आपराधिक केसों में अनुभवी वकीलों को न्यायमित्र सूची में शामिल करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महानिबंधक को (एमेकस क्यूरी) न्यायमित्र अधिवक्ताओं को नये सिरे से सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि दो हफ्ते में आपराधिक मामलों के जानकार वकीलों को शामिल किया जाए।

Rishi
Published on: 20 Nov 2018 8:23 PM IST
आपराधिक केसों में अनुभवी वकीलों को न्यायमित्र सूची में शामिल करने का निर्देश
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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महानिबंधक को (एमेकस क्यूरी) न्यायमित्र अधिवक्ताओं को नये सिरे से सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि दो हफ्ते में आपराधिक मामलों के जानकार वकीलों को शामिल किया जाए। कोर्ट ने कहा है कि न्यायमित्रों की सूची में आपराधिक केसों के अनुभवी वकीलों की कमी है।

कोर्ट ने अधिवक्ता अर्चना सिंह को जेल अपील पर बहस के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया है और 26 नवम्बर को बहस करने को कहा है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति ओम प्रकाश की खण्डपीठ ने अवधेश कुमार दुबे की जेल अपील पर दिया है। अपीलार्थी फतेहगढ़ जेल में बंद है। उसे हत्या व दुराचार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है। जिसके खिलाफ 2008 में हाईकोर्ट में जेल अपील दाखिल की गयी है। इस मामले में आजीवन कारावास या फांसी हो सकती है। ऐसे में न्यायमित्रों की सूची में आपराधिक मामलों के अनुभवी वकीलों को शामिल किया जाए।

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जाति प्रमाण पत्र जारी करने में देरी पर जवाब तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लोकसेवा आयोग इलाहाबाद द्वारा स्टाफ नर्स (महिला) पद पर चयनित याची को एसटी जाति प्रमाणपत्र जारी करने में देरी मामले में राज्य सरकार ने एक माह में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति भारती सपू्र तथा न्यायर्मूिर्त जयंत बनर्जी की खण्डपीठ ने बलिया की भारती कुमारी की याचिका पर दिया है।

याचिका पर अधिवक्ता वी.के.चंदेल व मयंक चंदेल ने बहस की। याची का कहना है कि वह आयोग की स्टाफ नर्स परीक्षा में चयनित हुई है। दस्तावेज सत्यापन में छह माह के भीतर जारी जाति प्रमाण पत्र पेश करने को कहा गया।

याची को बेल्थरा रोड बलिया के तहसीलदार ने 24 दिसम्बर 12 को जनजाति प्रमाण पत्र जारी किया है। इसके बाद उसकी शादी हो गयी तो सैदपुर गाजीपुर के तहसीलदार ने भी जाति प्रमाणपत्र जारी किया है।

13 सितम्बर 18 को जारी इस प्रमाण पत्र को स्वीकार नहीं किया जा रहा है। कहा गया कि पैतृक आवास का जाति प्रमाणपत्र पेश करे। याची ने तहसीलदार बेल्थरा रोड को अर्जी दी है। लेखपाल की पक्ष में रिपोर्ट होने के बावजूद तहसीलदार प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहे हैं। याची का कहना है कि प्रमाणपत्र न पेश होने से चयन निरस्त हो सकता है। तहसीलदार ने दूसरे कई अन्य लोगों को प्रमाण पत्र जारी किया है।

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शिक्षक भर्ती काउंसिलिंग पर रोक का आदेश रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग की शिक्षक भर्ती काउंसिलिंग पर रोक लगाने के 17 अक्टूबर 18 को जारी राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है और कहा है कि सरकार को बीच में भर्ती प्रक्रिया में बदलाव करने का अधिकार नहीं है।

कोर्ट ने कहा है कि आयोग ने 1300 अध्यापको का चयन कर लिया है और अब सरकार ने पारदर्शिता लाने के लिए साफ्टवेयर विकसित कर काउंसिलिंग करने का निर्णय लिया है। यह कानून के अनुरूप नहीं है।

कोर्ट ने कहा है कि आयोग को जारी प्रक्रिया के अनुसार काउंसिलिंग करने का अधिकार है। सरकार उसमें बदलाव नही कर सकती। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि सरकार नये साफ्टवेयर से पारदर्शी प्रक्रिया अपनाना चाहती है तो उसे नियमो में संशोधन करना चाहिए और ऐसा संशोधन लागू होने की तिथि से ही लागू होगा।

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने विनय कुमार सिंह व 8 अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि आयोग पद विज्ञापन के नियम के तहत काउंसिलिंग कर चयन प्रक्रिया पूरी करे। याचिका में राज्य सरकार द्वारा साफ्टवेयर में बदलाव करने के लिए जारी काउंसिलिंग पर रोक लगाने की वैधता को चुनौती दी थी।

याची का कहना था कि आयोग स्वायत्त संस्था है। अधिनियम के तहत विहित विधि से उसे चयन प्रक्रिया अपनाने का अधिकार है। चयन के बीच में सरकार को प्रक्रिया में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। कोर्ट याची के तर्कों में बल मानते हुए सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। अब चल रही प्रक्रिया से भर्ती की काउंसिलिंग पूरी की जायेगी।

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लेक्चरर को नहीं मिला मानदेय सेवा का लाभ

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान संस्थान के शरीर क्रिया विभाग में लेक्चरर को केरियर एडवांस स्कीम के तहत प्रोन्नति पाने के योग्य नहीं माना है और कहा है कि वह पूर्व की तदर्थ,अस्थायी या मानदेय पर की गयी सेवा अनुभव का लाभ पाने का हकदार नही है।

कोर्ट ने दूसरे विश्वविद्यालय की सेवा अनुभव को न जोड़ने के आदेश की वैधता चुनौती याचिका खारिज कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति बी अमित स्थालेकर तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खण्डपीठ ने डा. नरेंद्र शंकर त्रिपाठी की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि वह बाबा मस्त नाथ आयुर्वेदिक कालेज रोहतक हरियाणा में शरीर क्रिया विभाग में कार्यरत था ।2007 में बी एच यू ज्वाइन किया। 2012 में याची ने केरियर एडवांस स्कीम के तहत प्रोन्नति का दावा किया था। 2013 में दावा निरस्त कर दिया गया था। विश्वविद्यालय की तरफ से कहा गया कि याची प्रोन्नति पाने की निर्धारित योग्यता नहीं रखता इसलिए उसे प्रोन्नति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने याची के तर्कों को बलहीन मानते हुए याचिका खारिज कर दी।

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लगातार तीसरी बार बने प्रबंधक का चुनाव अवैध, मान्यता देने का आदेश रद्द

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रबंधन नियमावली के विपरीत तीसरे टर्म के लिए कालेज प्रबंधक का चयन अवैध करार दिया है और जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा आपत्ति तय किये बगैर उसे मान्यता देने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने डीआईओएस को प्रबंधक का नये सिरे से चुनाव कराने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने प्रमोद कुमार व भारत वीर आर्या की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता के.पी शुक्ल व अनुराग शुक्ल ने बहस की।

याची का कहना है कि सरस्वती इंटर कालेज पीपलहेरा ककरैला खतौली, मुजफ्फरनगर की प्रबंध समिति का हर पांच वर्ष पर चुनाव होता है। 2008 व 2013 में विपक्षी राजेन्द्र सिंह प्रबंधक चुने गये। नियमानुसार एक प्रबंधक लगातार दो से अधिक समय तक चुना नहीं जा सकता। दो बार के कार्यकाल के बाद एक बार के गैप के बाद पुनः चुनाव लड़ सकता है। 2018 में प्रबंध समिति का चुनाव हुआ तो वर्तमान प्रबंधक राजेन्द्र सिंह पुनः चयनित कर लिये गये।

याची भारत वीर आर्या ने आपत्ति की, कि उन्हें तीसरे टर्म के लिए चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है। इस आपत्ति पर कोई निर्णय न लेते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक ने विपक्षी प्रबंधक को मान्यता दे दी। जिसे याचिका में चुनौती दी गयी थी।

कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए निरीक्षक के आदेश को रद्द कर दिया। विपक्षी का कहना था कि दो कार्यकालों के बीच में विद्यालय का एकल संचालन कर दिया गया था। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि वह लगातार दो बार से प्रबंधक है। कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और कहा कि वह दो बार लगातार चयनित हुआ है। अब तीसरी बार नहीं चुना जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि याची की आपत्ति तय नहीं की गयी। भले ही वह चुनाव हार गया। उसे याचिका दाखिल करने का अधिकार है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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