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पदों से डेढ गुना अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट करने का सरकार का सुझाव
प्रदेश में सहायक शिक्षकों के 69 हजार पदों पर भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में गुरूवार को भी राज्य सरकार की ओर से अपना पक्ष रखा गया। सरकार की ओर से पक्ष रखने के पश्चात वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा ने सुझाव दिया कि कुल पदों अर्थात 69 हजार के डेढ गुने अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट करने पर सरकार विचार कर सकती है।
लखनऊ : प्रदेश में सहायक शिक्षकों के 69 हजार पदों पर भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में गुरूवार को भी राज्य सरकार की ओर से अपना पक्ष रखा गया। सरकार की ओर से पक्ष रखने के पश्चात वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्रा ने सुझाव दिया कि कुल पदों अर्थात 69 हजार के डेढ गुने अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट करने पर सरकार विचार कर सकती है। लेकिन याचियों की ओर से इस मौखिक प्रस्ताव को सिरे से नामंजूर कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सरकार पिछली परीक्षा के अनुसार 40 व 45 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स तय करे। जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रखने का निर्देश दिये।
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यह निर्देश जस्टिस राजेश सिंह चैहान की बेंच ने मो0 रिजवान आदि की ओर से दाखिल कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवायी करते हुए दिया। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मेरिट व क्वालिटी एजुकेशन के पक्ष में दलील दी गई। बहस के उपरांत सरकार की ओर से इस मामले में आवद्ध विशेष वकील प्रशांत चंद्रा ने मौखिक प्रस्ताव देते हुए कहा कि सहायक शिक्षक के पदों के डेढ गुने अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट करने पर सरकार विचार कर सकती है। इसके लिए प्राप्तांक के आधार पर ऊपर के अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा।
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इस पर याचियों की ओर से इस प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया गया। याचियों की ओर से कहा गया कि 25 नम्बर का वेटेज उन्हें लिस्ट में जगह बना पाने के बाद ही दिया जाएगा। कहा गया कि सरकार पूर्व परीक्षा की भांति आरक्षित के लिए 40 व सामान्य के लिए 45 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स तय करे।
कट आफ मार्क में बदलाव के 7 जनवरी 19 के शासनादेश पर रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के जूनियर बेसिक स्कूलों में 69000सहायक अध्यापक भर्ती में सामान्य व अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए तय कट ऑफ मार्क में बदलाव के 7 जनवरी 19 के शासनादेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार व सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी से जवाब मांगा है।याचिका की सुनवाई 19 मार्च को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सीडी सिंह की खंडपीठ ने मनोरमा मौर्या की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि पहले सामान्य व् पिछड़े वर्ग का कट ऑफ मार्क 33 व् एस सी एस टी का 30 फीसदी अंक रखा गया। बाद में 7 जनवरी के शासनादेश से बदलाव कर इसे सामान्य जातिवारी का 65 व् आरक्षित श्रेणी का 60 फीसदी अंक कर दिया गया है। याची ने इसे मनमाना करार देते हुए रदद् करने की मांग की गयी है। कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और याचिका को रेनू सिंह व् 65 अन्य की विचाराधीन याचिका के साथ पेश करने का आदेश दिया है।
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