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एस पी गोयल मामला : अभिषेक गुप्ता का यू-टर्न, सामने आई जांच रिपोर्ट
जानिए क्या है रिपोर्ट में
अभिषेक गुप्ता की शिकायत के सन्दर्भ में मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बिन्दुओं की जानकारी देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि लखनऊ-हरदोई मार्ग पर जनपद हरदोई के ग्राम रैसो की भूमि गाटा संख्या 184 को, जिसके भूमिधर अभिषेक गुप्ता हैं अपनी भूमि का विनिमय ग्राम समाज के रास्ते की भूमि गाटा संख्या 187 से करने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। रास्ते की भूमि सार्वजनिक उपयोगिता की भूमि होती है। राजस्व संहिता की धारा-77(2) के परन्तुक के अनुसार लोक उपयोगिता की भूमि की श्रेणी अपवादात्मक प्रकरणों में ही परिवर्तित किए जाने का प्राविधान है। लोक उपयोगिता की भूमि की श्रेणी परिवर्तन के कारणों का उल्लेख किया जाना भी आवश्यक है।
1- उप्र राजस्व संहिता-2006 की धारा-77(3) के प्रावधान निम्नवत हैं-
राज्य सरकार, भूमि की श्रेणी परिवर्तित करते समय या संहिता की धारा 101 के अन्तर्गत उसके विनिमय की अनुज्ञा देते समय आरक्षित किये जाने के लिए या विनिमय किये जाने के लिए प्रस्तावित भूमि की स्थिति, लोक उपयोगिता और उपयुक्तता पर विचार करेगी।
2- राजस्व संहिता की धारा-77(2) में प्राविधान है कि राज्य सरकार संहिता की धारा-101 के अंतर्गत लोक उपयोगिता की भूमि के विनिमय की अनुज्ञा विहित रीति से दे सकेगी।
3- उक्त के सम्बन्ध में राजस्व अनुभाग-3 के कार्यालय ज्ञाप संख्या-722/एक-3-16-रा-3, दिनांक 14.06.2016 के प्रस्तर-2 के अनुसार निजी उद्योगों/निजी संस्थाओं/निजी कम्पनियों, न्यासों आदि के लिए श्रेणी परिवर्तन में अन्तिम निर्णय लेने हेतु मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया है।
उक्त प्रकरण में प्रार्थी अभिषेक गुप्ता की गाटा संख्या-184 का रास्ता गाटा संख्या-187 जो लखनऊ-हरदोई मार्ग पर स्थित है से विनिमय किए जाने के प्रस्ताव का परीक्षण शासन स्तर पर किया गया। परीक्षणोपरान्त धारा-77(3) के अनुसार यह पाया गया कि रास्ते के रूप में दर्ज भूमि, जो लखनऊ-हरदोई मार्ग पर स्थित है, उसका विनिमय अभिषेक गुप्ता ने अपने गाटा संख्या-184 से के पिछले भाग से किया जाना प्रस्तावित किया है। इस प्रकार ग्राम समाज की रास्ते की भूमि जो राजमार्ग पर स्थित थी, को अपने गाटे के सड़क से पीछे की ओर दिए जाने से उसकी स्थिति, लोक उपयोगिता और उपयुक्तता नहीं रह जाएगी। अस्तु प्रस्तावित भूमि का विनिमय राजस्व संहिता की धारा-77 (3) सहपठित धारा-101 के अनुसार लोक उपयोगी एवं उपयुक्त नहीं पाया गया।
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