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जवाहरबाग कांड: HC ने कहा- याचिकाकर्ताओं को मिले चार्जशीट की कॉपी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के जवाहरबाग में मारे गए लोगों की सीबीआई जांच की मांग में दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 101 आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट और अन्य साक्ष्यों की प्रति 15 दिन में याचियों को देने का आदेश दिया है। साथ ही पूर्व में पारित कोर्ट के आदेश का भी पालन करने को कहा है। याचिका की अगली सुनवाई 03 अक्टूबर को होगी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की बेंच ने अश्विनी उपाध्याय और अन्य की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। प्रदेश के महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने कोर्ट को जानकारी दी कि घटना की जांच पुलिस ने पूरी कर ली है। 101 लोगों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में पेश की जा चुकी है।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के जवाहरबाग में मारे गए लोगों की सीबीआई जांच की मांग में दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 101 आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट और अन्य साक्ष्यों की कॉपी 15 दिन में याचिकाकर्ताओं को देने का आदेश दिया है। साथ ही पूर्व में पारित कोर्ट के आदेश का भी पालन करने को कहा है। याचिका की अगली सुनवाई 03 अक्टूबर को होगी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की बेंच ने अश्विनी उपाध्याय और अन्य की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है।
प्रदेश के महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने कोर्ट को जानकारी दी कि घटना की जांच पुलिस ने पूरी कर ली है। 101 लोगों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में पेश की जा चुकी है। इसके अलावा राज्य सरकार ने कमीशन ऑफ इनक्वायरी एक्ट के तहत प्रकरण की जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज इम्तियाज मुर्तजा आयोग को सौंप दी है आयोग ने अपनी जांच पूरी कर ली है। याची अपना पक्ष जांच आयोग के समक्ष रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है और कार्रवाई हो रही है। ऐसे में घटना की सीबीआई जांच कराने का औचित्य नहीं है।
याची की ओर से कहा गया कि यह केवल हिंसक घटना की जांच और केवल कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं है। मामला साल 2014 में दो दिन के धरना की अनुमति लेकर दो साल बाद घटना के दिन तक हजारों लोगों को जमा करने, शस्त्र रखने, 300 पेड़ काटने और आतंक कायम करने में अधिकारियों की भूमिका की जांच का है।
कोर्ट ने पूछा कि पुलिस ने विवचेना कर 101 लोगों को आरोपित किया है। जिसकी जानकरी याची को नहीं है तो वह कैसे कह सकते हैं कि पुलिस ने ठीक से विवेचना नहीं की है। इस पर याची अधिवक्ताओं ने पुलिस रिपोर्ट और मैटीरियल की कॉपी उपलब्ध कराने की मांग की, जिस पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है।
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