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मध्य प्रदेशः कांग्रेस या भाजपा जो भी जीतेगा जीत का अंतर बम्पर होगा
भाजपा इस चुनाव में चौथी बार अपनी सत्ता कायम रखने के लिए जूझ रही है जबकि 2003 से सत्ता से बाहर कांग्रेस अपनी वापसी के लिए संघर्ष कर रही है।
रामकृष्ण वाजपेयी
मध्य प्रदेश में 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए भारी भरकम 74.6 फीसद मतदान ने चुनाव की तस्वीर एकदम साफ कर दी है। भाजपा कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर की बात अब लगभग खत्म हो चुकी है। एक बार फिर सारे ओपिनियन पोल गलत साबित होने जा रहे हैं। मतदाता फिर भाग्य विधाता बन गया है। उसने भाजपा या कांग्रेस जिस को ताज पहनाने का बन बनाया है उसे बम्पर समर्थन दिया है। इससे यह स्पष्ट है कि यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो भाजपा का हाशिये पर जाना तय है और अगर भाजपा की सरकार बनी तो कांग्रेस का सपना एक बार फिर टूटेगा। लेकिन यह जनादेश हंग असेम्बली के लिए हुआ बिल्कुल नहीं लग रहा है।
भाजपा इस चुनाव में चौथी बार अपनी सत्ता कायम रखने के लिए जूझ रही है जबकि 2003 से सत्ता से बाहर कांग्रेस अपनी वापसी के लिए संघर्ष कर रही है। भाजपा का नेतृत्व शिवराज सिंह चौहान कर रहे हैं जबकि कांग्रेस की ओर से कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया की तिकड़ी मैदान में है।
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जहां तक ओपिनियन पोल की बात करें तो टाइम्स नाऊ के अनुसार कांग्रेस को 58 सीटें मिल रही हैं जबकि भाजपा को 153, आईबीसी 24 भाजपा को 101 और कांग्रेस को 119 सीटें दे रहा है। एबीपी सीएमडीएस भाजपा को 116 और कांग्रेस को 105 सीटें दे रहा है। इंडिया टीवी सीएनएक्स भाजपा को 122 और कांग्रेस को 95 सीटें दे रहा है। जबकि सी वोटर कांग्रेस को 116 और भाजपा को 107 सीटें दे रहा है।
अगर पिछले तीन चुनावों पर नजर डालें तो 2003 में भाजपा को 173 और कांग्रेस को 38 सीटों पर विजय मिली थी। 2008 में भाजपा को 143 और कांग्रेस को 71 सीटें मिली थीं जबकि 2013 में भाजपा को 165 और कांग्रेस को 58 सीटें मिली थीं।
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एक अन्य प्रतिष्ठित कंपनी द्वारा कराये गए सर्वे के अनुसार शिवराज सरकार के कामकाज से खुश लोगों का प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में 25 है तो नाखुश लोगों का प्रतिशत 70 है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 43 लोग चाहते हैं कि शिवराज सरकार दोबारा बने जबकि शहरी क्षेत्र में सरकार से खुश लोगों का प्रतिशत 45 है जबकि नाखुस लोगों का प्रतिशत 55 है। शहरी क्षेत्र में 48 फीसद लोग चाहते हैं कि कांग्रेस की सरकार बने। नौ फीसद लोग किसी और के पक्ष में हैं।
चुनाव विश्लेषण से यह साफ हो रहा है मध्य प्रदेश में यह नौ फीसद लोग निर्णयाक भूमिका में आ रहे हैं देखना यही है कि यह किसका वोट काटते हैं। जिस भी दल का वोट कटेगा उसका पिछड़ना तय है। फिलहाल तो गला काट प्रतिस्पर्धा में मतदाता प्रत्याशियों का नसीब लिखने में जुटा है। रिजल्ट 11 दिसंबर को आएंगे तब आगे की तस्वीर साफ होगी कि नतीजा हंग असेम्बली दे रहा है या किसी को स्पष्ट बहुमत।
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