झांसी: ''बुंदेलखंड की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना युवाओं का उत्तरदायित्व''

बुन्देलखण्ड की सांस्कृतिक एवं साहित्यिक धरोहर को सहेजना तथा उसकी रक्षा करते हुए उसमें बढोत्तरी करना आज के युवाओं का उत्तरदायित्व है। यह विचार अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महासंघ के अध्यक्ष डॉ. हरगोविन्द कुशवाहा ने व्यक्त किये।

Ashiki
Published on: 9 Jan 2021 9:49 PM IST
झांसी: बुंदेलखंड की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना युवाओं का उत्तरदायित्व
X
झांसी: ''बुंदेलखंड की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना युवाओं का उत्तरदायित्व''

झाँसी: बुन्देलखण्ड साहित्यिक एवं सांस्कृतिक प्रतिभाओं का धनी रहा है, लेकिन बुन्देलखण्ड की सांस्कृतिक एवं साहित्यिक धरोहर को सहेजना तथा उसकी रक्षा करते हुए उसमें बढोत्तरी करना आज के युवाओं का उत्तरदायित्व है। यह विचार अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महासंघ के अध्यक्ष डॉ. हरगोविन्द कुशवाहा ने व्यक्त किये।

डॉ. हरगोविंद कुशवाहा आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय परिसर स्थित पत्रकारिता संस्थान के सभागार में राष्ट्रीय सेवा योजना बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय तथा बुन्देलखण्ड साहित्य संगम के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित बुन्देलखण्ड से हिन्दी के यशस्वी नाटककार तथा उपन्यासकार डा. बृन्दावनलाल की 146वीं जयन्ती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओ को सम्बोधित कर रह थे।

संस्कृति और साहित्य की परंपरा बहुत पुरानी

उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड में संस्कृति और साहित्य की परंपरा बहुत पुरानी है। इतिहास साक्षी है कि बुन्देलखण्ड की धरती पर ही चारों वेद, अठ्ठारह पुराण, उपनिषद एवं भाष्यों की रचना की गई थी। डा. वृंदावन लाल वर्मा ने बुन्देलखण्ड की उस परंपरा को जीवित रखा और आगे बढ़ाया। डा. कुशवाहा ने कहा कि डा. बृंदावन लाल वर्मा ही वह व्यक्ति हैं जिन्होंने बुन्देलखण्ड के इतिहास, संस्कृति और साहित्य का परिचय दुनिया से कराया। उन्होंने गढ़कुंडार, झांसी की रानी, विराठा की पदमिनी आदि उपन्यासों एवं नाटकों में इस क्षेत्र का सटीक चित्रण कर बुन्देलखण्ड की सांस्कृतिक और साहित्यिक संपदा में वृद्धि की है।

ये भी पढ़ें: झांसी: भू माफियाओं की खैर नहीं, DM ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में के संकायाध्यक्ष-वाणिज्य संकाय प्रो.प्रतीक अग्रवाल ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि बुन्देलखण्ड के साहित्यिक जगत के महान हस्ताक्षर डाॅ.बृंदावन लाल वर्मा की जयंती के अवसर पर आयोजित इस समारोह में उन्हे सम्मिलित होने का सुअवसर प्राप्त हुआ।

उन्होंने कहा कि वह भी इस क्षेत्र के मूल निवासी हैं परन्तु आज डॉ. कुशवाहा द्वारा दिये गये उदाहरणों से उनकी पुरानी यादें ताजा हो गई है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को बुन्देलखण्ड की संस्कृति एवं साहित्य का अध्ययन अवश्य करना चाहिए ताकि वे इस से रूबरू हो सकें। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ.मुन्ना तिवारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा डा.बृंदावन लाल वर्मा के व्यक्तित्व एवं साहित्यिक कृतित्व पर प्रकाश डाला।

ये भी पढ़ें: गोरखपुर में लगेगा कोका कोला का प्लांट, लोगों को मिलेगा रोजगार

डॉ सी.पी. पैन्यूली ने भी अपने विचार व्यक्त किए

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पत्रकारिता विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ सी.पी. पैन्यूली ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण पुष्पार्चन तथा दीप प्रज्वलन से प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ अनुपम व्यास ने किया जबकि आमंत्रित अतिथियों का आभार वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. श्वेता पाण्डेय ने व्यक्त किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के नोडल अधिकारी डॉ उमेश कुमार, डॉ प्रशांत मिश्रा, डॉ शुभांगी निगम, डॉ. भुवनेश मस्तानिया, इंजी बृजेश लोधी सहित विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना के विभिन्न इकाइयों की स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

रिपोर्ट: बीके कुशवाहा

Ashiki

Ashiki

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!