सात दिन में अनुमोदन न देने पर नियुक्ति स्वत: अनुमोदित हो जाएगीः हाईकोर्ट

कोर्ट ने निरीक्षक के आदेश को रद्द कर दिया है और उ.प्र. माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड एक्ट 1982 की धारा- 33  (जी )के तहत सेवा नियमितीकरण पर 4 माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सक्षम प्राधिकारी प्रबन्धक व डीआईओएस से रिकार्ड मंगाकर निर्णय ले। नियमितीकरण पर निर्णय होने तक याचियों को प्राप्त अंतरिम आदेश जारी रहेगा।

SK Gautam
Published on: 9 Aug 2019 10:05 PM IST
सात दिन में अनुमोदन न देने पर नियुक्ति स्वत: अनुमोदित हो जाएगीः हाईकोर्ट
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प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि अध्यापक की नियुक्ति अनुमोदन जिला विद्यालय निरीक्षक यदि 7 दिन में अनुमोदित नहीं करता तो नियुक्ति स्वतः अनुमोदित हो जायेगी। ऐसी नियुक्ति को प्रक्रिया का पालन न होने के आधार पर अवैध मान नियमित किये जाने से इंकार करना उचित नहीं है।

कोर्ट ने निरीक्षक के आदेश को रद्द कर दिया है और उ.प्र. माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड एक्ट 1982 की धारा- 33 (जी )के तहत सेवा नियमितीकरण पर 4 माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सक्षम प्राधिकारी प्रबन्धक व डीआईओएस से रिकार्ड मंगाकर निर्णय ले। नियमितीकरण पर निर्णय होने तक याचियों को प्राप्त अंतरिम आदेश जारी रहेगा।

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कोई उत्तर न मिलने पर विज्ञापन निकाला गया

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने प्रमोद कुमार पांडेय व 5 अन्य की विशेष अपील को निस्तारित करते हुए दिया है। अपील पर वरिष्ठ अधिवक्ता आर.पी. मिश्र व अरविन्द मिश्र ने बहस की। मालूम हो कि सकलडीहा इंटर कालेज चंदौली में एलटी ग्रेड टीचर पद खाली हुआ। प्राधिकृत नियंत्रक ने डीआईओएस से तदर्थ नियुक्ति की अनुमति मांगी। कोई उत्तर न मिलने पर विज्ञापन निकाला गया। नियंत्रक ने चयन के बाद याचियों की नियुक्ति कर निरीक्षक को 17 अक्टूबर 1997 को अनुमोदन के लिए भेजा।

वेतन न देने पर दाखिल याचिका पर कोर्ट ने निर्णय लेने का आदेश दिया। जिस पर निरीक्षक ने नियुक्ति प्राक्रिया का पालन न होने के कारण नियुक्ति अवैध करार दिया। कहा कि प्रबन्धक द्वारा की गयी तदर्थ नियुक्ति विधि के विपरीत है। इसलिए वेतन पाने के हकदार नहीं है जिसे चुनौती दी गयी।

कोर्ट के अंतरिम आदेश से याचियों को वेतन भुगतान होने लगा। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और कहा कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने के कारण नियुक्ति अवैध है। एकल पीठ के आदेश को अपील में चुनौती दी गयी थी।

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कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति पेपर निरीक्षक को भेजे गए थे। जिस पर कोई निर्णय न होने की स्थिति में डीम्ड अनुमोदन हो गया। ऐसे में एकल पीठ द्वारा नियुक्ति अवैध कहना सही नहीं है। नियमानुसार उनके नियमित किये जाने पर निर्णय होना चाहिए।

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