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इलाहाबाद HC का निर्देश: इंजीनियरिंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स को नहीं देनी होगी बढ़ी फीस
हाईकोर्ट ने इंजीनियरिंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स को राहत देते हुए निर्देश दिया है कि प्रदेशभर के इंजीनियरिंग कॉलेज इस सत्र 2016-17 में स्टूडेंट्स से बढ़ी हुई फीस नहीं वसूल करेंगे। कोर्ट ने प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए सत्र 2017-18, 2018-19 और 2019-20 की फीस छह महीने में तय करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही इस संबंध में एकल न्यायपीठ के आदेश को अप्रभावी घोषित कर दिया है। एकलपीठ ने अपने आदेश में प्राइवेट इंजीनयरिंग कॉलेजों को 29 अगस्त तक फीस का प्रस्ताव देने और प्रदेश सरकार के 26 नवंबर तक सत्र 2016-17 की फीस तय करने का निर्देश दिया था।
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने इंजीनियरिंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स को राहत देते हुए निर्देश दिया है कि प्रदेशभर के इंजीनियरिंग कॉलेज इस सत्र 2016-17 में स्टूडेंट्स से बढ़ी हुई फीस नहीं वसूल करेंगे। कोर्ट ने प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए सत्र 2017-18, 2018-19 और 2019-20 की फीस छह महीने में तय करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही इस संबंध में एकल न्यायपीठ के आदेश को अप्रभावी घोषित कर दिया है। एकलपीठ ने अपने आदेश में प्राइवेट इंजीनयरिंग कॉलेजों को 29 अगस्त तक फीस का प्रस्ताव देने और प्रदेश सरकार के 26 नवंबर तक सत्र 2016-17 की फीस तय करने का निर्देश दिया था।
एकल पीठ ने स्टूडेंट्स से कहा था कि अगर फीस तय होने के बाद बढ़ती है तो वह बढ़ी फीस देने को बाध्य होंगे। प्रदेश सरकार ने इस निर्णय को विशेष अपील दाखिल कर चुनौती दी थी। सरकार के विशेष अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने बताया कि प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए फीस प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा की अध्यक्षता वाली समिति तय करती है। इस साल प्रमुख सचिव ने फीस तय करने के लिए उपसमिति का गठन कर दिया। उपसमिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस साल का शुल्क अभी तय नहीं हो सकता इसलिए संस्थान वर्ष 2015-16 की फीस ही वसूल करें। प्रदेश सरकार ने 22 जून 2016 को शासनादेश जारी कर पुरानी फीस ही वसूल करने का निर्देश दिया। शासनादेश को अजय कुमार गर्ग इंजीनियरिंग कॉलेज, गाजियाबाद ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
एकल पीठ ने 22 जून 2016 का शासनादेश रद्द करते हुए प्राइवेट कॉलेजों को फीस का प्रस्ताव देने और प्रदेश सरकार को फीस घोषित करने का आदेश दिया था। एकल पीठ के आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी गई थी। मुख्य न्यायाधीश दिलीप बी.भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने एकल जज के आदेश को अप्रभावी घोषित कर दिया। प्रदेश सरकार को छह महीने में तीनों सत्र की फीस घोषित करने और मौजूदा सत्र में पुराने फीस ही वसूल करने का निर्देश दिया है।
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