भक्तों ने श्मशान घाट पर खेली होली, एक-दूसरे को चिताओं की भस्म से रंगा

Admin
Published on: 20 March 2016 8:07 PM IST
भक्तों ने श्मशान घाट पर खेली होली, एक-दूसरे को चिताओं की भस्म से रंगा
X

वाराणसी: यूं तो दुनिया के कई देशों में होली खेलने की अलग-अलग परंपरा है। कहीं अबीर-गुलाल, टमाटर तो कहीं चॉकलेट और कीचड़ से लोग एक-दूसरे को रंगते हैं। इन सबसे अलग भोलेनाथ की नगरी और तीनो लोक से न्यारी काशी में ऐसी होली खेली जाती है जिसे देख कर आप दंग रह जाएंगे।

जी हां, काशी के लोग रंग-गुलाल के साथ-साथ जल चुके शवों के राख यानी भस्म के साथ होली खेलते हैं। काशी में भोले भंडारी के भक्तों ने रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन मर्णिकर्णिका घाट के पास महाश्मशान घाट पर जलती चिताओं की राख से होली खेली।

चिता की भस्म से होली खेलते भोले के भक्त चिता की भस्म से होली खेलते भोले के भक्त

काशी की होली अनेकता में एकता की मिसाल

-बनारस की इस अजब होली के गजब रंग का खुमार देखते ही बनता है।

-बनारसी होली की खास बात यह है कि शव जलाने वाले और शव लेकर आने वाले भी होली खेलते हैं।

-ऊंच-नीच, राजा-रंक के भेदभाव से कोसों दूर, उल्लास और उमंग के साथ चिता की भस्म से खेली जाने वाली होली अनेकता में एकता की मिसाल पेश करती है।

dead-body-ash-holi

क्या है मान्यता

-डमरु और घण्टे की आवाज पर बाबा महाश्मशान की पूजा करने के बाद मणिकर्णिका घाट पर भोले के भक्त इस त्योहार को मनाते हैं।

-मान्यता है कि रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ माता पार्वती की विदाई कराकर पुत्र गणेश के साथ काशी पधारते हैं।

-तब तीनों लोक से लोग उनके स्वागत सत्कार को आते हैं।

-जो लोग नहीं आ पाते हैं वह हैं- महादेव के सबसे प्रिय भूत-पिशाच, दृश्य-अदृश्य आत्माएं।

-रंगभरी एकादशी के अगले दिन महादेव अपने प्रिय भक्तों के साथ महाश्मशान पर होली खेलने पहुंचते हैं।

Admin

Admin

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!