TRENDING TAGS :
साधु-संतों की खूनी रंजिश में कई बार लाल हो चुकी है अयोध्या
अयोध्या मे 5000 के आसपास मंदिर हैं। इन मंदिरों में देश के अलावा विदेशोें से भी काफी धन चंदे के तौर पर आता है। पूरे साल यहां त्यौहार का माहौल रहता है इसके अलावा समय समय पर लगने वाले मेलों में भी काफी श्रृद्वालु आते हैं जो लाखों का चढावा यहां दे जाते है। साधु संतो में टकराव की मुख्य वजह यही बताई जाती है।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: अयोध्या में रामजन्मभूमि को हासिल करने और वहां राममंदिर बनवाने के लिए भले ही राम की इस नगरी के साधु-संत एकजुट दिखते हो लेकिन इन साधु-संतों के बीच आपसी मनमुटाव और वैमनस्यता बहुत ज्यादा है। यह कोई आज की बात नहीं है विभिन्न अखाड़ों और न्यासों के महंतो और पंडों के बीच वर्षो से चली आ रही यह वैमनस्यता कई बार इस कदर बढ़ी है कि इन साधु-संतों ने हत्या से भी गुरेज नहीं किया है। ताजा मामला तपस्वी छावनी से निष्कासित महंत परमहंस दास का है। महंत परमहंस दास का आरोप है कि रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास ने उन पर अभद्र टिप्पणी की है और अब उनकी हत्या की साजिश रच रहे है।
ये भी देखें : पीएफ स्कैम: प्रदेश सरकार से की बिजली कर्मियों के पीएफ की गांरटी लेने की मांग
मंदिरों में देश के अलावा विदेशोें से भी काफी धन चंदे के तौर पर आता है
इसके पीछे सबसे बडा कारण यहां पर आने वाला चढावा और अकूत सम्पत्ति का होना है। बताया जाता है कि अयोध्या मे 5000 के आसपास मंदिर हैं। इन मंदिरों में देश के अलावा विदेशोें से भी काफी धन चंदे के तौर पर आता है। पूरे साल यहां त्यौहार का माहौल रहता है इसके अलावा समय समय पर लगने वाले मेलों में भी काफी श्रृद्वालु आते हैं जो लाखों का चढावा यहां दे जाते है। साधु-संतो में टकराव की मुख्य वजह यही बताई जाती है।
साधु-संतो के बीच टकराव के चलते पहली हत्या चार दशक पहले अयोध्या की बेहद प्रसिद्ध छावनी के महंत राम प्रताप दास की हत्या से हुई थी। इसके बाद इस तरह का जघन्य अपराध भले ही थमा रहा हो लेकिन अयोध्या आंदोलन कमजोर पडते ही इस तरह का खूनी टकराव फिर शुरू हो गया। महंत राम प्रताप दास की हत्या के बाद इसी मंदिर के एक अन्य महंत प्रेम नारायण दास की भी हत्या कर दी गई।
ये भी देखें : बहुत ही दु:खद! एक बार फिर अन्नदाताओं को मिली लाठियां
हनुमत धाम के महंत रामदेव शरण पर बम से हमला कर उनकी हत्या कर दी
जिसके बाद सनातन मंदिर के महंत मोहनदास की गोली मारकर हत्या और उसके बाद महंत मोहन दास के भाई राम कृष्ण दास की भी संदिग्ध हालत में हुई मौत ने कई सवाल खड़े किए थे। एक अन्य मामलें में हनुमत धाम के महंत रामदेव शरण पर बम से हमला कर उनकी हत्या कर दी। जिसके बाद वर्ष 1991 में जानकी घाट बड़ा स्थान के महंत की उनके ही कमरे में गला घोटकर हत्या कर दी गई।
सन 1995 में हनुमानगढ़ी के महंत रामाज्ञा दास पर जानलेवा हमला हुआ और एक बार फिर से साधु वेश पर सवाल उठे। और 90 के दशक में अयोध्या के दबंग महंत के रूप में जाने जाने वाले महंत राम कृपाल दास की भी गोली मारकर रहसयमय हत्या कर दी गयी। साधु-संतो के टकराव का अंत नहीं हो पाया और 1999 में विद्या कुंड में ही स्थित बड़ा स्थान के महंत राम कृपाल दास की भी संपत्ति के ही विवाद में हत्या हो चुकी है।
ये भी देखें : बम धमाके से हिला शहर! 7 लोगों की दर्दनाक मौत, मचा कोहराम
संत रामचरण दास की गला घोटकर हत्या की गयी थी
पिछले दो दशकों में साधु-संतो की कई हत्याए हुई। कुछ तो चर्चा में आई पर कुछ को दबा दिया गया। पांच वर्ष पूर्व वासुदेव घाट के रहने वाले महंत अयोध्या दास की हत्या हो या विकलांग संत लाल दास की हत्या इन सभी घटनाओं के पीछे कहीं ना कहीं मंदिरों की अकूत संपत्ति पर कब्जेदारी का विवाद जुड़ा हुआ है।
पिछले साल यहां विद्यामाता मंदिर के पास मंहत की दावेदारी कर रहे संत रामचरण दास की गला घोटकर हत्या की गयी थी। इस मामले में पुलिस ने एक अन्य साधू परमात्मादास पर इस हत्या का आरोप लगा था। इन दोनों साधुओं में मंदिर को लेकर कई बार टकराव हो चुका था यह स्थानीय स्तर पर सभी लोगों को मालूम था।
ये भी देखें : महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर इस केंद्रीय मंत्री ने कही ये बड़ी बात
यहां के हालात अब ये हो चुके हैं भले ही अयोध्या विवाद का 50 साल पुरानी अदालती लडाई का फैसला आने के बाद समाज में खुशी की लहर हो पर स्थानीय साधु-संतों की निगाहे अभी भी मंदिर निर्माण के लिए गठित होने वाले ट्रस्ट पर टिकी हुई है जिसमें वह अपनी भी भागीदारी चाहने में गुरेज नहीं कर रहे हैं।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!