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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, ट्रेनिंग कर रहे चार हजार दारोगा की भर्ती रद्द
लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को झटका देते हुए चार हजार दारागाओं की चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने अब लिखित परीक्षा कराते हुए फिर से चयन प्रक्रिया के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि साल 2011 में मायावती शासन के दौरान ये भर्ती प्रकिया शुरू हुई थी। जस्टिस राजन राय ने मामले की सुनवाई के दौरान आदेश दिए।
कोर्ट की मनाही के बावजूद ट्रेनिंग पर भेजा था
याचियों के वकील रजत राजन सिंह ने बताया कि कोर्ट ने अभिषेक सिंह आदि की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए गत 26 मई को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसे आज सुनाया गया। उन्होंने बताया कि कोर्ट के फैसले से चार हजार दारोगाओं और प्लाटून कमांडेंट को तगड़ा झटका लगा है। ये सभी इस वक्त ट्रेनिंग पर हैं। जल्द ही उनकी ट्रेनिंग पूरी होने वाली है। उन्होंने बताया कि इन लोगों को सरकार ने कोर्ट की मनाही के बावजूद ट्रेनिंग पर भेजा था।
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असफल अभ्यर्थियों ने दी थी याचिका
यूपी सरकार ने साल 2011 में दारोगा और प्लाटून कमांडरों के चार हजार दस पदों पर भर्ती के लिए चयन प्रकिया प्रारंभ की थी। साल 2014 में लिखित परीक्षा की प्रकिया पूरी कर ली गई। इसके बाद 26 जून 2015 को सरकार ने चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी कर दी। कई असफल अभ्यर्थियों ने कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर कर चयन सूची को चुनौती दी थी।
याचियों ने दी थी दलीलें
याचियों की ओर से चयन सूची को रद्द करने के पक्ष में कई दलीलें दी गईं थीं। जिसमें कहा गया कि क्षैतिज आरक्षण गलत था। प्रारम्भिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम सौ अंक निर्धारित किए गए थे। परंतु कई उन अभ्यर्थियों को भी लिखित परीक्षा में बिठाया गया जिनके अंक सौ से कम थे।
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चयन प्रक्रिया में नियमों को रखा ताक पर
आगे कहा गया कि नियमों के अनुसार प्रारम्भिक परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में सेे कुल पदों के तीन गुना अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा में बुलाना था। परंतु इसके विपरीत पांच से छह गुना अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा के लिए बुलाया गया। यह भी कहा गया कि जीडी की विडियो रिकॉर्डिंग भी नहीं करायी गई। वहीं सरकार की ओर से सारे आरोपों को गलत करार देते हुए चयन सूची को ठीक करार दिया गया था।
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