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नागपंचमीः इतिहास में दफन हो गई लखनऊ की शेष गुफा और लगने वाला मेला
लखनऊ में लक्ष्मण द्वारा स्थापित शिवलिंग भी है क्योंकी लक्ष्मण अपने भाई के राम के साथ हमेशा सेवक की भूमिका में रहे...
लखनऊ की शेष गुफा और लगने वाला मेला दफन (social media)
यूं तो नागपंचमी का पर्व पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन लखनऊ के लिए कभी इसका खास महत्व हुआ करता था। जनश्रुति के मुताबिक अयोध्या के राजा राम के भाई लखनऊ के किलेदार थे। लखनऊ में लक्ष्मण द्वारा स्थापित शिवलिंग भी है क्योंकी लक्ष्मण अपने भाई के श्री राम के साथ हमेशा सेवक की भूमिका में रहे इसलिए लखनऊ को बसाने के बावजूद उन्होंने कहीं पर भी अपनी पूजा की बात नहीं की। पुरातात्विक साक्ष्यों में भी कहा गया कि लक्ष्मण टीला प्राचीन नगरी का अवशेष है जो कि उसके चारों तरफ बसी थी। खैर हम बताने जा रहे हैं नाग पंचमी पूजा के लखऩऊ से संबंध के बारे में।
क्योंकि लखनऊ की प्राचीन सीमाओं की धुरी लक्ष्मण टीला पर स्थापित लक्ष्मण किला बताया जाता है। उनके न रहने के बाद के वर्षों में वहां एक गुफा या कुआं जैसा रह गया था। इस कुएं में लोग दूध चढ़ाया करते थे और ऐसी मान्यता थी कि लक्ष्मण चूंकि शेषनाग के अवतार थे तो चढ़ाये गए फल दूध सीधे शेषनाग को मिलते हैं। हिन्दुओं की ये पूजा उपासना सालों साल चलती रही। लखनऊ के वरिष्ठ नेता रहे स्वर्गीय लालजी टंडन ने भी अपनी किताब अनकहा लखनऊ में नवाबी कल्चर को बढ़ावा देने के लिए लखनऊ की पौराणिक संस्कृति को मिटाने का आरोप लगाया है।
लखनऊ के एक नक्शे में मस्जिद का जिक्र नहीं
लालजी टंडन का कहना था कि शेष गुफा खिलजी के वक्त नष्ट की गई। बार बार ध्वस्त करने की कार्रवाई से यहां सिर्फ लक्ष्मण टीला नाम रह गया। कहते हैं बाद में औरंगजेब ने यहां पर मस्जिद बनवा दी। लेकिन 1857 के पहले के लखनऊ के एक नक्शे में इस मस्जिद का कोई जिक्र नहीं है। कहा तो यह भी जाता है कि 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज अफसरों के घोड़े यहां बंधा करते थे। इस तरह 1857 के बाद यहां बनी 'गुलाबी मस्जिद' पर अंग्रेज अफसर घोड़े बांधने लगे। बाद में राजा जंहागीराबाद की गुहार पर अंग्रेजों ने मस्जिद को खाली किया। लेकिन हर दौर में इसका नाम लक्ष्मण टीला बना रहा।
'लक्ष्मण टीले का मामला भी बाबरी मस्जिद जैसा'
टंडन जी का आरोप था कि समाजवादी पार्टी की सरकार में गुलाबी मस्जिद का नाम बदलकर टीलेवाली मस्जिद करके लक्ष्मण टीला के वजूद को ही नकार दिया गया। टंडन जी की इस बात पर काफी हो हल्ला हुआ था। तब इतिहासकार स्वर्गीय योगेश प्रवीन ने कहा था कि लक्ष्मण टीले का मामला भी ठीक बाबरी मस्जिद जैसा ही है, अधिकतर मुगलकालीन इमारतें या मस्जिदें पुरानी इमारतों को तोड़कर ही बनाए गए हैं, लेकिन इस सबके बीच शेष गुफा की कहानी बिल्कुल गायब हो गई। किसी ने भी दोबारा उसको स्थापित करने और लखनऊ के नागपंचमी के मेले को पुनर्जीवित करने की कोशिश नहीं की।
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