राज्य सरकार को एक माह में दुर्घटना दावा अधिकरण गठित करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाहन दुर्घटना अधिनियम के तहत राज्य सरकार को स्वतंत्र अधिकरण तथा नार्काेटिक्स एक्ट के तहत विशेष अदालतें गठित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि 2 जनवरी 19 तक दुर्घटना दावा अधिकरणों को स्टाफ सहित गठन नहीं किया गया तो हाईकोर्ट अपने न्यायिक अधिकारियों को दावे तय करने के काम से वापस लेने पर विचार करेगा।

Rishi
Published on: 29 Nov 2018 10:19 PM IST
राज्य सरकार को एक माह में दुर्घटना दावा अधिकरण गठित करने का निर्देश
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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाहन दुर्घटना अधिनियम के तहत राज्य सरकार को स्वतंत्र अधिकरण तथा नार्काेटिक्स एक्ट के तहत विशेष अदालतें गठित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि 2 जनवरी 19 तक दुर्घटना दावा अधिकरणों को स्टाफ सहित गठन नहीं किया गया तो हाईकोर्ट अपने न्यायिक अधिकारियों को दावे तय करने के काम से वापस लेने पर विचार करेगा।

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कोर्ट ने कहा दावा दावा अधिकरणों का कार्य अपर जिला जजों द्वारा अपने काम के अतिरिक्त किया जा रहा है। उन पर काम का भारी बोझ होने के कारण वे नियमित मुकदमें तय नहीं कर पा रहे। अधिनियम के तहत राज्य सरकार का दायित्व है कि वह स्वतंत्र अधिकरणों का गठन करे। सरकार मांगेगी तो हाईकोर्ट पीठासीन अधिकारी देगा। किन्तु अधिकरणों का गठन न कर न्यायिक अधिकारियों पर काम का बोझ डालना उचित नहीं है।

इसी तरह कोर्ट ने नार्काेटिक्स एक्ट के तहत विशेष अदालतें गठित करने की समयबद्ध कार्ययोजना मांगी है। सरकार द्वारा अधिकरण व विशेष अदालतें गठित न करने से अधीनस्थ न्यायालय के न्यायकि अधिकारियों काके बिना स्टाफ व सुविधाओं के अतिरिक्त कार्य करना पड़ रहा है। कोर्ट ने राज्य सरकार से अगली सुनवाई की तिथि 1 जनवरी 19 को कृत कार्यवाही की रिपोर्ट मांगी है।

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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर, न्यायमूर्ति वी.के.नारायण तथा न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की पूर्णपीठ ने स्वतः प्रेरित जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट में निजी सचिव, पीठ सचिव कैडर व स्टाफ में वृद्धि करने के प्रस्ताव पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है।

राज्यपाल ने 10 जुलाई 14 को एक न्यायाधीश पर 3 स्टाफ (2 निजी सचिव व एक अपर सचिव या वैयक्तिक सहायक) दिये जाने पर सहमति दी है। कोर्ट ने स्वीकृत मानक को पूरा करने सहित अतिरिक्त स्टाफ देने का आदेश दिया है। पीठ सचिवों के मामले में सरकार ने एक न्यायाधीश पर दो पीठ सचिव व 5 फीसदी अतिरिक्त पीठ सचिव पर सहमति दी है। इसे बढ़ाकर एक पर तीन करने पर विचार हो रहा है। कार्यालय कैडर में वृद्धि पर विचार हो रहा है।

सरकार ने बताया कि ड्राइवर, चपरासी, जमादार आदि चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की संख्या बढ़ायी जायेगी। कोर्ट ने एक माह में निर्णय लेकर अवगत कराने का निर्देश दिया है। सरकार की तरफ से बताया गया कि दुर्घटना दावा अधिकरणों के गठन के लिए हाईपावर कमेटी गठित कर दी गयी है। जो विचार कर रही है प्रदेश के 74 जिलों में 78078 वाहन दुर्घटना दावे विचाराधीन है। न्यायिक अधिकारी अपने न्यायिक कार्य के अलावा इन दावों का निपटारा कर रहे हैं। जिसके चलते विचाराधीन मुकदमों में बढ़ोत्तरी हो रही है। सरकार कानून बना देती है किन्तु विशेष कोर्टों का गठन नहीं करती।

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प्रथम श्रेणी अधिकारी ब्रदरहुड के न्यायमूर्ति वी.के.नारायण अध्यक्ष व शांतानंद वरिष्ठ उपाध्यक्ष चुने गए

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति वी.के.नारायण प्रथम श्रेणी अधिकारी ब्रदरहुड के अध्यक्ष पद पर स्वीकार कर लिया है। ब्रदरहुड की आमसभा में अन्य पदों का सर्वसम्मति से चुनाव किया गया। जिसमें शांतानंद वरिष्ठ उपाध्यक्ष, राकेश कुमार मिश्र कनिष्ठ उपाध्यक्ष, रमेश चन्द्र श्रीवास्तव महासचिव, दयाराम संयुक्त सचिव, सचिव प्रशासन, श्रीमती रीता आजमानी संयुक्त सचिव संगठन, विनय कुमार मिश्र सहायक सचिव, नागेन्द्र कुमार जायसवाल कोषाध्यक्ष तथा आर.सी.मिश्र, आर.के.अग्रवाल, वी.के.अस्थाना, सत्येन्द्र मिश्र, विनोद कुमार, संजय भट्टाचार्या, श्रीमती कामिनी श्रीवास्तव, सफकत अली, महीश कुमार दुबे व संत लाल शर्मा कार्यकारिणी सदस्य चुने गये हैं। इसकी जानकारी महासचिव रमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने दी है।

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देवरिया सेल्टर होम मामलाःसुनवाई 12 दिसम्बर को पीड़िताओं के बयान दर्ज करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देवरिया सेल्टर होम मामले की जांच कर रही एस.आई.टी.टीम को अज्ञात स्थान पर रह रही तीन पीड़िताओं का बयान दर्ज करने की छूट दी है। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को मुख्य न्यायाधीश से अनुमति लेकर एस.आई.टी. टीम के स्थान पर जाकर बयान दर्ज कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने चौथी पीड़िता जिसने शादी कर ली है, के परिवार व ससुराल वालों का विशेष कार्याधिकारी न्यायिक पुष्पेन्द्र सिंह के समक्ष बयान दर्ज किया गया। कोर्ट ने दर्ज बयान को सीलबंद लिफाफे में महानिबंधक के पास सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 12 दिसम्बर नियत की है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति वाई.के.श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने इस मामले में कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। बारह दिसम्बर को पीड़िता की तरफ से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की भी सुनवाई होगी।

नेताओं के इशारे पर ब्यूरोक्रेसी का समर्पण उचित नहीं: हाईकोर्ट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राजनैतिक दबाव में कर्मठ व ईमानदारी से काम करने वाली अधिकारी को दस साल में 11 बार पिछले ढाई साल में छह बार तबादला करने को शक्तियों का दुरूपयोग व दुर्भावनापूर्ण माना है। कोर्ट ने नगरपालिका परिषद गढ़मुक्तेश्वर हापुड़ की अधिशासी अधिकारी कुमारी अमिता वरूण का नगर पालिका परिषद मरहराए ऐरा तबादला करने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने याची को राजनैतिक दबाव में बार बार तबादला कर परेशान करने के लिए निदेशक स्थानीय निकाय पर पचास हजार रूपये हर्जाना लगाया है और हर्जाना राशि का भुगतान दो माह में याची को किये जाने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति नीरज त्रिपाठी की खण्डपीठ ने तबादले की चुनौती में दाखिल अमिता वरूण की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता प्रभाकर अवस्थी ने बहस की। मालूम हो कि विशेष सचिव ने निदेशक को मंत्री की इच्छा का पालन करते हुए याची का तबादला करने का आदेश दिया। जिस पर यह तबादला कर दिया गया। कोर्ट ने इस पर तीखी टिप्पणी की और कहा कि निदेशक नियुक्ति अधिकारी होने के नाते स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं। किन्तु राजनैतिक आकाओं के इशारे पर काम करने की ब्यूरोक्रेसी की प्रवष्त्ति के कारण एक कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार अधिकारी को परेशान किया जा रहा है। उसे राजनैतिक आकाओं के इशारे पर काम करने को विवश करने का प्रयास किया गया।

याची के खिलाफ भ्रष्टाचार की कोई शिकायत नहीं है और न ही उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही है। एक बोल्ड लेडी अधिकारी को इसलिए बार बार स्थानांतरित किया जा रहा है कि वह राजनैतिक लोगों के इच्छा के विपरीत कानून के तहत कार्य कर रही है। कोर्ट ने कहा कि बार बार तबादला ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारी को हतोत्साहित करने वाला कदम है। अधिकारियों ने नेताओं की इच्छा के आगे समर्पण कर दिया है। कानूनन उन्हें स्वतंत्र निर्णय लेने का पूरा अधिकार है किन्तु इसकी अनदेखी कर निर्देशों का पालन करते जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि वैसे तबादला सेवा का एक हिस्सा है, किन्तु यह जनहित या प्रशासनिक हित में किया गया है। नेताओं के इशारे पर अधिकारी का बार बार तबादला जनहित में न होकर दुर्भावनापूर्ण व दण्डात्मक तबादला है। बिना किसी आरोप व कारण के किसी का दंड स्वरूप तबादला कानून के विपरीत है।

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इंट्री टैक्स वसूली के खिलाफ आईओसी की याचिकाएं खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंट्री टैक्स (प्रवेश कर) पर बकाया ब्याज वसूली के खिलाफ दाखिल इंडियन आयल कार्पोरेशन की याचिकायें खारिज कर दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका की पोषणीयता पर की गयी आपत्ति को सही माना है और कहा है कि एक ही मामले में विफल होने के बाद दुबारा याचिका पोषणीय नहीं है। कोर्ट ने कहा कि याची ने प्रवेश कर के आंकलन आदेश को चुनौती नही दी और ब्याज की चुनौती दी है। जब कि वर्ष 2007-08 के टैक्स पर बकाया ब्याज कर निर्धारण प्रक्रिया में ही निहित है। इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक राहत न मिलने के बाद दुबारा मुकदमेबाजी शुरू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल तथा न्यायमूर्ति अशोक कुमार की खण्डपीठ ने मेसर्स इंडियन आयल कार्पोरेशन मथुरा की तरफ से दाखिल कई याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट के इस आदेश से वाणिज्य कर विभाग को प्रवेश कर पर बकाया ब्याज वसूली का रास्ता साफ हो गया है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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