महाधिवक्ता कार्यालय में संचार माध्यम विकसित करने का निर्देश

राम केवी
Published on: 27 Feb 2019 8:59 PM IST
महाधिवक्ता कार्यालय में संचार माध्यम विकसित करने का निर्देश
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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इलाहाबाद व् लखनऊ स्थित महाधिवक्ता ,शासकीय अधिवक्ता व् मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय में केंद्रीकृत संचार माध्यम विकसित करने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने कहा है कि सरकार मांगी गई जानकारी या जवाबी हलफनामा उपलब्ध कराने में देरी के कारण मुकदमो के निस्तारण में अनावश्यक विलम्ब होता है।संचार माध्यमो के जरिये सरकार के विभागों से सीधा संपर्क होने से याचिकाओं के निस्तारण को गति मिल सकेगी।

कोर्ट ने सरकारी कार्यलय में मूलभूत सुविधाएं(कम्प्यूटर,फैक्स मशीन,स्कैनिंग मशीन,फोन ,इंटरनेट एवं वाई फाई) मुहैया कराने का भी निर्देश दिया है।,कोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय व विधि परामर्शी से 8 मार्च को कार्यवाही मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी ने राज्य सरकार की प्रथम अपील की सुनवाई करते हुए दिया है।

कोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय से कहा है कि वह सभी विभागों के फोन नम्बर व् इ मेल एक हफ्ते में सरकारी वकीलो के कार्यालय को उपलब्ध करा दे और 3 दिन में विशेषज्ञ के साथ टेक्निकल टीम की तैनाती करे। जो सर्वे व् आंकलन कर राज्यविधि अधिकारियो के लिए जरूरी सुविधाओं पर 5 मार्च तक रिपोर्ट दे और सरकार उस पर अमल करे। सरकार 3 हफ्ते में हैबी ड्यूटी स्कैनर सह प्रिंटर उपलब्ध कराए।प्रमुख सचिव न्याय 10 दिन में संचार माध्यमो की गाइडलाइन दे ताकि इन्हें क्रियाशील किया जा सके। इससे पूर्व प्रमुख सचिव ने कोर्ट को इस सम्बन्ध में उठाये गये कदमो की जानकारी दी और कहा कि गठित कमेटी ने अहम फैसले लिए है। ऐसा तंत्र विकसित किया जायेगा जिससे कोर्ट से मांगी गई जानकार विभाग से तुरन्त उपलब्ध कराई जाएगी।

कोर्ट ने कहा अक्सर कोर्ट मुकदमे के त्वरित निस्तारण के लिए जानकारी मांगती है और वह समय से नही मिल पाती। जब अधिकारी तलब होते है तो बताते है उन्हें कोर्ट के आदेश की जानकारी देर से मिली। जब कि सरकारी वकील कहते है कि आदेश की सूचना फैक्स से तुरन्त भेज दी गयी थी। सही विभाग को तुरन्त सूचना मिलने से सरकार का ही फायदा है। सरकार का रुख स्पष्ट होने से याचिका का त्वरित निस्तारण हो सकेगा। समय व् धन की भी बचत होगी।

डीपीएस गाजियाबाद से फीस वापसी आदेश पर रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला फ़ीस नियंत्रक कमेटी गाजियाबाद द्वारा दिल्ली पब्लिक स्कूल इंदिरापुरम से फ़ीस वापसी के पारित आदेश पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार व् कमेटी से याचिका पर 2 हफ्ते में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने स्कूल की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है।कोर्ट ने क्षेत्राधिकार व् नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन पर भी जवाब मांगा है। याचिका की पोषणीयता पर यह कहते हुए आपत्ति की गयी की उ प्र स्ववित्तपोषित स्वतंत्र स्कूल( फ़ीस नियंत्रण) एक्ट की धारा 9(2)के तहत कमेटी के आदेश को अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष चुनौती देनी चाहिए।याची अधिवक्ता का कहना था कि सरकार ने अपीलीय प्राधिकारी का गठन ही नही किया है।कोर्ट ने जब इस बाबत सरकार से जानकारी मांगी तो दो बार समय दिए जाने के बाद भी जानकारी नही मिल सकी। इसपर कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 11 मार्च तक कमेटी के आदेश पर रोक लगा दी । कोर्ट ने डी पी एस इंदिरापुरम पैरेंट एसोसिएशन को याचिका में पक्षकार बनने की अर्जी दाखिल करने की अनुमति दे दी है।

राम केवी

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