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छलका अमर सिंह का दर्द, बोले- जयाप्रदा के लिए कुछ नहीं कर पाया
लखनऊ: यूपी में सपा से राज्यसभा का चुनाव जीतने के चार दिन बाद ही अमर सिंह पूरे सबाब में दिख रहे हैं। अमर सिंह का दावा है कि अब यूपी के सीएम अखिलेश यादव पर किसी भी कीमत पर 'अंकल सिंड्रोम' हावी नहीं हो पाएगा। हालांकि इस दौरान अमर सिंह का दर्द भी छलका। जयाप्रदा के बारे में पूछे जाने पर अमर ने कहा, उन्होंने मेरी खातिर अपना राजनीतिक करियर कुर्बान कर दिया।
अमर सिंह और जयाप्रदा के रिश्ते हमेशा ही चर्चा में रहे हैं। समाजवादी पार्टी से ही दोनों सांसद थे। बाद में दोनों को ही पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। हालांकि इस मुद्दे पर सबका अपना नजरिया रहा है। एक कारण आजम खान का उस वक्त पार्टी में बढ़ता कद भी माना जाता रहा है।
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छह साल बाद सपा में लौटे हैं अमर
गौरतलब है कि अमर सिंह करीब छह साल बाद समाजवादी पार्टी में वापस लौटे हैं। एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में उन्होंने कहा, 'वह अपनी सीमाएं जानते हैं और राजनीति तथा पारिवारिक रिश्तों के बीच बेहतर संतुलन रखते हुए अपने भतीजे अखिलेश यादव पर अंकल सिंड्रोम हावी नहीं होने देंगे।'
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संबंधों के बीच संतुलन बना लूंगा
अमर सिंह ने कहा, अपनी दूसरी पारी में मैं राजनीति तथा पारिवारिक संबंधों के बीच संतुलन बना लूंगा।' मतलब यह है कि अखिलेश जहां एक ओर मेरे भतीजे हैं, वहीं वह दूसरी ओर राज्य के सीएम भी हैं। मैं अखिलेश के प्रति अंकल सिंड्रोम को हावी नहीं होने दूंगा। उन्होंने कहा कि मैं समाजवादी पार्टी के अघोषित मार्गदर्शक मंडल का सदस्य हूं।
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अनुभवों से काफी सीखा
-अमर सिंह ने कहा कि अपनी बीते दिनों के अनुभव से मैं काफी कुछ सीख चुका हूं।
-मैंने अपनी पारी भी खेल ली है। अब मैं ज्यादा धैर्य और सहजता से काम लूंगा।
-अमर सिंह ने कहा, अब वह अति उत्साह में कोई भी काम नहीं करेंगे।
-वह अब ताकत की सियासत करने या कोई पद लेने के इच्छुक नहीं हैं।
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कभी था रसूख
-इससे पहले सपा के राष्ट्रीय महासचिव रहे अमर सिंह का काफी प्रभाव उस वक्त के सीएम मुलायम सिंह यादव पर रहता था।
-इसका असर उस समय सीएम के हर फैसले में नजर आता था।
-उस दौर में अमर सिंह पार्टी के सबसे ताकतवर नेता माने जाते थे।
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जयाप्रदा के लिए कुछ नहीं कर पाने का अफसोस
-जयाप्रदा के सवाल पर अमर सिंह बोले, मैं इससे बेहद खिन्न हूं कि लाख कोशिशों के बावजूद मैं उन्हें कहीं समायोजित नहीं करा सका।
-मेरी वजह से उन्होंने कांग्रेस और भाजपा में जाने से साफ इंकार कर दिया।
-उन्होंने अपना राजनीतिक करियर कुर्बान कर दिया।
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