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UP Election: पंजाब के दलित कार्ड का असर, यूपी के 'लड़के' मिला सकते हैं हाथ
UP Election: कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर जहां उत्तर भारत में पहला दलित मुख्यमंत्री दिया है। वहीं अब उसकी नजर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड जैसे दूसरे राज्यों पर भी है।
कॉन्सेप्ट फोटो (फोटोः सोशल मीडिया)
UP Election: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election) से पहले कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी और राहुल गांधी (Congress Sonia Gandhi Rahul Gandhi) ने पंजाब में दलित कार्ड खेलकर यूपी समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को भी साधने का कार्य किया है। चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब दूसरे राज्यों में भी दलित राजनीति फिर से गरमा गयी है। जिसके जरिए अब कांग्रेस पार्टी यूपी में भी अपना दबदबा मजबूत करने की कवायद शुरू करेगी। अब संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का एक बार फिर से गठजोड़ हो सकता है, इसमें भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद भी शामिल हो सकते हैं।
कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर जहां उत्तर भारत में पहला दलित मुख्यमंत्री दिया है। वहीं अब उसकी नजर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड जैसे दूसरे राज्यों पर भी है। क्योंकि यहां भी दलितों की अच्छी खासी आबादी है, जिसके जरिए अब वह दलितों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है। इसी क्रम में अखिलेश यादव भी 19 सितंबर से दलित सम्मेलन का आयोजन कर दलितों के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की कवायद कर शुरू की है।
अब इसमें तीसरा नाम भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद का है जो कि एक बड़े दलित नेता के तौर पर उभरे हैं । उनकी भी दलितों में अच्छी खासी पकड़ है, जिसके जरिए अब यह कहा जा रहा है की 2022 के चुनाव से पहले कांग्रेस, सपा, भीम आर्मी एक साथ मिलकर यूपी के रण में उतर सकते हैं। वाले चंद्रशेखर की बात अखिलेश यादव से भी चल रही बै।
प्रियंका गांधी और चंद्रशेखर की मुलाकात के मायने
प्रियंका गांधी और चंद्रशेखर आजाद (फोटोः सोशल मीडिया)
आगे की खबर समझने के लिए आपको कुछ महीने पीछे चलना होगा । आपको अच्छी तरह से याद होगा कि प्रियंका गांधी और चंद्रशेखर आजाद की मुलाकात हुई थी। अब इस मुलाकात के मायने निकाले जा रहे हैं कि कांग्रेस और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर एक साथ आकर यूपी में बिगुल फूंक सकते हैं। वहीं समाजवादी पार्टी दलित सम्मेलन और प्रबुद्ध सम्मेलन कर दलितों और ब्राह्मणों को साधने में लगी हुई है।आपको बता दें कि 29 सितंबर से 23 अक्टूबर के बीच प्रियंका गांधी यूपी में कई चुनावी कार्यक्रमों में शिरकत करेंगी। प्रियंका 29 सितंबर को जब फिर से यूपी के दौरे पर पहुंचेंगी तो इस गठबंधन को लेकर बातचीत आगे बढ़ सकती है।
अखिलेश ने 'नई हवा है नई सपा है' का दिया नारा
अखिलेश यादव (फोटोः सोशल मीडिया)
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने मिशन 2022 के लिए एक नया 'नई हवा है , नई सपा है' का नारा दिया है। इसके साथ ही उन्होंने अपने पिता मुलायम सिंह यादव के एमवाई समीकरण को भी बदल दिया है। अखिलेश यादव अब एमवाई समीकरण का मतलब महिला और युवा बताया है, जिसके जरिए वह महिलाओं और युवाओं को भी साधने में लगे हैं।
हार्ड हिंदुत्व के जवाब में सॉफ्ट हिंदुत्व
जाहिर है सूबे में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए उसके हार्ड हिंदुत्व के जवाब में सियासी दल शॉफ्ट हिंदुत्व की राह पकड़ चुके हैं। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी इसी राह पर चल रहे हैं। ऐसे में जब पंजाब का पहला मुख्यमंत्री दलित हुआ है, उसका क्रेडिट कांग्रेस को मिला है। ऐसे में इसका फायदा यूपी में गठबंधन करके कांग्रेस सपा और भीम आर्मी बीजेपी को हारने के लिए कर सकते हैं।
2017 में भी हुआ था गठबंधन
गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ था। उस वक्त यह नारा दिया गया था 'यूपी के लड़के, 'यूपी को यह साथ पसंद है'। उस चुनाव में सपा 298 सीटों पर जबकि कांग्रेस के खाते में 105 सीटें गई थी। इसमें से सपा ने 47 और कांग्रेस ने सिर्फ 7 सीटों पर जीत हासिल की थी । जिससे यह गठबंधन चुनाव के बाद टूट गया। अब फिर से एक बार 2022 के लिए चर्चा शुरू हो गई है कि यूपी में लड़कों की जोड़ी एक बार फिर से बनेगी? फिलहाल यह प्रियंका के दौरे पर आने के बाद ही साफ हो पाएगा कि कांग्रेस, सपा और भीम आर्मी में गठबंधन होगा या नहीं?
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