कोई सीमाएं नहीं होतीं।
रामायण की गाथा गाता मुन्नेस्वरम मंदिर
श्रीलंका के पुट्टलम में स्थित मुन्नेस्वरम मंदिर का इतिहास रामायण से जुड़ा है। मान्यता है कि रावण वध के बाद भगवान राम ने यहां शिव की पूजा कर पाप से मुक्ति पाई थी। मंदिर परिसर में पांच प्रमुख मंदिर हैं, जिनमें शिव का मंदिर सबसे बड़ा है। पुर्तगालियों ने इसे दो बार नष्ट करने की कोशिश की, लेकिन मंदिर आज भी मजबूती से खड़ा है। यह स्थान याद दिलाता है कि कहानी सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहती, वह जमीन पर भी अपने निशान छोड़ती है।
मोक्ष की चार सीढ़ियां हैं चार धाम
हिंदू जीवन में चार धाम यात्रा को सबसे पवित्र माना जाता है। बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम इन चारों जगहों के मंदिर न जाने कितनी बार टूटे, फिर बने, और आज भी लाखों लोगों के विश्वास का केंद्र हैं। इन मंदिरों का वर्तमान स्वरूप 9वीं से 11वीं सदी का माना जाता है। यात्रियों के लिए यह सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की मुक्ति की खोज भी मानी जाती है।
सोमनाथ मंदिर ज्योतिर्लिंगों का प्रथम केंद्र
गुजरात का सोमनाथ मंदिर ऋग्वेद में भी वर्णित है। माना जाता है कि इसका इतिहास लगभग नौ हजार साल पुराना है। यह शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में पहला है। इस मंदिर को बार-बार आक्रमणकारियों ने नष्ट किया, लेकिन हर बार यह और भी दृढ़ होकर खड़ा हुआ। आज सोमनाथ मंदिर सैकड़ों भक्तों का श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।
शनि शिंगणापुर-खुले आकाश के नीचे आस्था
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर अद्वितीय है। यहां शनि देव की प्रतिमा खुले आसमान के नीचे एक साधारण चबूतरे पर विराजित है। इसकी प्राचीनता का कोई निश्चित प्रमाण नहीं, लेकिन आस्था इतनी गहरी है कि गांव के घरों में दरवाजे तक नहीं लगते। लोग मानते हैं कि यहां चोरी संभव ही नहीं। यह आस्था का वह रूप है, जो शब्दों से नहीं, बल्कि इस मंदिर के दर्शन से जुड़े अनुभव करके ही समझा जा सकता है।
गुफाओं में उकेरी सभ्यता - अजंता-एलोरा
महाराष्ट्र की अजंता-एलोरा गुफाएं सिर्फ पत्थर नहीं, बल्कि समय की किताब हैं। 200 ईसा पूर्व से 650 ईस्वी तक बनी इन गुफाओं में बौद्ध, हिंदू और जैन तीनों धर्मों की छाप है। एलोरा का कैलाश मंदिर तो मानो चट्टान से निकला कोई चमत्कार लगता है। यहां की दीवारें आज भी उन ऋषियों की तपस्या और साधना की गवाह हैं जिन्होंने यहीं ध्यान लगाया था।
शिल्प और कला के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध- खजुराहो
मध्यप्रदेश का खजुराहो अपने शिल्प और कला के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। चंदेल शासकों ने 900 से 1130 ईस्वी के बीच इसका निर्माण कराया। यहां कभी 84 मंदिर थे, आज 22 शेष हैं। इन मंदिरों की मूर्तियां जीवन के हर पहलू साधना, संगीत, नृत्य और काम तक को दर्शाती हैं।
चोल युग का गौरव - बृहदेश्वर मंदिर
इतिहास में दर्ज तमिलनाडु के तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में राजा राजराज चोल प्रथम द्वारा करवाया गया था। शिव को समर्पित यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य की सर्वोच्च कृति है। इसका शिखर 216 फुट ऊंचा है और शीर्ष पर रखा गया विशाल पत्थर आज भी इंजीनियरिंग का रहस्य बना हुआ है। यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल है और चोल साम्राज्य की भव्यता की जीवंत झलक दिखाता है।
दो हजार साल पहले बना मंदिर मुंडेश्वरी देवी का मंदिर- एक प्राचीन धरोहर
बिहार के कैमूर जिले की पहाड़ियों पर बसा मुंडेश्वरी देवी का मंदिर भारत का सबसे पुराना जीवित मंदिर माना जाता है। कहा जाता है कि इसकी स्थापना 108 ईस्वी में हुई थी। यहां शिव और शक्ति दोनों की पूजा होती है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि करीब दो हजार साल पहले बना यह मंदिर आज भी कायम है और लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर में मिले शिलालेख बताते हैं कि 7वीं सदी तक यह अस्तित्व में था। पहाड़ी की ऊंचाई पर बसा यह स्थल न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी अनमोल धरोहर है।
देश में प्राचीन गवाही के रूप में मौजूद ये जीवंत मंदिर हमारी सभ्यता से जुड़ी वो अनमोल विरासत हैं, जिनमें संस्कृति, कला और आस्था सब से जुड़ा इतिहास दर्ज है। इन मंदिरों ने समय-समय पर बाहरी आक्रांताओं द्वारा आक्रमण झेले, समय की मार सही लेकिन आज भी उसी तरह अपनी महिमा का बखान करते अडिग खड़े हुए हैं। जहां आज भी घंटों घड़ियालों की गूंज के बीच सदियों पुरानी मान्यताएं श्रद्धा और आस्था के साथ निभाई जा रही हैं।
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