कोरोना संकट में भी झूठे दावें कर रही है बीजेपी सरकार: अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर झूठे दावें करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि कोरोना संकट के दौर में स्थानीय बेरोजगारों और बाहर से आने वाले श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के भाजपा के दावे भी धोखे साबित हो रहे हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 6 May 2020 11:05 PM IST
कोरोना संकट में भी झूठे दावें कर रही है बीजेपी सरकार: अखिलेश यादव
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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर झूठे दावें करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि कोरोना संकट के दौर में स्थानीय बेरोजगारों और बाहर से आने वाले श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के भाजपा के दावे भी धोखे साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘झूठ के पैर नहीं होते है‘ इस कहावत का सच जगजाहिर है पर भाजपा को इस पर यकीन नहीं।

सपा अध्यक्ष ने बुधवार को कहा कि भाजपा सरकार और इसके प्रवक्ताओं के झूठे दावों का सच सामने आने में भी देर नहीं लगती है। सेंटर फार मानिटरिंग इण्डियन एकोनाॅमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट बताती है कि 3 मई 2020 को समाप्त सप्ताह तक बेरोजगारी दर बढ़कर 27.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। जबकि मार्च 2020 में यह 8.74 प्रतिशत थी। देश में 24.95 फीसदी मजदूरों के पास कोई काम नहीं है। फिर रोजगार किसे और कहां मिल रहा है? क्या भाजपा ने भ्रमित करने का ठेका ले रखा है?

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अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार उत्तर प्रदेश के श्रमिकों को बाहर से मुफ्त वापस लाने का दावा करते नहीं थकती। पर सच तो सच है, मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर के श्रमिकों ने ही बताया कि भिवंडी से गोरखपुर आने के लिए उनसे 745 रुपये ट्रेन किराया वसूला गया। श्रमिकों के साथ भी यह धोखा शर्मनाक है। प्रदेश के अन्य जनपदों के श्रमिक भी अपनी टिकटें दिखा रहे हैं। लोग कह रहे है कि अगर ये रेल टिकट नहीं है तो क्या बंधक श्रमिकों को छोड़ने पर ली गई फिरौती की सरकारी रसीद है? देश भर के मजदूरों को लग रहा है कि अब वो भाजपा सरकार के बंधक बन गए हैं।

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सपा मुखिया ने कहा कि श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। भाजपा सरकार में मजदूर बेबस और मजबूर है। जिनके पास एक जोड़ी कपड़ा खाने का ठिकाना नहीं है और उन्हे बेहद दूर जाना है। उन्होंने कहा कि फ्री ट्रेन सेवा के नाम पर लूटे गए असहाय गरीबों को बेदर्दी से सड़क पर सैनिटाइज करने से किसी की आंख जली तो किसी का शरीर। यह संवेदनशून्यता की पराकाष्ठा है। उन्होंने कहा कि सरकार जनता को सताने में अपनी बहादुरी समझती है।

रिपोर्ट: मनीष श्रीवास्तव

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