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एक गांव ऐसा भी जहां आजादी के बाद पहली बार बजी शादी की शहनाई ....
आजादी के बाद एक ऐसा गांव जहां अब जाकर शहनाइयों की आवाज सुनने को मिली। गांव वालों के लिए यह पहला मामला था जिसमे उन्होंने शादी में बैंड बाजा बजता देखा था।
भोपाल: आजादी के बाद एक ऐसा गांव जहां अब जाकर शहनाइयों की आवाज सुनने को मिली। गांव वालों के लिए यह पहला विवाह था, जिसमें उन्होंने बैंड बाजा बजता देखा था। मामला मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के माना गांव का है। जहां रविवार की रात बैंड बाजे के साथ एक युगल की बारात निकाली गई, लेकिन इसके लिए पुलिस बल तैनात करना पड़ा।
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर सुसनेर तहसील के इस गांव में आजादी के बाद आज तक कभी भी दलित समाज के विवाह कार्यक्रम में बैंड बाजा नहीं बजा था। इस गांव में करीब 55 दलित परिवार रहते हैं।
गांव में दबंगों का खौफ
सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) जीएस डावर के मुताबिक चंदर मेघवाल निवासी माना ने उन्हें एक आवेदन दिया था। जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी बेटी ममता का विवाह राजगढ़ के दिनेश के साथ तय हुआ है, और 23 अप्रैल 2017 को वर पक्ष बारात लेकर माना आने वाला है। लेकिन गांव के दबंगों ने उन्हें चेतावनी दी थी, कि गांव में बारात बिना बैंड बाजे के निकलनी चाहिए। इस गांव में शादियां तो कई हुई हैं लेकिन अभी तक उन विवाह कार्यकर्मों में बैंड बाजे नहीं बज पाया है, और ना कोई दलित परिवार विवाह समारोह सजावट-रोशनी कर पाया है।
पिता को था इस बात का डर
चंदर मेघवाल ने बताया कि उन्हें दर था की कही उनकी बेटी के विवाह में को अनहोनी न हो जाए। जिसके लिए उन्होंने एसडीएम से मदद की गुहार लगाई थी। एसडीएम ने बताया की उनकी इस शिकायत पर उन्होंने तत्काल सुसनेर अनुविभागीय अधिकारी पुलिस, तहसीलदार और सुसनेर पुलिस थाना प्रभारी के साथ मीटिंग की और गांव में दलित परिवार के विवाह समारोह को सुरक्षित संपन्न करने के लिए तुरंत कार्रवाई करते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया था।
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