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UP विधानसभा चुनाव: विपक्षी पार्टियों के निशाने पर सरकारी मशीनरी, निष्पक्ष चुनाव को लेकर फिक्रमंद
शारिब जाफरी
लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव 2017 के लिए वोटिंग की तारीख जैसे-जैसे क़रीब आ रही है सियासी पार्टियां निष्पक्ष चुनाव को लेकर फिक्रमंद होने लगी हैं।
मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिरीक्षक वाराणसी, पुलिस महानिरीक्षक मेरठ से लेकर ज़िलों में तैनात पुलिस व प्रशासनिक अफ़सर राजनितिक दलों के निशाने पर हैं। इनमें कई अफसर ऐसे भी हैं जिनके सगे-संबंधी सत्ताधारी दल से विधान सभा पहुंचने के लिए किस्मत आज़मा रहे हैं।
विपक्षियों के निशाने पर सरकारी मशीनरी
यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में विपक्षियों के निशाने पर सरकारी मशीनरी है। जिस निष्पक्ष चुनाव में खलल पैदा करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। जिन अफसरों से विपक्षियों को सबसे ज़्यादा शिकायत है उसमें उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक जावीद अहमद हैं। जिन्हें अखिलेश यादव सरकार ने कई सीनियर अफसरों को बाइपास कर डीजीपी बना दिया था। अब विपक्षी जावीद अहमद को हटाने की मांग कर रहे हैं।
मुख्य सचिव के खिलाफ भी शिकायत
कुछ ऐसी ही शिकायत मुख्य सचिव राहुल भटनागर की भी है। फिलहाल भारत निर्वाचन आयोग ने इन दोनों ही अफसरों को प्रदेश का दौरा करने और वीडियो कांफ्रेंसिंग करने पर रोक लगा दी है। इन अफसरों को प्रदेश के किसी हिस्से का दौरा या फिर वीडियो कांफ्रेंसिंग के लिए आयोग से लिखित इजाज़त लेनी होगी।
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ये भी निशाने पर
विपक्षी पार्टियां सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेहद भरोसेमंद एडीजी क़ानून व्यवस्था दलजीत चौधरी को भी हटाने की मांग कर रहे हैं। विपक्षियों को जिन अफसरों पर भरोसा नहीं है उनमें आईजी वाराणसी एसके भगत और एडीजी/आईजी मेरठ, अजय आनंद भी हैं। आईजी वाराणसी के पद पर तैनात एसके भगत वाराणसी में ही डीआईजी थे। वह इस जोन के कई ज़िलों में पुलिस कप्तान रह चुके हैं जबकि आईजी मेरठ प्रमोशन हो जाने के बाद भी आईजी मेरठ के पद पर बने हुए हैं।
धर्मेन्द्र सिंह पर भी हमला
विपक्षियों के राडार पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नोएडा, धर्मेन्द्र सिंह भी हैं। नोएडा से पहले धर्मेन्द्र सिंह लंबे वक्त तक एसएसपी गाज़ियाबाद रहे। बताया जाता कि धर्मेन्द्र सिंह के ससुर रामेश्वर सिंह एटा की अलीगंज विधानसभा सीट और चाहिया ससुर जोगेंद्र सिंह एटा की सदर सीट से विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं। ऐसे में विपक्षियों का आरोप है की धर्मेन्द्र सिंह सपा कार्यकर्ता की तरह चुनाव में काम कर रहे हैं।
'इन अफसरों से निष्पक्ष चुनाव की अपेक्षा बेमानी है'
कुछ ऐसा ही हाल पुलिस अधीक्षक गाजीपुर अरविंद सेन यादव का है। अरविंद के भाई आनंद सेन यादव फैज़ाबाद से सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। अरविंद सेन के पिता मित्रसेन यादव समाजवादी पार्टी के विधायक रह चुके हैं। हालांकि आनंद सेन पर एलएलबी की छात्रा का अपहरण और हत्या का आरोप लग चुका है। बीजेपी नेता दिनेश शर्मा कहते हैं कि 'इन अफसरों से निष्पक्ष चुनाव की अपेक्षा ही बेमानी है।
मंजिल सैनी भी सपा परिवार के करीब
लखनऊ की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजिल सैनी समाजवादी पार्टी कैंप की भरोसेमंद अफसर मानी जाती हैं। यही वजह है कि इलाहाबाद, मथुरा, फ़िरोज़ाबाद, इटावा के बाद अब लखनऊ में एसएसपी हैं। लखनऊ में कमान संभालने के बाद पहली प्रेस कांफ्रेंस में मंजिल सैनी ने खुद को इटावा परिवार का ख़ास बताया था। लखनऊ से बीजेपी उम्मीदवार गोपाल टंडन कहते हैं 'निष्पक्ष चुनाव के लिए मंजिल सैनी का हटाया जाना ज़रूरी है।'
..तो हिमांशु कुमार राम गोपाल के करीब
एसपी फ़िरोज़ाबाद हिमांशु कुमार के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है। वो अखिलेश यादव के 'चाणक्य' कहे जाने वाले चाचा प्रोफ़ेसर राम गोपाल यादव के ख़ास हैं। एसपी फ़िरोज़ाबाद और एसएसपी मथुरा से निलंबित होने वाले राकेश सिंह एसपी जालौन हैं। उन्हें मथुरा में हुए जवाहरबाग कांड के बाद निलंबित कर दिया गया था। लेकिन सत्ता में पैठ के चलते न सिर्फ फ़ौरन बहाल हुए बल्कि एसपी जालौन भी बना दिए गए।
बीजेपी-बसपा लगातार करती रही शिकायत
इन अफसरों की शिकायत भारतीय जनता पार्टी के साथ ही बहुजन समाज पार्टी भी करती रही है। अब ऐसे में देखना ये है कि चुनाव आयोग की टीम जब 27 और 28 जनवरी के दो दिवसीय दौरे पर लखनऊ पहुंचती है तो विपक्षियों का क्या रुख होता है। साथ ही आयोग क्या कार्रवाई करता है।
गौरतलब है कि साल 2012 के विधानसभा चुनाव के समय आयोग तत्कालीन पुलिस महानिदेशक बृजलाल, प्रमुख सचिव गृह फ़तेह बहादुर सिंह के अलावा क़रीब तीन दर्जन ज़िलों के ज़िलाधिकारी/पुलिस कप्तान को हटा दिया था।
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