सपा शासन में आउट आफ टर्न प्रोन्नति को अधिक महत्व देकर बनी वरिष्ठता सूची खारिज

राम केवी
Published on: 27 Feb 2019 10:02 PM IST
सपा शासन में आउट आफ टर्न प्रोन्नति को अधिक महत्व देकर बनी वरिष्ठता सूची खारिज
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21 और 22 फरवरी को अधिवक्ताओं की गैर मौजूदगी में नहीं होगा प्रतिकूल आदेश 

सूची में इंस्पेक्टर के मूल पदों के सापेक्ष आउट आफ टर्न प्रोन्नत इंस्पेटरों को बताया गया था वरिष्ठ

कोर्ट के इस आदेश से कई डिप्टी एसपी का हो सकता है डिमोशन

विधि संवाददाता। लखनऊः नियमित प्रोन्नति और आउट आफ टर्न प्रोन्नति पाने वालों को दो भिन्न भिन्न और अलग अलग वर्ग बताते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनउ खंडपीठ ने आउट आफ टर्न प्रोन्नति पाने वाले इंस्पेक्टरेां केा वरिष्ठता प्रदान करने वाले सपा शासन के दौरान जारी किये गये 23 जुलाई 2015 के शासनादेश, 990 नान गजेटेड पुलिस अफसरेां को वन टाइम वरिष्ठता प्रदान करने संबधी 27 जुलाई 2015 के शासनादेश सहित 24 फरवरी 2016 को बनायी गयी वरिष्ठता सूची को खारिज कर दिया है।

अपने आदेश में केार्ट ने कहा नियमित पदों पर अपने कैडर में इंस्पेक्टर के रूप में नियुक्ति पाये याची निरीक्षकगण आउट आफ टर्न प्रोन्नति पाये निरीक्षकगणों से वरिष्ठ थे और आउट आफ टर्न प्रोन्नति पाये इंस्पेक्टर कैडर के नियमित पदों पर नियुक्त इंस्पेक्टरेां से अपने को वरिष्ठ नहीं कह सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि नये सिरे से वरिष्ठता सूची का निर्धारण किया जाये।

कोर्ट के इस आदेश से बड़ी संख्या में आउट आफ टर्न प्रोन्नति पाकर इंस्पेक्टरों बने पुलिस अफसरों को झटका लगा है क्योकिं इस वरिष्ठता के आधार पर वे डिप्टी एसपी के पदों पर पहुंच चुकें हैं।

यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने इंस्पेक्टर मंहत यादव व कुछ अन्य इंस्पेक्टरों की ओर से अलग अलग दायर रिट याचिकाओं को मंजूर करते हुए पारित किया। याचीगणों ने कहा था कि उनकी नियुक्ति सब इंस्पेक्टरों के मूल पदों पर हुई थी और बाद में उनको इंस्पेक्टर के पदों पर प्रोन्नति मिली।

यह भी कहा गया कि राज्य सरकार ने कुछ सब इंस्पेक्टरेां को 1994 में आउट आफ टर्न प्रोन्नति प्रदान कर दी थी । कहा गया कि सरकार ने आगे प्रोन्नति के लिए 24 फरवरी 2016 को जो वरिष्ठता सूची बनायी उसमें आउट आफ टर्न प्रोन्नति पाने वाले इंस्पेक्टरेां को सूची में उनसे वरिष्ठ करार दे दिया जो कि सरासर नियमविरू द्ध है अतः याचीगणेां ने उक्त वरिष्ठता सूची व ऐसे इंस्पेक्टरेां को वरिष्ट करार देने संबधी शासनादेशों को रद करने की मांग की थी।

याची इंस्पेक्टरेां ने आउट आफ टर्न प्रोन्नति पाये कुछ इंस्पेक्टरेां को याचिका में विपक्षी पक्षकार बनाया था । प्रारम्भ में इन विपक्षी पक्षकारों की ओर से वकील बहस के लिए हाजिर हो रहे थे किन्तु बाद में वे गैरहाजिर हो गये । कोर्ट के बार बार समय देने पर जब वे बहस के लिए हाजिर नहीं हुए तो कोर्ट ने याचीगणों के वकील व सरकारी वकील की बहस सुनने के बाद याचिकाएं स्वीकार कर लीं।

अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि 1994 में कुछ सब इंस्पेक्टरेां केा इंस्पेक्टर के पदों पर आउफ आफ टर्न प्रोन्नति एक्स कैडर पोस्ट पर दी गयी थी न कि उनकी इंस्पेक्टर के पद पर उनकी नियुक्ति मूल कैडर के रूप में हुई थी लिहाजा वे मूल पदेां पर नियुक्ति पाये इंस्पेक्टरेां से वरिष्ठ नहीं हो सकते हैं।

केार्ट ने कहा कि प्रोन्नति 2015 में बनी पुलिस नियमावली के तहत होनी चाहिए जबकि सरकार का 23 व 27 जुलाई 2015 को पारित आदेश व 24 फरवरी 2016 को बनी वरिष्ठता सूची नियमानुसार सही नहीं थी अतः खारिज किये जाने येाग्य है।

राम केवी

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